जीवित माँ की उपासना से ही जीवंत ईश्वर की पूजा है


सब सर्वोच्चता चाहते
कन्या से माँ तक नारी।
वही पुरुष भी चाहता
उच्चतम अभिव्यक्त आधारी।।
उसी को रख निज आचरण
बढ़ना चाहे विश्वाकार।
यही विषय नारित्त्व सब
यही सर्व आदर्शी चित्राधार।।
यो ही बनी सब मूर्ति
देवी देव नर नारी रख रूप।
इन्हीं आदर्श चित्त एकाग्र कर
पाता विश्वाधिपति अनूप।।
यो निम्न मात निम्न पिता
में चित्त होता विक्षोभ।
उनसे सदगुण मिलता नही
वैचारिक मतभेद देते निम्न क्षोभ।।
स्मरण रहे यही सत्य ज्ञान
सब निम्न से उच्च चलते।
ज्यों निम्न बीज में छिपा वृक्ष
वहीं जड़ाधार विशाल ले बनते।।
यो जिसे बढ़ना हो वो बढ़े
ले बिंदु आसारा ज्ञान।
बिंदु पूजनीय प्रारम्भ अवश्य
सिंधू तक का देता ध्यान।।
जैसे लौट राम ने वनवास से
केकयी के प्रथम किये चरण स्पर्श।
तुम से लीला सफल हुयी
पाया आज राम विजय हर्ष।।
हमारे पूजिय राम कृष्ण है
राम कृष्ण पूजनीय माता।
सदगुण बढ़ाने हमे है
माँ आधारी जन्म दे विधाता।।
सम्पूर्ण ही खंडित खंड खंड
खंड खंड मिल बनता अखंड।
पुनः पूर्णता विभक्त हो
भक्ति पाती खंड अखंड।।
उच्चता का अंत निम्नता और
निम्नता का अंत उच्च।
यो नीच किसी ना मानिये
सभी अवस्था में है सच्च।।
उपयोगी धरा बनाइये
दे खाद पानी सामान।
मात में ढूंढो अवगुण नही
उसे दो सदा सम्मान।।
परिस्थिति उसकी समझों सदा
और उन्हें बनाओं संग सरल।
निज के अवगुण सुधारिये
ज्यों मंथित हो अमृत बने गरल।।
माँ का अर्थ अति उच्च है
निज म में म मिल आ..विस्तार।
पहला म बीज मात्र
उसमें म मातृत्व मिल आत्म परम् संचार।।
मैं माता की ही देन है
तू मैं हूँ मेरा एक अंश।
माँ महानता अतुल्य है
उससे चले ईश्वर का वंश।।
सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ है
माँ नाम महा नाम।
धारण तारण मोक्षवत
जय माँ जीवंत जयति आवाहम्
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

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