सर्वागासन के साथ पद्धमासन का मूलबंध के साथ करने की लाभदायक विधि जाने,,
बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,
सर्वागासन का सीधा अर्थ है कि,शरीर के सभी अंगों के व्यायाम का सही तरीका।
सर्वांगासन करने का सही तरीका मैं यहाँ विस्तार से दे रहा है, की,,
अपने स्वर को जांचकर,आप अपने योग मेट पर,कमर के बल सीधे लेट जायें।अपने दोनों हाथों की हथेलियों को सीधा पीठ के यानी कमर के दोनों साइड, बगल में ज़में पर टिका कर रखें।
साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर “अर्ध-हलासन” में ले आयें।
कोहनियों को ज़मीन पर टिकाए हुए दोनो हाथों से पीठ को सहारा दें। इस मुद्रा में धीरे से साँस अंदर और धीरे से सांस बाहर निकाले और अपना संतुलन सही बनाये रखना है।
अब धड़ और और टाँगों को उठा कर बिल्कुल एक सीध में कर लें।
अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 300 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से नीचे आ जायें। शुरुआत में कम देर करें कम से 10 सेकेंड या अधिक 30 सेकेंड भी बहुत है और आगे धीरे धीरे समय बढ़ायें।
आप इस आसन में मूलबंध लगाकर पद्धमासन लगाकर अच्छा लाभ पाएंगे।
इस आसन में कुम्भक नही करें।







सर्वांगासन के लाभ:-
हर आसन की तरह सर्वांगासन के भी अनेक लाभ होते हैं। उनमें से यहां कुछ हैं:-
कंधो और गर्दन में खिचाव पैदा कर वहां के रोगों में आराम करता है।
सर्वांगासन थायराइड और हाइपोथेलेमस ग्रंथियों को संतुलित करता है ताकि शरीर में उचित हार्मोन उत्पादन हो सके।
पुरुष के वीर्य में और स्त्री के रज में सही अंडों की मात्रा में व्रद्धि होती है।
हृदय और श्वसन प्रणाली को संतुलित कर मजबूत करता है।बल्डप्रेशन संतुलित होता है।
दृष्टि दोष में सुधार आता है।
सर्वांगासन से पाचन अंगों पर बहुत अच्छा सकारात्मक असर होता है जिस से पाचन् तंत्र में सही से रस बनने से पेट की कब्ज़ मि जाती है और आंतों की सूजन में राहत मिलती है।
इस आसन से चेहरे पे रक्त प्रवाह बढ़ने के कारण झाइयां ओर झुर्रियां कम होती हैं।
सर्वांगासन करने से मानसिक तनाव कम होता है जिस से सहज नींद आती है।
क्या हानियाँ है :-
बस कोईं ऑपरेशन हूआ हो,तब नहीं करें और कोई पेट या ह्रदय या छाती में भारी परेशानी या रोग हो तो नहीं करें।स्वस्थ होने पर ही करें
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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