International Day of Peace अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर ज्ञान कविता
इसविश्व शांति दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते हुए शांति के वैदिक नियमों को अपनाने की सभी से अनुरोध करते हुए इस प्रकार से कहते है कि
21 सितंबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व शांति दिवस’ यानी International Peace Day के रूप में मनाया जाता है।इसके मनाने का मुख्य रूप से उद्धेश्य विश्व स्तर पर शांति बनाए रखने के लिए सभी लोगो को अपने अपने व्यक्तिगत स्तर पर प्रयत्न करने चाहिए तभी सामूहिक रूप से परस्पर शांति स्थापिठोगी।इस ‘विश्व शांति दिवस’ के मौके पर विश्व के प्रत्येक देश में जगह-जगह सफेद कबूतरों को उड़ा कर उनके रूप में शांति का संदेश दिया जाता है।ये कबूतर शांति के प्रतीक माने गए हैं जो वैदिक ओर बाद में बौद्धों के ‘पंचशील’ के सिद्धांतों को विश्व भर में एक संदेश के रूप में फैलाते हैं।इस दिन सफेद कबूतर उड़ाने की यह परंपरा बहुत प्राचीन काल से ही चली आ रही है। कबूतर को मनुष्य के नजदीक रहने वाला संगत ओर शांत स्वभाव का पक्षी माना जाता है। यही कारण है कि इसे शांति और सदभाव का प्रतीक बनाया गया है।
विश्वभर के सभी देशों और लोगों के बीच परस्पर शांति बनी रहे इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने सन 1981 में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस’ यानी “विश्व शांति दिवस’ मनाने की घोषणा की थी।पहली बार सन 1982 में ‘विश्व शांति दिवस’ दिवस मनाया गया था।सन 1982 से लेकर 2001 तक सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता रहा,ओर 2002 से यह 21 सितंबर को मनाया जाने लगा है।
विश्व शांति दिवस’ का प्रारम्भ संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में संयुक्त राष्ट्र शांति की ‘घंटी’ बजाकर की जाती है।इस घंटी के एक तरफ लिखा हुआ होता है कि विश्व में शांति सदैव बनी रहे।
ओर इस दिवस पर सभी जन घँटी बजाकर ओर कबूतर आकाश में उड़ाकर इस संदेश को फैलाने का कार्य करते है,जो कि सभी को कम से कम घँटी बजाकर तो अवश्य करना चाहिए।
यो इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से शांति के वैदिक नियमों को अपनाने की सभी से कहते है कि
विश्व शांति दिवस पर ज्ञान कविता
शांति सबसे बड़ा मानस सुख
पर वो आये कैसे सबके घर।
किस कारण नहीं मिलता ये सबको
ये समझ नहीं आता हर सर।।
ॐ शांति विश्व मंत्र इस जग
जो जपते तो सब मन ही मन।
अर्थ बिन समझे सांस संग रटते
दोहराते दिमाग रख अशांति जन।।
सत्य अहिंसा अस्तेय ब्रह्मचर्य
सद्कर्म अपनाओ अपरिग्रह।
इन पांच वैदिक उपदेश चलो
सहारा बनो हर प्राणी निरह।।
शांति के पांच सूत्र धर्म सब
वासना रहित करो सर्व प्रेम।
धैर्य विवेक चिंतन अपनत्त्व रख
कर्मी बने अपना इन नेम।।
सब मे बंधुत्व भाव को देखो
ह्रदय रख समता का भाव।
समतावाद बढ़ाये निज मन
बोलें समझ बिन खाये ताव।।
कबूतर इसी भाव प्रतीक जग
सफेद रंग जीव पवित्र आत्मा।
जीवन के पहलू दो पंख हैं
उड़ान आकाश मिलन विश्वात्मा।।
कबूतर छोड़ना मुक्त स्वभाव हर जीवन
यही सद अर्थ कबूतर रूप संदेश।
विश्व को कुटुंब अपना ही मानो
रंग जाति नीच उच्च त्याग कलेश।।
आओ विश्व शांति दिवस मनाये
मनुष्य धर्म के हितकर अपना।
सदा सुख दूजे मिले मुझ कारण
यही शांति दे सर्व कल्याणी घना।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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