विश्व जनसंख्या दिवस World Population Day पर ज्ञान कविता

विश्व जनसंख्या दिवस World Population Day पर ज्ञान कविता

इस World Population Day दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के द्धारा इस प्रकार से जनसंदेश देते कहते है कि,

विश्व जनसंख्या दिवस यानी World Population Day दुनिया भर में जनसंख्या की विकट बढ़ती अनियंत्रित होती भयानक समस्या की ओर तात्कालिकता और इसके भयावह परिणाम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट 2017 के अनुसार, वर्तमान विश्व की जनसंख्या 7.6 बिलियन है और इसी हिसाब से बढते हुए ये 2030 में जाकर 8.6 बिलियन तक पहुंचने की कम से कम अनुमानित गणना है।11 जुलाई 1987 को पूरे संसार में पांच बिलियन आबादी का दिन था, जिस कारण इस भविष्य के खतरे को देखते हुये इसे वार्षिक कार्यक्रम के मनाने को जनचेतना जागरूकता हेतु स्थापना की थी। इस दिवस का प्रारम्भ 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की तत्कालीन गवर्निंग काउंसिल ने की थी।ओर इस सम्बंध में सभी को बहुत चेतन की आवश्यकता है,अन्यथा इस धरती पर मारामारी ओर भुखमरी के अलावा कुछ नहीं बचेगा।
इसी सबको मध्यनजर रखते हुए स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता से जनसंदेश देते कहते है कि,

इस दिवस पर ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि
बढ़ती जा रही जनसँख्या मानव
जन्मदर बढ़ कर दिन रात।
नियंत्रण नाम मात्र प्रचार जग
पर बोझ बढा दे रहे धरा आघात।।
आबादी बढ़ रही गांव शहर में
ओर भूमि पड़ती जा रही कम।
खाने के लाले पड़े आज जग
भुखमरी फेल घोट रही जन दम।।
पेड़ काटते पहाड़ मिटाते
भरते जा रहे जलनिकास।
बस रहने को बनाते जा रहे
बढा जनसँख्या कर खूब विकास।।
खेती कम कपास फसल की
कैसे बनेंगे सबके वस्त्र।
छीन रहे एक दूजे निवाला
खाना छीने डरा मार एक दूजे अस्त्र।।
भीड़ बढ़ती जा रही सड़कों पर
वाहन किंतने चलाये सरकार।
निजी वाहन में भरे परिजन
खाली बची नहीं सड़क किनार।।
ना नोकरी न छोकरा छोकरी
ना रहेगा साधन धरती पर एक।
जीना होगा निरंतर मुश्किल
वृद्ध दिए जाएंगे घर से फेंक।।
स्त्री पुरुष अनुपात घट गया
कहीं पुरुष तो कहीं नारी हैं कम।
यो विवाह समस्या बढ़ता जा रहा
ओर व्यभचार बढ़ रहा घोटता दम।।
मानव ने अपने सुख हेतु
जीव मार दिए जगहां कर कम।
ओर अब एक दूजे मार रहा है
कर विस्फोट धरा पर बम।।
मशीन बनी बच्चे पैदा करने को
देह तोड़ती मरकर नारी।
कमजोर अपंग बच्चें पैदा करती
बढा रही जनसँख्या विकृत सारी।।
एक दिन ऐसा आएगा जब
युद्ध होंगे इस समस्या हर देश।
अपनी जीत को विस्फोट करेंगे
खुद मर मार हो धरा बिन शेष।।
ब्रह्मचर्य ओर संयम बढाओ
अपने दैनिक गृहस्थी जीवन।
ओर यही ज्ञान दो अपनी सन्तति
इस नियम नियंत्रित जनसँख्या होवन।।
आओ जनसँख्या करें नियंत्रण
पौरुष का सही अर्थ को जान।
जनो एक ही संतति सुदृढ
भविष्य द उसे जीयो स्व सुख सम्मान।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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