गुरु नानक देव का दिया मंत्र है:-
एक ओंकार सत नाम करता पुरख निरभाऊ निरवैर अकाल मूरत अजूनी सैंभ गुरु प्रसाद।।
अर्थ-एक परमात्मा जिसका नाम सत्य है कृति करने वाला पुरुष निर्भय द्धेष रहित अकाल मूरत सनातन छवि वाला अजन्मा स्वयंभु और गुरु कृपा से प्राप्त होने वाला है।।
!!सत्यास्मि कवित्त्व सार-
ईश्वर एक सर्व जगत
केवल उसी की करो उपासना।
उसकी कोई मूरत सूरत नही
वही एक नूर है उसी की करो आराधना।।
जगत का कर्ता सब जगह
और वही सब जीव बन वजूद।
उसका ही करो ध्यान ज्ञान
वही हर प्राणी घट मौजूद।।
उसकी भक्ति हो भय नही
उसकी भक्ति से हो ज्ञान।
उसकी भक्ति से मिले सभी
प्रेम सफल सदा सम्मान।।
मेहनत करो और कर्म करो
रहो सदा ईमानदार।
उदरपूर्ति जितना जोड़ो
ना करो ना रखो उधार।।
अहित ना सोचो किसी का
और नही बुरा करो विचार।
सताओ कभी ना किसी को
तब पाओ सभी अपार।।
जो मिले प्रसन्न रहो
क्षमा शीलता मांगो।
जरूरतमंद को कुछ जरूर दो
कंजूसी को सदा त्यागो।।
स्त्री पुरुष समान है
स्त्री करो सम्मान।
परायी बहिन बेटी समझों
व्रद्ध सभी दो मान।।
ईश्वर गुरु वाणी बसे
यो गुरु ना करो संदेह।
गुरु कहा सदा जो करे
वही धन्य सफल इस देह।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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