15 सितंबर भारतीय अभियंता दिवस यानी नेशनल इंजीनियरिंग डे ओर World Engineering Day पर ज्ञान कविता

15 सितंबर भारतीय अभियंता दिवस यानी नेशनल इंजीनियरिंग डे ओर World Engineering Day पर ज्ञान कविता

वैसे तो सम्पूर्ण विश्व मे 4th March को World Engineering Day विश्व इंजीनियरिंग दिवस मनाया जाता है ओर सभी देशों में अलग अलग तारीखों ओर महीनों में ये ये दिवस मनाया जाता है।हमारे भारत देश मे ये दिवस 15 सितंबर को मनाया जाता है।

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से भारत मे महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के महाप्रेरक जीवन गाथा को इस प्रकार से कहते है कि

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का जन्म 15 सितम्बर 1860 को हुआ था और इनका मोक्ष दिवस 14 अप्रैल 1962 में हुआ था। ये भारत के महान अभियन्ता ओर राजनयिक थे। उन्हें सन 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया था। भारत में उनका जन्मदिन अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उस समय चीफ़ इंजीनियर और दीवान के पद पर कार्य करते हुए विश्वेश्वरैया ने मैसूर राज्य को जिन संस्थाओं व योजनाओं का उपहार दिया,वे इस प्रकार से हैं:-
मैसूर बैंक (1913), मलनाद सुधार योजना (1914), इंजीनियरिंग कॉलेज, बंगलौर (1916), मैसूर विश्वविद्यालय और ऊर्जा बनाने के लिए पावर स्टेशन (1918) ओर अभी अनगिनत विकास के कार्य किये।
विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है. इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी।जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने बेसिक स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंगलोर चले गए।1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तरीण की।इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश लिया।सन 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया जो कि ,ये परीक्षा आज के समय BE की तरह मान्य है।

सर मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का कार्यजीवन –

इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का निमंत्रण आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये। उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया। इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके।उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसे बहुत से और अंतहीन कार्य विश्वेश्वरैया ने किये।

1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया. इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था। इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया। कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देखभाल में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ. जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब यह एशिया में सबसे बड़ा जलाशय था।

1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा।उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया। हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता पुकारा जाता था। इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई. इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई।
विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसी सबको स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी कविता में इस प्रकार से कहा है कि

राष्टीय अभियंता दिवस 15 सितंबर पर ज्ञान कविता

दूर दृष्टि सच्च अनुमान
भूमि मटटी रेत पदार्थ हो ज्ञान।
ढलान गहराई ऊंचाई पैमाना
इन संग मौसम का हो अन्तर्विज्ञान।।
धैर्य सहयोग संगी ले राय
मजदूर लगे कितने इस काम।
कितना अनुमानित धन लगेगा
ओर कितना समय कब लगे विराम।।
वही मनुष्य को अभियंता कहते
जिसमें ये सब होवे गुण।
जोख़िम उठाये अपने कंधों पर
गर्वित का ना हो अवगुण।।
यही सब योग्यता थी एक मानव
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था वो नाम।
महान अभियंता आधुनिक भारत
अद्धभुत किये देश उन्नति के काम।।
मैसूर बैंक मलनाद सुधार योजना
इंजीनियरिंग कॉलेज बैंगलौर।
मैसूर विश्वविधालय विश्वस्तर बनवाया
पावर स्टेशन दे देश ऊर्जा से किया भोर।।
सिंधु नदी से पानी पहुँचाया
एक देकर नई सिंचाई प्रणाली।
ब्लाक सिस्टम नाम उस विधि का
कृष्णराज सागर बांध बनने की तकनीक संभाली।।
खड़कवासला जलाशय बांध बनवाया
इस्पात उपयोग बनाये दरवाजे।
संभाल सके जल वेग बाढ़ का
एशिया श्रेष्ठ जलाशय कर काजे।।
हैदराबाद शहर बनवाया सुदृढ
कर बाढ़ सुरक्षा प्रणाली उपयोग।
समस्त भारत में गुंजा नाम
विशाखापत्तनम बंदरगाह सुरक्षा कर उपयोग।।
अनन्त काम किये विकास के
ओर आयु पूर्ण पायी स्वस्थ।
भारत रत्न पुरस्कार मिला
इन अभियंता दिवस हम हो नतमस्त।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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