सत्यास्मि ज्ञान सत्संग🙌

सत्यास्मि ज्ञान सत्संग🙌

भक्तो,अनेक दिनों से अनेक भक्तो के लगातार मेरे पास फोन और संदेश आ रहें है कि,गुरु जी कृपा करो,हम हमारा परिवार बीमार है और हमारा फलां बीमार है और हमारे किये जप दान क्यो फलित नही हो रहा,हमने आपसे भी कहा था,तो क्यों लाभ नही हो रहा तो,उन सभी भक्तो को मेरा कल्याणी
आर्शीर्वाद🙌
ओर सबके स्वाथ्य कल्याण के लिए किये गए दिन में अनेक बार यज्ञानुष्ठान से उनका पुण्यबल व्रद्धि हो,यो उसके लिए मैं सदा प्रयत्नशील हूँ,बस सभी अपना मन्त्र पाठ करते रहे,तभी जप शक्ति ग्रहण होगी,अन्यथा संसार मे इस समय केवल मनुष्य ने अपनी छली धोखे की प्रपंची प्रवर्ति के साथ साथ इस प्रकृति के साथ किये बुरे परिणाम का नतीजा बुरी शक्तियों के रूप में बदले में उसका कोप बन बरस रहा है,यो सबके लिए जितना बने जप तप और दान करो,यहां जप तप दान का अर्थ-अच्छे कर्मों के विकास को किया सभी तरहां का आत्मीक प्रयत्न मतलब है।
ओर विश्व प्रार्थना करो ताकि विश्व मे निरंतर फेल रही नकारात्मक शक्ति का प्रतिरोध होकर सकारात्मक शक्ति की व्रद्धि हो,वही सेवा तप दान की त्रिगुणी बढ़ी शक्ति ही रक्षा कवच बन हमें बचाएगी,जो की हमने 24 घँटे में अधिक समय मे की 18 घँटे की अपनी मौज मस्ती में समय खर्च करने को लेकर उपेक्षित व व्यर्थ की,यो याद रखो फिर दोहरा रहा हु की,आज के समय लोगो के प्रश्न आ रहे है कि,गुरु जी हमारा फलां भाई या बहिन या रिश्तेदार को हम अखण्ड ज्योत जलाकर खूब जप यज्ञ कर रहे है,उसे स्वास्थ्य लाभ नही हो रहा या नही हुआ और वो ये सब करने पर भी अस्पताल में काल को प्राप्त हो गया,तो भक्तो उत्तर यहिं है,की वो मैं होऊ या तुम,यदि हमने पहले से ही कितना पुण्यबल अर्जित किया है,अपने दिल से पूछो,तो उत्तर खुद मिलेगा कुछ विशेष नहीं।जो हम अपने से उसे दान कर उसकी पोजेटिविटी बढा कर उसे बचा सकते है,यानी जब हम पर ही कोई खास अच्छे कर्मों का पुण्य की कमाई का बेंकबेलेन्स नहीं है,तो हम उस बीमार को देंगे क्या?यो केवल अस्वासन ही देंगे,जो झूंठा वचन सिद्ध होगा।और वैसे भी,उस समय रोगी व्यक्ति कष्ट समय अपने कष्ट के कारण अपना मन बुद्धि एकाग्र ही नही कर पाता है,तो उसका चित्त आपकी भेजी सहायता को अपने मे लेने को स्वीकार ही नही कर पाता है,यहां ये बात लागू होती है कि,एक तो आप पर कोई खास पुण्य बल ही नही है और हैं भी तो,जरा सा,जो तुम्हे ही चाहिए अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा आदि को,तो वो इस एमरजेंसी में उसे चमत्कार के लिए विशेष लाभ नही दे पाएंगे और साथ में आप उसे अपनी पुण्यदान करते में पूरे संशय से,अनजाने भय से भी घिरे रहते है,की कोई असर हॉगा भी या नहीं,यो आपकी भेजी पोजेटिव शक्ति भी बहुत हद तक असर खोती हुई उस तक पहुँचती है,यो उसका असर कम होता जाता और होता है,ओर ये भी जाने की, किंतने लोग उस बीमार व्यक्ति के लिए दुआ करते है,कोई खास विशेष नहीं,क्योकि विपदा समय तो सभी अपने लिए अपना पुण्यबल बचा कर रखने में लगे रहते है,तब क्या ओर कैसे चमत्कारिक असर हॉगा ओर पंडित से कराए जप तप,भी आपके ओर उस पंडित के द्धारा किया पैसों को लेकर भक्तिविहीन पुण्यरहित सौदा होने से कमजोर ओर शक्तिविहीन ही होता है।तब आप समझो कि कैसे वो बीमार ठीक होगा और रहे डॉक्टर,वो जो चिकित्सा जानते है,वो केवल पदार्थो से बनी दवाइयां है,जो खुद नश्वर है,यानी नष्ट होने वाली है,वे कोई शाश्वत शक्ति नहीं है,नही तो उनकी ऑक्सीजन तभी तक कामयाब है,जब तक आपका कोई पुण्यबल काम करता है,यदि वो है तो आप ठीक अन्यथा आप रोग से पीड़ित रहेंगे,,समझे,,अन्यथा ईश्वरीय व्यवस्था अच्छे बुरे कर्मो के फल का अच्छा बुरा परिणाम मिलने का कोई अर्थ नहीं है।
अब,जब कोई सिद्ध गुरु उस पर कृपा करेगा तब भी,उस पर इस कृपा का तभी असर हॉगा जब वो उस गुरु को स्मरण कर रहा होगा,जैसे आप सुनना देखना कुछ चाहो,ओर मिला रहे किसी ओर चेनल को,कोई और पर कैसे वो मिलेगा,यो ही उस सिद्ध की कृपा शक्ति उस पर नही पहुँचेगी।क्योकि ये भक्ति में शक्ति का कृपा शक्ति सिद्धांत है।जैसे परीक्षा समय पढ़ने वाले विद्यार्थी का परीक्षा में हाल होता है,यदि किसी पूर्व किए पढ़ाई के परिश्रम से उस क्षण याद आ गया यो प्रश्न हल कर लेगा अन्यथा डिब्बा गोल।
यो ही कहा है कि,

