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21 जून विश्व संगीत दिवस की शुभकामनायें

कोयल की कूक वर्षा की बुँदे
वृक्ष पत्तियों से निकले पवन।
तरंगित नदी का जल हिलोर ले
प्रथम संगीत धरा है बहन।।
कम्पन तरंग विस्फोट घोर तक
कड़कड़ाहट गर्जन विधुत मेघ।
प्रस्फुटित कोपल अंकुरित पौध तक
टूट कर गिरते पत्थर अति वेग।।
कलकल करती नदी प्रचंड बन
बहती वक्री टकराती तट।
बन झरना गिरती स्वर कर
जनती संगीत देती कर्ण पट।।
खोखले खोखर मृत वृक्ष पर
गिरती तालित होकर बुँदे।
रिद्धम बना वन तन्द्रा तोड़े
इन वाद्य संगीत झरती बुँदे।।
जिव्हा की चट लय चटकारे
और हाथ की लय ताली।।
कदम चाल संगीत मनुष्य है
मधुरता पा श्रवर्णित गाली।।
प्रेम ही प्रथम नाँद मोन है
प्रेम ही जनक संगीत।
प्रेम से ह्रदय प्रेमिक परम्
प्रेम बन वाणी गीत संगीत।।
सा रे गा मा पा धा नि
ये सप्त अक्षर सप्त राग।
सारे गाओ मैं त्याग कर
माँ को पाओ धारण कर नियाग।।
जिसमें वही इंगित हो
उसी का नाम संगीत।
वही नाम एक आत्मा
जिसकी वाणी है संगीत।।
यो रोना दुःख संगीत है
हँसना सुख संगीत।
प्रसन्नता संगीत गुनगुनाहट है
ठठाका आनंद गर्जन स्वप्रीत।।
विश्व सृजन संगीत ब्रह्म
और प्रलय ब्रह्म संगीत।
पालन ब्रह्म संगीत सुख
तुम ब्रह्म प्रीत नित गीत।।
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