विश्व नींद दिवस World Sleep Day 21 मार्च पर ज्ञान कविता
इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी लोगों की व्यस्त ओर बिगड़ती दिनचर्या के कारण अनिंद्रा रोग से ग्रस्त होकर जीवन दुष्कर होते जा रहे जीवन पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से समाधान सहित बता रहें है कि
हर वर्ष मार्च महीने के मध्य के बाद के पड़ने वाले पहले शुक्रवार को मनाया जाता है। वैसे 21 मार्च एक निश्चित दिन भी माना गया है।इस दिवस पर संसार मे एक विकट समस्या बनी नींद ओर उसके जीवन में महत्त्व को दर्शाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक अच्छी नींद बहुत आवश्यक है, लेकिन विश्व सर्वेक्षण में पता चला है कि संसार भर में 10 करोड़ लोग ‘स्लीप एप्निआ’ यानी स्वस्थ नींद न आने की समस्या से ग्रस्त हो रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी के विषय मे नहीं जानते हैं और लगभग 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं तो उसे नियमित बनाए रखने के लिए अनेक उपाय करते है।
भारतीय शोधकर्ताओं के अनुसार यह बात सामने आई है कि भारत में भी 20.3 प्रतिशत रोगी डॉक्टरों से नींद की क्या गोलियां खाएं इस सम्बन्धित उनकी सलाह लेते हुए दवाइयों को खाते हैं। इसी बात से ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि आज लोग नींद को लेकर कितनी बदतर हालत के दुख से शिकार है।एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लेना या आना बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है यदि देर से रात को सोते हो तो सुपाच्य भोजन करें और उसे पचाने को पानी खूब पिये।साथ ही सोने से पहले थोड़ी देर ध्यान करें और अपने ईश्वर या गुरु का मन्त्र का जप या प्रार्थना अवश्य करे और उसे ही करते करते खुद ही बहुत जल्दी नींद आ जाती है।
प्रातः जब भी उठें,तब शौच से निवर्त होकर अवश्य ही कुछ देर टहलें या प्राणायाम करें या कोईं भी व्यायाम अवश्य करें और वैसे भी जब भी ऑफिस या व्यवसाय के बीच समय मिले तब भी कोईं न कोई स्ट्रेचिंग व्यायाम अवश्य करें तो आपको अनिंद्रा के रोग से कभी परेशानी नहीं होगी।
इसी सबको लेकर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी कविता इस प्रकार से कही है कि
विश्व निंद्रा दिवस पर ज्ञान कविता
सोना भी एक समस्या आज
निंद्रा लाना बन गया काज।
कैसे आये नींद हमें अब
चिकित्सक बताये ये भी राज।।
हद हो गयी इस पागलपन पर
कैसे सोए किसी लेट मुद्रा।
कह रहे ओर सीखा रहे है
बता सुला सुधार निंद्रा।।
वैसे ये समस्या पहले से है
जब बच्चे को मां जन्मती है।
फिर उसे सुलाने के प्रयत्न में
खुद थक नींद आंख पनपती है।।
कहती हैं कि दिन में सोता
ओर जाग जगाता हमको रात।
गाओ इसे लोरियां सुना यादकर
नई नई बना सुला कर बात।।
यही कारण आज बन गया सबको
दिन दोपहर नहीं सो पाते है।
देर रात ढेर खाना खा कर
फिर प्रयत्न नींद सुख पाते हैं।।
खाते दवाई नींद लाने को
पड़ती जाती इसकी आदत।
फिर बढ़ जाती दवाई मात्रा
संग मनोरोग बढ़ डर दे बाँधत।।
दवा बिन मैं कैसे सोऊ
लोरी बिन सोऊ कैसे।
इन तनाव दो पाले करवट बदलूं
जुझुं इन,मुक्त नींद आये ऐसे वैसे।।
सम्मोहनकर्ता सुला रहे
शोधकर्ता कर रहे नींद प्रयोग।
क्या चल रहा अंतर्मन हम
उसे मिटा भुला अनिंद्रा दे वियोग।।
नींद लाने को धन खर्च करते
नींद उड़ाने को पहले कर खर्च।
अब दोनों को भगाने लाने को
झगड़ें मन तन करके खर्च।।
अरे,मनुष्य हो इन प्रपंच दूर
मन नहीं शरीर थका हो चूर।
गहरे सांस ले हर रात घूम
फिर सोए तू बन थकन के सूर।।
कोई याद कर प्यार का पल
या सोच कोई किया अच्छा काम।
सेवा कर अपने परिजन हर रात
फिर देख नींद तुंझ आये अविराम।।
आओ इस निंद्रा दिवस पर
अपनी दिनचर्या सुधारे हम।
सेवा ओर जप कर शुभता भर
भूले कहना नींद आये हम कम।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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