मताधिकार का अवश्य उपयोग करो और नवीन राष्ट का निर्माण करो,इस विषय पर अपनी कविता के माध्यम से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी जनसंदेश देते कहते है कि…
घर परिवार समाज राष्ट
तभी उन्नति सुख पाता।
जब उसके पालनहार भी
बने उसके हित मतदाता।।
अच्छे बुरे का ज्ञान हो
और जागरूक हो निज अर्थ।
सत्य कथन और समर्थन हो
और साहस करें मिटाने व्यर्थ।।
बड़ों के कार्य प्रेरक हो
युवा विशेष हो सदा उत्साह।
एक दूजे वैचारिक सहयोग हो
प्राचीन नवीनता दे अथाह।।
जब जब ऐसा होता नही
केवल रहे वर्चस्व अधिकार।
तब तब होती क्रांति
और होता प्राचीन का प्रतिकार।।
यही प्रगति नियम सदा रहता
यही जो जाने ज्ञान।
यही करना ही सत्य कर्म
यही युवा नाम भगवान।।
यो जागो युवा जागो
और अपने को पहचान।
नवीनता ही है उन्नति
उपयोग कर मताधिकारी ज्ञान।।
आज आवश्यकता है तेरी
और तू ही है भविष्य।
प्रगतिहीन विष का तू त्याग कर
अब अमृत कर तू हविष्य।।
उठ और कर्तव्यपालन कर
और करना मताधिकार दान।
जो तू चाहता सब उन्नति
वही का समय आज ही जान।।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय हिन्द जय भारत
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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