शरद नवरात्रि 2020 कब से कब तक ओर क्या करें अपनी आत्मशक्ति जागरण को शक्ति उपासना,रेहीक्रियायोग विधि रहस्य से जानें उपासना,,
बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,
सच्चे अर्थ में शक्ति आराधना या शक्ति उपासना का सीधा सा अर्थ है-अपनी आत्मा की शक्ति की परमावस्था की प्राप्ति करनी।ओर इसी आत्मसाधना के चार पर्व ओर धर्म कर्म है-अर्थ-काम-धर्म और मोक्ष।ओर उनकी प्राप्ति को साधना करना।यही आत्मा के 8 मल जिन्हें अष्ट विकार कहते है-काम,क्रोध,लाभ,मोह अहंकार आदि ओर अंत मे 9 वीं शुद्धि को मिलाकर ही हम 9 रात्रि या नवरात्रि कहते है।यो अपनी आत्मा की शुद्धि का ये वर्ष में तीसरा भाग आता है-शरद महीने में,जो धर्म नामक कर्म कहलाता है।यो इस महीने के नो दिनों में आत्मा के प्रज्वलित स्वरूप को दर्शाती है,अखण्ड जीवन ज्योति।जो हम घी या तिल या सरसो के तेल के रूप में अपने पूजाघर में जलाते है और अपने गुरु मंत्र और इष्ट मन्त्र के जप के साथ साथ अपनी आत्मा के 9 भागों का ध्यान करते है-अंड सो ब्रह्मांड यानी जो अंदर है वही बाहर विश्व है या जो विश्व ब्रह्मांड है वही मेरा शरीर रूपी ये जीवित अंड है।
यो इसी क्रम में ध्यान करने की साधना का एक दिन के अंतराल से प्रारम्भ होता है।
17 अक्टूबर 2020 पहली नवरात्रि पुजा ध्यान में क्या करें:-
पहले दिन अपने साधना कक्ष में आसन पर बैठकर अपने दोनों पैरों से लेकर सारी बैठक यानी अपने बैठने की आसन मुद्रा के साथ मूलाधार चक्र का ध्यान करते गुरु मंत्र का जप करते है,इसी मूलाधार चक्र जिसे हमारी फाउंडेशन कहा जाता है,जिसे पृथ्वी कहते है।यही से जीवन और फिर मृत्यु ओर फिर पुनर्जीवन की प्राप्ति करते है।इस ध्यान में आपको अंधकार यानी तमगुण के दर्शन होते है।अनेक जीव जंतु निम्न मनुष्यों के स्थूल ओर सूक्ष्म सम्बन्धित ओर ध्वनि दर्शन श्रवण होते है।केतु ग्रह ओर शुक्र ग्रह की शुद्धि हो उनकी सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
सामान्य जनों के लिए 17 अक्टूबर, पहला दिन- प्रतिपदा, घटस्थापना, शैलपुत्री की पूजा का है।
18 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा ध्यान करें:-
इस दिन अपने पूजाघर में बैठकर अपने स्वाधिष्ठान चक्र का अपने गुरु मंत्र जप के साथ ध्यान करना है।स्वाधिष्ठान चक्र मैं स्वयं के होने का अहंकार का अज्ञान ओर ज्ञान का अनुभव और जल तत्व का शोधन होकर समस्त रक्त दोषों से शांति मिलती है।हरित प्रकृति यानी स्थूल प्रकति के दर्शन होते है।
सामान्य जनों के लिए 18 अक्टूबर, दूसरा दिन- द्वितीय, चंद्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा का है।
19 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा ध्यान करें:-
इस दिन आप पूजाघर या साधना स्थली पर सहजासन में बैठकर अपनी नाभिचक्र का गुरु मंत्र के साथ ध्यान करें।यहां केवल अग्नि तत्व ओर प्राणमय शरीर और ज्योति के दर्शन और सांसारिक सम्बन्धो का खुद से ओर खुद का इस प्रकृति और ब्रह्मण्ड से क्या व कैसा रिश्ता है आदि ज्ञान दर्शन अनुभव होते है,कुंडलिनी जाग्रत होती है।जीव सृष्टि का ज्ञान होता है।
सामान्यजन को 19 अकटूबर, तीसरा दिन – तृतीया, सिन्दूर तृतीया, चन्द्रघंटा देवी की पूजा का है।
20 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा ध्यान करें:-
इस दिन साधना कक्ष में सहजासन में ह्रदय चक्र का ध्यान करते गुरु मंत्र का जप करें।यहां ध्यान से सूक्ष्म प्रकृति के रजोगुणी प्रकृति के स्त्री तत्व के दर्शन होने से समस्त वैभव आदि की प्राप्ति होने लगती है।
सामान्यजन को 20 अक्टूबर, चौथा दिन 4 -चतुर्थी, कुष्मांडा देवी की पूजा, विनायक चतुर्थी, उपंग ललिता व्रत का करना बताया है।
