सिख्खों के छठे गुरु श्री हरगोविंद सिंह जी के जन्मोउत्सव पर सभी को शुभकामनाएं


14 जून 1595
गांव बडाली अमृतसर।
माता गंगा पिता अर्जुनदेव
जन्में पुत्र हरगोविंद सिंह अमर।।
नानकी,महादेवी,दमोदरी पत्नी
गुरदिता,सूरजमल,अनिराय।
अटलराय,गुरु तेगबहादुर पंचम
ये पँच पुत्र महावीर अथाय।।
बलिदानी पिता गुरु अर्जुन के
शहीद दिवस को रख स्मरण।
ऐसे काम नही चले पन्थ का
यूँ खडे हुए कर सशस्त्र वरण।।
प्रथम सिख्ख सेना निर्माता
और शास्त्र संग सशस्त्र द्रढ़।
निष्क्रिय सिख्ख सिंह बनाये
बना अमृतसर किला लोहागढ़।।
प्रथम अकाल तख्त निर्माता
जो ईश्वर का सिंहासन अर्थ।
संगठित किये सिख्ख सेना में
हिन्दुत्त्व धर्म रक्षा के अर्थ।।
जाग्रत किया इच्छाशक्ति को
अनुयायी बढ़ाया आत्मविश्वास।
खड़े हो जाओ धर्म रक्षण को
खींच शस्त्र वाहे गुरु भर साँस।।
मीरी पीरी दो तलवारें
गुरु हरगोविंद सिंह ने अपनाई।
एक अध्यात्म और एक गुरु शक्ति
यही दक्षता धर्म पक्ष दर्शाई।।
मुगल डरे जहाँगीर बौखलाया
इन्हें पकड़ ग्वालियर किया बंद।
बारह वर्ष बंदी रहे गुरुवर
सिख्ख आस्था हुयी और बुलंद।।
सिख्ख सहयोग लेने हेतु को
इन्हें मुक्त किया दीवाली।
इसी दिवस को पर्व रूप में
“बंदी छोड़ दिवस” मने दीवाली।
दीप दीपावली 1577
रखी स्वर्ण मंदिर की नींव।
करो सिख्ख पवित्र स्नान सरोवर
गुरु दर्शन कर अमृत चक्ख पीव।।
1628 अमृतसर निकट
हराई शाही सेना जहाँगीर।
3 मार्च 1644 में
कीरतपुर मोक्ष हुआ हरगोविंद महावीर।।
इनके पुत्र गुरु हरिराय विवाह है
दयाराम पुत्री कोटकल्याणी।
धन्य अनूपशहर जिला बुलंदशहर
जिनसे जन्मे गुरु हरिकृष्ण अष्टम कल्याणी।।
गुरु हरराय के दादा आप
और श्रीगुरु सिख्ख धर्म महान।
शुभजन्म दिवस शुभकामना
श्री हरगोविंद गुरुदेव सुजान।।
बोलो?वाहे गुरु हरगोविंद सिंह जी जय?

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