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विश्व गुरु भगवान विश्वामित्र और अक्षय तृतीया

विश्व गुरु भगवान विश्वामित्र और अक्षय तृतीया
सत्यनारायण श्री गुरु रूप
अवतरित वेद प्रसार अक्षय तृतीया।।
गायत्री लक्ष्मी एक स्वरूप
वही पुनः अवतरित अक्षय तृतीया।
सत्यनारायण अवतार है
श्रीमद् विश्वामित्र भगवान।
अक्षय तृतीय और पूर्णिमा
दिवस इन कारण सिद्ध महान।।
अक्षय तृतीय अन्य महामहत्त्व
दिव्य कारण धर्म अनेक।
नर नारायण अवतार दिन
लक्ष्मी प्रकट कल्याण जननेक।।
सतयुग त्रेतायुग प्रारम्भ दिवस
ह्रयग्रीव जन्मदिवस इशवतार।
ब्रह्मा पुत्र अक्षय जन्में
जन्म परुषराम छट अवतार।।
विश्वामित्र ने विद्याबल दिया
बल्य शिष्य परुषराम।
अक्षय विद्या धनुष तूणीर
दिए अपने शिष्य श्री राम।
बद्रीनाथ प्रभु इसी दिवस
प्रथम दर्शित जनकल्याण।
कपाट खुले इसी दिवस
लक्ष्मी नारायण कृपा कल्याण।।
महाभारत युद्ध समाप्त
और द्धापर युग का अंत।
अक्षय तृतीया दिवस पूण्य
सदैव फले अक्षय अनंत।।
बाँके विहारी विग्रह दर्शन
हो अक्षय तृतीया पूर्ण।
छह घटिका शुभ दिवस ये
अक्षय तृतीय व्रत सम्पूर्ण।।
त्रिशंकु स्वर्गारोहण संकल्प को
गायत्री हुयी विफल।
विश्वामित्र ने शाप कीलन किया
अक्षय तृतीय गायत्री उत्कीलन फल।।
विश्वामित्र का नव स्वर्ग निर्माण
अक्षय तृतीय त्रिशंकु देन।
सदा अखंड इंद्रवत पद रहे
नव सप्तऋषि मंडल जग देन।।
विश्वामित्र उपासना उपरांत ही
वेद गायत्री उत्कीलन अचल।
और अक्षय तृतीय दिवस पर
वेद गायत्री दे सम्पूर्णम् फल।।
विश्वामित्र गुरु बुद्ध के
और गुरु ज्ञानगंज गुप्त कैलाश।
कलियुग में ब्रह्म बल गुरु
दाता सप्त जात गुरु विश्वास।।
अक्षय तृतीया को दिया
विश्वामित्र ने बुद्ध को शाश्वत ज्ञान।
इसे आत्मसात करो एकांत तप
और जनो स्वयं का आत्मसंज्ञान।।
जो अक्षय तृतीय अखंड ज्योत करें
और गुरु विश्वामित्र आवाहन।
वेद ज्ञान गायत्री सिद्ध
और उस भक्त अवतरण हो आत्मज्ञान।।
सत्य पुरुष सत्यनारायण है
ॐ स्त्री सत्यई पूर्णिमाँ नार।
सिद्धायै सृष्टि अक्षय तृतीया प्रेम
नमः अक्षत प्रेम स्वं सार।।
ईं जागरण पुनः पूर्णिमाँ प्रेम
फट् नर नारी चतुर्थ धर्म वेद।
स्वाहा विश्वव्यापी आत्म विस्तार
सत्यास्मि अक्षय ज्ञान आत्मभेद।।
यो सिद्धासिद्ध महामंत्र जपो
अक्षय तृतीया दिवस अखंड।
आत्मज्ञान हो स्वमेव परम्
अहम् सत्यास्मि अनुभूत हो स्वं अंड।

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