☝साई चालीसा


दोहा
ॐ अनादि साई भजु,करो मेरा उद्धार।
साई ज्योति प्रकट हुयी,साई महिमा अपरम्पार।।
सब में साई राम देख,सबका मालिक एक।
वैदिक चौसठ तंत्र सिद्ध,वही साई सनातन एक।।
चालीसा
जय जय जय साई कृपालु।
करुणा सागर परम् दयालु।।
काल समय के पार भी तुम हो।
साकार निराकार भी तुम हो।।
सुख दुःख दो जीवन के पाट।
भटका मनुवा हुआ उच्चाट।।
अब केवल अवलम्ब तुम्हारा।
बाबा दे दो दया सहारा।।
ऐसी तुमने ज्योति जलाई।
मस्जिद बनी द्धारका माई।।
भेद भाव की पाटी खायी।
अल्लाह कर्म है राम कमाई।।
एक बनाये अल्लाह राम।
कर दिया तीर्थ शिरड़ी धाम।।
सिर पर कपनी हाथ में सोटा।
ऐसी सरल सोम्य सी छटा।।
कौन है पिता कौन है जाया।
इसका भेद कोई ना पाया।।
कहाँ तुम्हारा जन्म स्थान।
इसको कोई सका ना जान।।
कोई कहे शिव का अवतार।
कोई कहे खुदा ख़िदमदगार।।
साई है परम् महान।
ये ही है कलियुग भगवान।।
साई अखंड नाम जो पाले।
उसको साई सदा सम्भाले।।
जिसकी पकड़ी तुमने डोर।
उसके सुख का कोई न छोर।।
जो साई के शरण में आया।
साई ने उसको अपनाया।।
जो साई के द्धारे आये।
उसका मनचाहा हो जाये।।
जो तेरा करता गुणगान।
साई रखते उसका ध्यान।।
सब योगो के तुम हो स्वामी।
तुम्हें बारम्बार नमामी।।
जितने सब अल्लाह के प्यारे।
उतने सब है राम दुलारे।।
केवल यही तुम्हारी टेक।
जग में सबका मालिक एक।।
ऐसे किये अलौकिक काम।
दिगदिगांत में गूंजा नाम।।
एक था निर्धन और लाचार।
बहुत दिनों से था बीमार।।
जीवन की सब छूटी आस।
मृत्यु दिखती बिलकुल पास।।
वह आया साई के द्धार।
सुन कर उसकी करुण पुकार।।
करुणा से हो गए आधीर।
साई हरी सकल तन पीर।।
कितनों को दिए जीवन दान।
निर्धन बना दिए धनवान।।
जब एक बार दीवाली आई।
बूंद तेल की ना मिल पायी।।
तब यह चमत्कार दिखलाया।
दीपों में पानी भरवाया।।
पानी जला जले ज्यों तेल।
ये सब था साई का खेल।।।
फैल गयी घर घर में चर्चा।
साई अनोखा खेल जो रचा।।
किसी महजब का हो इंसान।
साई को है सभी समान।।
करो सदा साई का ध्यान।
जिसको करना हो कल्याण।।
प्रेम मगन हो सुध बुध खो कर।
बाबा बाबा सदा रटा कर।।
साई तुम्हें नवावे शीश।
हमको दो ऐसा आशीष।।
निश दिन तेरा ही गुण गाये।
तुझको भूल कभी ना पाये।।
जो शिरड़ी जा दर्शन पाये।
उसका मनचाहा हो जाये।।
विपदा आपदा हरना स्वामी।
बाबा तुम हो अंतर्यामी।।
तुमको शत शत बार नमन है।
कोटि कोटि मेरा वंदन है।।
जो चालीसा नित दिन पढ़ेगा।
साई उसका भला करेगा।।
दोहा
सत्य सिद्ध तेरी पूरी,सच्चा तेरा नाम।।
शिरड़ी वाले साई बाबा,तुझको मेरा प्रणाम।
स्वामी सत्य साहिब जी कृत साई चालीसा सम्पूर्ण
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