अब किये क्या होत है।
जब चिड़ियां चुग गयी खेत।।

यो सदा ही ईश्वर नाम गुरु कथन पर चलते अपना समय समय पर, किया गया सेवा तप दान।
पुण्यवर्द्धिबल बन कल्याण।
जैसे रोज नियमित भोजन करने पर शक्ति मिलती है,न कि आज भरपेट ओर कल खाली।
तब शरीर हो या कार्य या बुद्धिबल नहीं बढ़ता है,यही आज के इस कठिन समय में अपनी व आपने परिजन की सहायता को किया जप तप दान का फल से मिले लाभ सहायता को समझे।अन्यथा कहोगे की,अजी हमने से खूब अखण्ड ज्योत जलाई ओर खूब जाप करे कराए पर कोई लाभ नही हुआ।तो चिंतन करें और समय रहते अच्छे कर्मों से जुड़ समय पर अच्छे कर्मों का फल प्राप्त ही हमें ईश्वर कृपा सहायता से सभी विपदा से बचें ओर दुसरो को बचा पाएंगे।

यो सत्संग कहता है,,
!!🌹सत्यास्मि ज्ञान सत्संग🌹-5!!

सत्यास्मि ज्ञान सत्संग श्रंखला में जनकल्याण भाव से कहते है कि,सभी भक्तो को समय रहते ही जप ओर सेवा और दान नियमित करते रहना चाहिये,तभी इनका उचित फल पूरा पूरा मिलता है,अन्यथा जैसे परीक्षा के समय ही अध्ययन करने से उतना उत्तम परिणाम नहिमिलता है जितना कि,नियमित अध्ययन से मिलता है और जो अपने अच्छे या बुरे कर्मो से व्यक्ति नेभाग्य फल इकट्ठा किया है,वही मिलेगा,अतिरिक्त कर्म करना ही सेवा और तप जप दान ही लौकिक ओर परालौकिक जगत में पुण्यवर्द्धिबल बनकर शुभ लाभ देता है।यो सदा समय रहते जप तप दान करते रहें।अन्यथा विपदा संकट कष्ट में किया जप तप दान मनचाहा फल नही देता और लोग निराशा से कहते है कि,इन जप तप दान का कोई लाभ नही होता है,,जैसे,,इन दोहों से समझो कि,

जिसकी लिखी जैसी लिखी
वैसे समय आवे काल।
बचा सके जो किया शुभ
बन दुआ दवा कमाल।।
सांस भी उसकी दुनियां उसकी
मेरा मेरा झूंठा बोल।
जो किया वही नो ग्रह बन मिलता
नहीं बचा सके झूँठ के ढ़ोल।।
सभी इंसान है मौत के पंजे
चाकर से मालिक के भेष।
इस दुनियां का कोई धन पद
नहीं बढ़ा बचा सके आयु शेष।।
दुनियां तीन साधन बनी है
तीन ही रिश्ते जुडे सभी।
ईश्वर जीव ओर माया त्रिगुण
सेवा तप दान पर ये टिके सभी।।
यो जप तप बल से प्रज्ञा बढ़ती
सेवा से मिले जग सभी सहाय।
दान का बल बढ़ ऐश्वर्य मिलता
तीनों के बल मिले योग अथाय।।
कष्ट समय का जप कम फलता
संकट समय का फले कम दान।
विपदा समय सेवा कम सहायक
तब स्वार्थी फल बन न करें कल्याण।।
यो इन्हें सदा ही करते रहना
तभी ये तीनों करें कल्याण।
ज्यों परीक्षा समय पढ़ धप्प ही लगती
यो सदा समय रह करो सेवा तप दान।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Scroll to Top