19 फ़रवरी 2019 माघी पूर्णिमा का धार्मिक स्नान महत्त्व,के विषय में स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी बता रहें है की…..

19 फ़रवरी 2019 माघी पूर्णिमा का धार्मिक स्नान महत्त्व,के विषय में स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी बता रहें है की…..

एक बार सत्यनारायण और सत्यई पूर्णिमां से उनके पुत्र अमोघ और पुत्री हंसी ने पूछा की-ये माघ पूर्णिमां का धार्मिक महत्त्व क्या और कैसे है?इसपर भगवती सत्यई पूर्णिमां ने हंसी और अमोघ से कहा की-
माघ माहात्म्य माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे।
सरस्वतीः लक्ष्मीः पार्वतिः ब्रह्माविष्णु महादेवरुद्रादित्यमरूद्गणा:।। अर्थात सरस्वती लक्ष्मी पार्वती व् ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए गंगा यमुना के संगम पर गमन करते हैं। प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्। दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।। अर्थात प्रयाग गंगा यमुना संगम में माघ मास के भीतर तीन बार स्नान करने से जो पूण्य फल होता है,वेसा पूण्य फल पृथ्वी में कहीं भी दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।
यो सभी को इस दिन अवश्य ही प्रातः गंगा स्नान या गंगा जल मिलाकर स्नान करके अपने गुरु और इष्ट को गंगा जल मिश्रित जल से आदित्य सूर्यदेव को एक एक अंजुली से जल चढ़ाते हुए मंत्र जप करना चाहिए और अधिक से अधिक किसी भी प्रकार का दान करना चाहिए।क्योकि जप के उपरांत दान करने से जप का फल प्रत्यक्ष प्रकट और प्राप्त होता है।अन्यथा कितना ही जप कर लो,वो सूक्ष्म में ही इकट्ठा रहता है,साधक के मनोरथ की या वरदान या सिद्धि की प्राप्ति नहीं होती है।बस किये गए मंत्र जप से शुभ होता है,सिद्धि नहीं।यो जितनी संख्या में जप करो,उतनी संख्या का कम से कम 10% दान अवश्य करना चाहिए।यो..
सेवा से सेवा मिले
जप से बने कुशाग्र।
दान से सिद्धि फले
तभी भाग्य कुंडलिनी जाग्र।।
इस माघ माह को 12 महीनों में ग्यारहवें माह होने के कारण एकादशी महीना भी कहते है।यो इस माह की सभी तिथियाँ अति शुभ होती है।
यो वर्तमान कुम्भ 2019 में 19 फरवरी को छठां शाही स्नान माघी पूर्णिमा को होगा।माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है।
पूर्णिमां पुराण में भगवान सत्यनारायण ने कहा है कि- माघी पूर्णिमा पर स्वयं मैं भगवान सत्यनारायण और भगवती सत्यई पूर्णिमां गंगा जल में निवास करती हैं। माघ मास को स्वयं भगवती पूर्णिमां का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए, तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल मिलता है।
इस दिन प्रातः उठकर गंगा स्नान या अपने स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।तब पहले पूजाघर में घी की अखण्ड ज्योत जलाये और फिर खीर बनाये उसमें पंच मेवा हो तो बहुत उत्तम,ये पंच मेवा पांच देव और देवी,पंच तत्वों का भोग है,जिसे देव देवी जीवित मनुष्य भक्तों के खाने के माध्यम से स्वीकारते है।तभी कहा गया है की-भूखे को शांति से बैठाकर भोजन और जल दें और अब उस खीर का पूर्णिमां माता को भोग लगाकर भक्तों में बांटें।
इस महीने में सर्दी होने से गरीबों में कम्बल जर्सी स्वेटर और गर्म जूते और हवन जलाने को लकड़ियाँ और सामग्री घी का अवश्य गुरु आश्रम या मन्दिर में अवश्य दान करना चाहिए।इससे आपके द्धारा किया घी समाग्री लकड़ी आदि का दान वहाँ यज्ञादि अनुष्ठान में उपयोग होने से आपको उसका 5%फल अवश्य मिलता है।
इस दिन माघी चौदस को चांदी का चन्द्रमाँ पर पूर्णिमां लिखा या गुंदा लें,तब इसे लाकर पंचाम्रत से पूजन करके उसे अपने मुख्य द्धार पर पूर्णिमासी के दिन प्रातः लगा दें,तो घर में सदा सुख शांति और लक्ष्मी का वास रहता है।

इसी दिन भीष्मपितामह ने अपने प्राण त्याग मोक्ष की प्राप्ति की थी।यो ये दिवस पितृदोष के निदान को भी सर्वोत्तम दिवस होता है।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission. org

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