शुभ स्वागतम् सत्यास्मि अवतरण दिवस 9 अप्रैल
श्री स्वामी सत्येंद्र “सत्यसाहिब जी-जन्म दिवस पर्व पर सभी अर्थों को व्यक्त करती महामहिमा सर्वकल्याणकारी ज्ञानुपदेश कविता
स्वयं सिद्ध सिद्धई से परे
स्वयं सिद्धासिद्ध संज्ञान..
उदित तुम्हीं में सत्य ज्ञान का सूरज
“अहम् सत्यास्मि” कर आत्म भान..
नर नारी बीज “बारह युग” है
और नारी सभी क्षैत्र महान..
नारी “स्वतंत्र कुम्भ” स्नान दे
*’प्रेम पूर्णिमाँ” पुरुष दे ज्ञान..
फूल हाथ में ले खुशियों के
मुख पर सदा अभय मुस्कान..
प्रेम बरसते आखों से
वरदाता बन करें कल्यान..
सत्य स्वरूपी भक्त वत्सल्य
सदा सत्संग दे कर ज्ञान..
चतुर्थ धर्म भक्तों को बताकर
जीवन जीवन्त करते संज्ञान..
मैं हूँ सदा सहायक बन कर
और सदा अपने को जानो..
“सत्य ॐ सिद्धायै नमः” को जप कर
आत्मसाक्षात्कार ‘सत्यास्मि’ पहचानो..
सेवा तप जप दान सदा कर
त्याग नही अपनाना सीखों..
तू में मैं को मान सदा ही
कर्तव्य प्रेम निभाना सीखों..
प्रेम से ये जगत बना है
और प्रेम से हुआ जग विस्तार..
प्रेम ही जीवन सार है बंधु
प्रेम ही विश्ववत आभार..
तीनों काल में तुम्ही हुए हो
यो दोष कभी दूजे ना देना..
अपने कर्म को सही से करके
मित्रता देकर मित्रता ही लेना..
अपने कर्म से बंधन में हो
और कर्म से अपने मुक्त..
सदा अध्ययन सत्यास्मि करना
सत्य ॐ सिद्धायै नमः हो युक्त..
उत्तम शिष्य बनों तुम पहले
और गुरु बनों पा आत्मज्ञान..
तुम ही हो जीवंत ईश्वर
यही आत्म उद्धेश्य बना महान..
उठो जागो निंद्रा को त्यागो
नित्य क्षण सद् के कर्म करो..
प्रमाणित करो स्वयं इस जीवन
प्रेम जीवन जीवन्त करो..
अमावस मिटाओ आत्म दीप जलाकर
सत्य का करो आत्म प्रकाश..
प्रसन्न रहो प्रसन्ता देकर
यही है धर्म मनुष्यता विश्वास..
जय जय गुरुदेव
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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