21 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा जप ध्यान करें:-
इस दिन साधक अपने कंठ चक्र का ध्यान करते हुए अपने गुरु मंत्र का जप करें।यहां केवल जो अनुभव होता है,वो स्वानुभूति का गद्य पद्य में लिखना बोलना आदि की शक्ति प्राप्त होती है।यानी वाणी की शुद्ध सिद्धि होती है।
सामान्यजन को 21 अक्टूबर, दिन 5वां – पंचमी, स्कंदमाता देवी की पूजा, सरस्वती देवी का अवाहन करने का विधान है।
22 अक्टूबर 2020 को क्या ध्यान पूजा करें:-
इस दिन साधक अपने साधना स्थल पर बैठकर अपने तालुचक्र जो आपके मुख के अंदर ऊपर की ओर तालु भाग में होता है,उस भाग में ध्यान करते हुए अपने गुरु मंत्र का जप करें।यहां अनेक सिद्धियों के ओर रसों के अनुभव दर्शन होते है।
सामान्यजन को 22 अक्टूबर, दिन 6वां – षष्ठी, कात्यायनी देवी की पूजा ओर सरस्वती पूजा करने का विधान है।
23 अक्टूबर 2020 को क्या ध्यान पूजा करें:-
इस दिन साधक को अपने साधना कक्ष में सहजासन में बैठकर अपने आज्ञाचक्र का ध्यान करते हुए गुरु मंत्र का जप करना चाहिए।यहां श्वेत स्निग्ध चन्द्र रश्मियों से भरे भयंकर शीतल प्रकाश के दर्शन होते है ओर कभी सूर्य शक्ति के दर्शन होते है।आज्ञा यानी संकल्प सिद्धि होती है।
सामान्यजन को 23 अक्टूबर, दिन 7वां – सप्तमी, कालरात्रि देवी की पूजा करनी चाहिए।
24 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा ध्यान करें:-
इन दिन साधक को अपने साधना स्थल पर सहजासन में बैठकर अपने सहस्त्रार चक्र का ध्यान करते हुए अपना गुरु मंत्र जप करना चाहिए।यहां युगल या स्वयं के प्रेमरसिकता के दर्शन ओर उसके रस प्रधान सात्विक प्रेम में स्थिति और स्थिरता की प्राप्ति होती है।बहुत कुछ है यहां।
सामान्यजन को 24 अक्टूबर, दिन 8 – अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, महागौरी की पूजा, संधि पूजा करते हुए महा नवमी मनानी चाहिए।
25 अक्टूबर 2020 को क्या पूजा ध्यान करना चाहिए:-
इस दिन साधक को अपने सम्पूर्ण शरीर की उपस्थिति का अनुभव करते हुए उस चित्रण को अपने ध्यान में जहां बैठे हो,वहीं बैठे होने के भाव के साथ साक्षी भाव से गुरु मंत्र जप के साथ बीच बीच मे बिन मन्त्र जप के केवल अपने होने के भाव का ही अनुभव करते ध्यान करना चाहिए कि-बस मैं हूँ और सदा था-सदा हूँ और सदा रहूंगा।आत्मस्थिति की प्राप्ति होती है।
सामान्यजन 25 अक्टूबर, दिन 9 – नवमी, आयुध यानी अपने अस्त्रों की पूजा ओर नवमी होम यज्ञ करते हुए नवरात्रि का समापन करना चाहिये।
इसी दिन के अर्धदिन से दशमी तिथि भी लगेगी पर मूल में दशमी तिथि अगले दिन ही मनेगी।
विजयादशमी:-
विजयदशमी के दिन क्या पूजा ध्यान करें:-
इस दिन साधक को अपने होने के भाव का विश्वव्यापकता के साथ सम्पूर्ण दिशाओं में अपनी आत्मउर्जा के विस्तार के साथ जुड़ाव का अनुभव करते हुए जप करना सभी ओर शुभ हो,सबका कल्याण हो,सभी मेरे अपने ही स्वरूप है,मैं सभी मैं हूँ और सब मुझ में है,ये महाभाव का अनुभव करना चाहिए।ये ही नव रात्रि से मुक्ति का अपनी आत्मा में नवभोर के होने का महाशुद्धि भाव है।यही मुख्य है,जो सदा होना चाहिये,यही आगामी गुप्त नवरात्रि है।जो आगे माघ महीने 2021 में पड़ेगी।यही विस्तार की साधना तब करनी है।
सामान्यजनों के लिए 26 अक्टूबर, दिन 10 – दशमी को अपने यहां पीली मटटी ओर गाय के गोवर से निर्मित दुर्गा देवी प्रतिमा का विसर्जन का अनुष्ठान होता है,वह करें।
तो सभी रेहीक्रियायोग साधक यही साधना शरद नवरात्रि में करें और करें आत्म उजियारा जो दीवावली कहलाती हैं।
सदा रेहीक्रियायोग करो!!
हे नरो-आत्मसाक्षात्कारी बन तरो।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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