21 जून सत्यास्मि योग दिवस

योगश्चित वृति निरोधः
स्वं ध्यान आत्म बोधः।
कोहम निज अंतर शोधः
अहम् सत्यास्मि सुबोधः।।
प्रातः जल पी सहज बन
और शौच कर स्वच्छ।
सूर्य नमस्कार कर तीन बार
बैठ सहजासन साध स्वर पक्ष।।
बीस बीस कर तीन चक्र
अनुलोम विलोम कर मध्यम गति।
अब स्थिर बैठ कर नैत्र बंद
और गुरु चरण लगा अपनी मति।।
सत्य ॐ सिद्धायै नमः जप
अनुलोम विलोम निज मेरु।
सप्त चक्र मनो शक्ति गति
कुंडलिनी जाग्रत सहस्त्र सुमेरु।।
मन अंतर्निहित बन
द्रष्ट ज्योतिमय नाँद।
गहन सूक्ष्म द्रष्टि उदय
तिरोहित अष्ट विषाद।।
धैर्य संतोष सघन हो
अल्प प्राप्त सुख धन।
ह्रदय उदित प्रेमपन
अद्धभुत अनूपरत मन।।
चित्त स्थिर शनै शनै
और ऊर्जा होती द्रष्ट।
स्वयं गुरुवर एक हो
मिटे देह भान बहिर पृष्ट।।
मन चित्त वृति स्थिर सब
द्रष्टि स्थित शाम्भव मुद्रा।
स्वास् अल्प सूक्ष्म अति
चेतना युक्त समाधि योग निंद्रा।।
एक अखंड सोहम अहम
अनंत चैतन्य सगुण पूर्ण।
अहम सत्यास्मि परमतत्व गत्व
निर्गुण निर्विकल्प सनातन सम्पूर्ण।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

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