विश्व विवाह दिवस World Marriage Day फरवरी के दूसरे रविवार पर ज्ञान कविता

विश्व विवाह दिवस World Marriage Day फरवरी के दूसरे रविवार पर ज्ञान कविता

इस विश्व विवाह दिवस World Marriage Day पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से विवाह के नो प्रेमिक संस्कार कर्म धर्म क्या ओर कैसे किस विधि से अपनाते हुए निभाये की वर्तमान जीवन मे ही भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होने के अन्त मे दोनों आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति करें यही जनसंदेश देते कहते है कि

विश्व भर में हर वर्ष फ़रवरी माह के दूसरे रविवार को ये विश्व विवाह दिवस World Marriage Day मनाया जाता है।मनुष्य जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण यह दिवस विवाह संस्कार के संक्षिप्त संस्करण के रूप में विश्व भर मनाया जाता है। विवाह स्वयं में दो वयस्क स्त्री-पुरुष के कानूनी, सामाजिक और धार्मिक रूप से एक साथ विधिवत रहने को मान्यता प्रदान करता है। विवाह मानव-समाज की सर्वाधिक महत्वपूर्ण जीवन उपयोगी प्रथा ओर समाज शास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई होने के साथ परिवार स्थापना की जड़ है। देश विदेश में विवाह का होने व करने का प्रचलन सभी ओर अनेकों रूप में व्यवस्थित परम्परा से होते देखने को मिलता है, यह मानव जीवन के साथ ही अनादिकाल से अनेक चरणों मे विकसित होती हुई, मनुष्य जीवन शैली का अभिन्न अंग है।इन्हीं सब कारण के मध्यनजर से, सम्पूर्ण विश्व में फ़रवरी के दूसरे रविवार को ‘विश्व विवाह दिवस’ world Marriage Day के रूप में मनाया जाता है और सभी पूर्व व नव विवाहित पति-पत्नी के परस्पर संबंधों को नयी प्रेम ऊर्जा भरी स्वस्थता की ताजगी एवं सम्मान ओर विश्वनीयता से भरी सुदृढ़ता देने का प्रयास किया जाता है।
विश्व भर के सभी पति-पत्नी के वैवाहिक रिश्तों में प्रेम के नवधा रस भरें रहें, इसके लिये फ़रवरी माह के दूसरे रविवार को विश्व विवाह दिवस world Marriage Day मनाया जाता है और यह दिवस विवाह संस्कारो का पुनर्जागरण नवीनीकरण के साथ जीवन उपयोगी संस्कृति का संवाहक है। मानवीय मन का प्रेमिक आत्मीक व्याख्या-सूत्र है। बाहरी और भीतरी चेतना का परस्पर प्रेम रास भरा संवाद संग स्वाद है। यह दिवस फिर से उसे एक नई दिशा और नए शेष रहे जीवन के चिंतन दर्शन को अपने नवजीवन में लेने का अवसर है।पुनः पुनः नव संकल्प से पुरुषार्थ से बनने वाले भाग्य को रचने का सुनहरा अवसर है। प्राचीन एवं मध्य काल के धर्मशास्त्री तथा वर्तमान युग के समाजशास्त्री, समाज द्वारा अनुमोदित, परिवार की स्थापना करने वाली किसी भी सार्वजनिक पद्धति को ही विवाह ओर उसका कारक मानते हैं।
यो अवश्य इस दिवस पर पुनः पुनः अपने इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण जीवन पक्ष को आत्मचिंतन से जानकर नवजीवनदायी बनाकर जिये।इसी आशा के साथ..
इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से विवाह के नो प्रेमिक संस्कार कर्म धर्म क्या ओर कैसे किस विधि से अपनाते हुए निभाये की वर्तमान जीवन मे ही भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होने के अन्त मे दोनों आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति करें यही जनसंदेश देते कहते है कि
विश्व विवाह दिवस पर सत्यास्मि ज्ञान कविता

विवाह नाम शादी परिणय
ब्याह पाणिग्रहण गठबंधन।
दो तन मन आत्मा मिल एक हो
जन्म जन्म के फल कर्मबंधन।।
जन्मों का प्रेम चढ़ता नो क्रम
पाता नवधा क्रमबद्ध भक्ति।
श्रवण कीर्तन स्मरण सेवा
अर्पण वंदन दास्य सख्य भावशक्ति।।
यही नवधा भक्ति सात वचन चढ़े
एक एक सीढ़ी फेरे वेदी विवाह।
जीवन इन्हीं सप्तपद आगे चले
मन कर्म वचन सत्य निर्वाह।।
पहला वचन सर्व धर्म की संगत
एक दूजे की हो संगत सहयोग।
एक दूजे धर्म कर्म ज्ञान हो
बिन छिपाए पाएं जीवन सुयोग।।
दूजा वचन एक दूजे परिजन
माता पिता दें सम सम्मान।
भेद न समझे इसका उसका
तब चरम पाये वर वधु स्वमान।।
तीजा वचन मित्रवत रहना
खुला परस्पर हम सब सम्बंध।
सदव्यवहार एक दूजे सम्मानित
अपशब्द निर्लज्जता बिन कर सुप्रबंध।।
चौथा वचन गृहस्थी भार वहन कर
बिन आश्रित दूजे आश्रय ले।
जो बने हम बढ़ाएं सुख संतति
भविष्य सद्चिन्तन परस्पर दें ले।।
पांचवां वचन लेन देन खर्च आय का
मंत्रणा कर सहमति दें सुख।
बिन योजना संतुष्टि के संग
न करें कार्य अंतर्मन के दुःख।।
छठां वचन मित्र बन्धुजन
दोनों के हो सद्व्यवहारी।
हस्यपरिहास मध्य अपमान न करना
परनर नार सम्बंध हो बन्धुत्वधारी।।
सातवां वचन व्यसन मुक्त हों
बुरी नियत नहीं संपत्ति कर।
बचत सदा करके चले हम
भविष्य निधि संतति सुख कर।।
आठवां वचन रोग कष्ट संकट
कर्ज फर्ज के प्रति बन निष्कंटक।
दे कर सदा सहायता स्वार्थ बिन
पूर्व वर्तमान काटें दुष्कर्म कंटक।।
नवां वचन मोक्ष हित हो
ले सहारा एक दूजे तक अंत।
प्रेम की खिला सोलह कला पूर्णिमा
आत्मा बना परमात्मा स्वसंत ।।
यही विवाह अर्थ है सनातन
जो चलता इन नवधा भक्ति पथ।
वही भौतिक आध्यात्मिक प्राप्ति कर
शाश्वत आत्मसाक्षात्कार के गत।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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