तब कुछ महीनों बाद मैने वो सब सामग्री हटाकर नहर में बहा दी तब एक दिन मुझे ध्यान में स्मरण हुआ की अरे वो वशीकरण तो स्वयं मैं पढ़ ही रहा था वो था पंचमुखी हनुमान जी का स्त्रोतपाठ अब क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत वो सामग्री कहाँ से लाऊ वो तो सब नहर में बहा दी थी।और बहुत वर्षो तक वो पंचमुखी स्त्रोतपाठ पढ़ता रहा यो बिन साधन के उससे कोई लाभ नही हुया यही है साधन सामग्री और सिद्ध गद्दी के ऊपर बैठकर साधना करने से ही सिद्धि होती है अन्यथा केवल आग आग कहने से आग नही लगती और भाँग भांग कहने से भांग नही चढ़ती है यी ही केवल मंत्र जपने से सिद्धि नही होती है।
तो भक्तो इस साधना घटना से ये ज्ञान सीख मिलती है कि यो ही प्रत्यक्ष गुरु के ज्ञान की साधना में प्रत्यक्ष आवश्यकता होती है वो तभी बताता की अरे ये तू पढ़ और कल्याण हो जाता। और यही घर में पूजाघर बनाने के पीछे सच्चा रहस्य है जो किसी को नही पता केवल मूर्तियां रखने से पूजाघर नही बनता और न ही वहाँ बैठकर पूजा करने से कुछ भय या सिद्धि मिलती है यो यदि सम्भव हो सके तो अपने गुरु से अपने पूजघरों में सिद्धासन बनवाने की और विचार करना चाहिए।