शहीद दिवस गांधी जी पुण्यतिथि 30 जनवरी पर ज्ञान कविता

शहीद दिवस गांधी जी पुण्यतिथि 30 जनवरी पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के द्धारा कहते है कि,

महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम गोडसे ने तीन गोली मार हत्या कर दी थी। इसके बाद से हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है और बापू को श्रद्धांजलि दी जाती है।
यो स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की गांधी के अहिंसावादी पंच नियम पथ दर्शन पर लिखी प्रेरक ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,

शहीद दिवस पर ज्ञान कविता

चल पड़ा जो ले राम नाम
अकेला ही संग्राम के पथ।
पंच नियम अभ्यास सदा कर
विनम्र से एकत्र कर जनमत।।
सत्य बोलता अहिंसक रहकर
अस्तेय अभ्यास द्धेष बिन रख।
अपरिग्रह एक लँगोटी तन पे
ब्रह्मचर्य नार संग बिन उपभोग रख सख्य।।
आत्मचिंतन से अन्तःप्रेरणा जगाकर
सुन उस ईशवाणी कर्मी बन अजर।
जो संकल्प करता वही व्रत धरता
आरपार करने चला अहिंसक बन निडर।।
देश व्यापी यात्रा कर जानी
जन जन दासत्त्व की भयानक पीड़ा।
चल रहे क्रांति के पथ जो
उन सहयोग संगत का ले पीढ़ा।।
जाने असफलता के कारण
युद्ध हिंसा नहीं बहुत उपयोग।
हिंसा सहयोग सभी नहीं करते
अहिंसा भाव रख करो प्रतिरोध।।
हिंसा अहिंसा अध्ययन किया
ओर पाया भारत युद्ध परिणाम।
जब जब हिंसा उठी देश भर
तब कुचली हिंसा हुई विराम।।
सैन्यबल न आधुनिकता भरा था
न कौशल रही युद्ध तकनीक।
भेदी ढाते स्व देशद्रोही बन
हज़ार साल से विफल युद्ध की लीक।।
क्रांतिकारी कितने मार पाये
गिनती के मारे अंग्रेज।
ओर पकड़े गए बहुत जल्द ही
फांसी चढ़े या सड़े जेल में भेज।।
क्रांतिकारी न जनसंग्रह कर पाए
न उभार पाए जन विद्रोह।
क्रांति परिणाम देख जनता ने
चुप्पी साधी मन रख द्रोह।।
बस इसी अहिंसा अस्त्र को रखकर
चल पड़ा एक लाठी के नियम।
क्रिया की प्रतिक्रिया को त्यागो
रखो बस वश अपने कर्म संयम।।
बस यही भाव महाभाव बन जागा
फैला सारे जन मन भर देश।
विरोध हुआ शांति के चल पथ
मिली पराजय चले बिन अंग्रेजों की पेश।।
देश में फैला अहिंसा आंदोलन
संग अंग्रेज पड़ी विश्वयुद्ध की मार।
उपयोगी सैन्यबल भारत की सेना
विजयी हुए अंग्रेज विपक्ष दे हार।।
बढ़ता गया असहयोग आंदोलन
फैल गांव राज्य सारे देश।
जला डाली विदेशी कपड़ों संग
त्याग हर वस्तु पैर से केश।।
नमक बनाकर अपने देश का
खादी कपड़ा चरखें पर काता।
दे स्वदेशी उत्पादन नारा
स्वावलंबन से जोड़ा देश का नाता।।
अहिंसा का दमन नहीं कर पाए
यो भागे अंग्रेज छोड़ दे स्वदेश।
स्वतंत्र हुआ भारत इस महानीति
अब रह गया सुधार परस्पर लेश।।
अंग्रेज गए बंटवारा देकर
हिंदू मुस्लिम खींच दीवार।
भयंकर नरसंहार हुआ देश में
निपटारा किया दे मुस्लिमगार।।
जो मांगा वही शर्त दे
निपटाया विवाद दो दल बीच।
यही विरोध बढा गरमदल
गांधी हत्या विचारा नीच।।
ओरो पर चला नहीं बस
अपने की ही कर दी हत्या।
एक कथित दीवाने हिंदू
गोली मारी गांधी कर हत्या।।
तीस जनवरी दिन था काला
उड़ गया हंस अहिंसक देश।
आज फिर हिंसा अहिंसा खड़ी है
पर विजयी आज भी अहिंसा गांधी के भेष।।
आओ मनाये शहीद दिवस हम
गांधी जी के विचार चलकर।
महावीर बुद्ध अशोक गांधी ने
अपनायी अहिंसा सफल जीवन कर।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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