शुभ दिवाली पर ज्ञान कविता संदेश-प्रदूषण नहीं बढ़ाएं,जीवन बचाएं,,
इसी जनसंदेश को देते हुए बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,
हर वर्ष की दिवाली पर प्रदूषण की मात्रा एक साथ बहुत अधिक अधिक बढ़ता है खासकर पटाखे फोड़ने से भयंकर रूप से मृत्युतुल्य प्रदूषण बढ़ जाता है,जो बहुत महीनों तक मनुष्यो को अनेक प्रकार के शारारिक मानसिक कष्ट देता है।पूरे साल में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान दीवाली के दिन फोड़े जाने वाले पटाखों से निकलने वाली गैस, आवाज और धूल फैलने से हाेता है। पर्यावरण सरंक्षण विभाग के द्वारा हर साल दीवाली के पूर्व और दीवाली के दिन शाम को हवा की जांच की जाती है। जिससे इस बात का पता हुआ है।
तेज आवाज वाले पटाखे प्रतिबंधित
रसायन शास्त्र के जानकार और पर्यावरण विभाग के मिली जानकारी के अनुसार तेज आवाज वाले पटाखों में बारूद, चारकोल, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे रसायन का इस्तेमाल अधिक मात्रा में होता है। जिससे पटाखों से चिंगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है। ऐसे पटाखों के फटने पर रसायनों का मिश्रण गैस के रूप में वातावरण में मुक्त होता है। इनके फटने से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और डस्ट के सूक्ष्म कण पर्यावरण में फैल जाते हैं।
तो सभी भक्तो से अनुरोध है कि,वे अत्याधिक तेज आवाज के पटाखें नहीं चलाये ओर अधिक से अधिक ऐसे प्रदूषण फैलाने के सभी कारणों से दूर रहकर अपना ओर अपने परिजनों के साथ साथ अपने समाज के स्वास्थ को संतुलित करने में अपना सहयोग दें।
ओर इस दीपावली पर मेरी शुभ संकल्प के दीप से आलोकित करने का प्रारम्भ कराती कविता इस प्रकार से है कि,,,
धूम धड़का फोड़ पटाखा
मचा जोर से पटाखें शोर।
धुंआ धकड गेस के बादल
घेरे रहे बढ़ चारों ओर।।
छूट रही फुलझड़ियां रँगी
बिखेर रही अंगारित फूल।
खांस रहे बच्चे और सब जन
हर सांस संग ले प्रदूषित धूल।।
सरकार कर रही रोज घोषणा
प्रदूषण बढ़ रहा है नित साल।
सबसे ज्यादा दीपावली बढ़ता
बढ़ पहुँचाता मानुष को काल।।
बांध कर ढाटा जीवन दे घाटा
नहीं मान रहे अपनी गलती।
बताते कारण बिन निवारण
कह हमारे त्यौहार नहीं है गलती।।
बढ़ कर धूल आकाश बना गूल
ढप दिए एक दूजे के चहरे।
आंखे लाल टपकते आंशू
बहती नांक छींक बिन ठहरे।।
खांस खांस कर टीबी बढ़ती
खराश बढ़ करें गले खराब।
रोगी बढ़ रहे प्रदूषण कारण
बिकती दिवाली खूब शराब।।
दीप प्रतीक जीवन की ज्योति
जलता मिटा अंध दे प्रकाश।
बिन अर्थ जाने व्यर्थ बहाने
दीप जलाते कर दीप उपहास।।
उत्सव नाम हुड़दंग रह गया
पीना पिलाना शराब जहर।
चला संगीत बिन सुंदर गीत
बढा अशांति ध्वनि प्रदूषण कहर।।
अरे..राम आये अधर्म मिटाएं
शांति दी जन धर्म समाज।
वही भूल कर मना दिवाली
राम उपदेश नाश कर आज।।
यो लोटो उसी राम राज्य में
जिसका अर्थ है जीवन दाता।
मिटाओ प्रदूषण राक्षस राज
यही संदेश राम दिवाली भाता।।
आओ दिवाली प्रदूषण रहित कर
राम नाम गुरु कीर्तन मनाये।
मिटा ध्वनि रसायन प्रदूषण
शुरू इसी दिवाली शुभत्व बढ़ाएं।।
आप सभी को दीपावली शुभ हो,इसी आर्शीर्वाद के साथ,,
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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