श्री “शनि वरदायनी” पाठ

हे सूर्य पुत्र श्याम वर्ण
हे शिव भक्त बलशाली।
अति प्रभावी तीक्ष्ण द्रष्टि
प्रसन्न भव् भाग्यशाली।।
कालाग्नि कृतांत स्वरूपी
शनै शनै गति धारी।
उज्वल क्रांति अमावस रासी
प्रसन्न भव हे वर धारी।।
भास्कर पुत्र सूर्यनन्दन
माता छाया यम भाई।
यमुना बहिन वचन के रक्षक
पुनः प्रसन्न हो अथाई।।
हे न्यायधीश वली मुख
नयन कठोर कृपालु।
कठिन आप की और देखना
प्रसन्न भव अभयी दयालु।।
हे तपि हे मंत्र जपि
हे सिद्ध महा एश्वर्य।
हे योगाभ्यासी योगफली
मुझ कृपा करो दे धैर्य।।
हे प्रिये हे बजरंग सखे
हे सर्व पदार्थ के स्वामी।
नीला देवी सती पति तुम
मम् भक्ति स्वीकारो नमामि।।
अश्व गिद्ध बैल मयूर
काक गर्दभ हाथी हिरण।
हे अष्ट सवारी धारक दाता
मुझ दो भक्त शरण।।
हे शमी निवासी पीपलवासी
भक्ति शक्ति के दाता।
साढ़े साती ढईया तारो
हे शनिदेव तारण दाता।।
ओ कश्यपनंदन पिप्पलाद वंदन
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चर्य
जय शनिदेव नमो नमः।।
सत्य साहिब रचित श्री “शनि वरदायनी” सम्पूर्ण
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