विश्व खिलौना दिवस पर ज्ञान कविता
इस विश्व खिलौनें दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से खिलौनें के मनुष्य के बाल्य जीवन मे कितना महत्त्व है ओर व्यवसाय उद्योग के तौर पर किंतने बड़े स्तर पर जन कल्याण विशेषकर महिलाओं को उनके आर्थिक स्तर पर कितना व्यापक महत्त्व रखता है, ये इस प्रकार बताते है कि
देश विदेशों में मनुष्य सभ्यता के साथ ही खिलौनों का कितना बड़ा स्थान है ये उन खोयी सभ्यताओं में मटटी लड़कियों पत्थरो के बने सुंदर खिलौनों के मिलने पर पता चलता है।आज भी सभी देशों में अनगिनत बच्चों को इन खिलौनों का उनके बाल्य जीवन के विकास में उनके साथ खेलते हुए कितना बड़ा सहयोग है।साथ ही खिलौनों की निरंतर मांग बढ़ती जाती है,बस नए नए रूप में नए मैटीरियल से बने हानिरहित होने की मांग अधिक है,क्योकि बच्चे इन प्लास्टिकों व मैटीरियल से बने खिलौनों को अपने मुंह मे लिए रखने से इंफेक्शन होने का भय रहता है,ये सावधानी माता पिता संग कम्पनियों की भी बहुत आवश्यक है। आज भारत देश में स्वदेशी खिलौनों की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार देश के राज्यो में खिलौना उत्पादन का हब बनाने की तैयारी कर रही है। खिलौनों का उत्पादन बढ़ाकर राज्य सरकार की योजना तीन लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ने की है। इसके लिए नई खिलौना नीति लाने की तैयारी भी चल रही है, जिसके अंतर्गत अगले पांच साल में प्रदेश में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।साथ ही देश में
नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा
एमएसएमई विभाग के अनुसार, खिलौना उद्योग बढ़ने का सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं को मिलेगा।क्योंकि, इस उद्योग में सिलाई के काम में अधिकांश महिलाएं हैं। वहीं, निवेश करने वाले देसी और विदेशी निवेशकों को पूंजी, ब्याज, जमीन की खरीद पर स्टैंप ड्यूटी, पेटेंट, बिजली, परिवहन समेत कई सुविधाओं पर सब्सिडी दी जाएगी।
यदि निवेशक महिला, एसएसी-एसटी, आर्मी या अर्द्धसैनिक बलों से जुड़े हैं तो उनको अतिरिक्त रियायतें मिलेंगी। इसी तरह, 200 करोड़ रुपये का निवेश और 1000 या इससे अधिक रोजगार देने वाली इकाइयों को भी अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएंगी।
इन्ही सब बातों को मध्यनजर रखते हुए स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ये कविता यही जनसंदेश देती है कि
world toy day विश्व खिलोने दिवस पर कविता
लाल पीले हरे गुलाबी
लुभाते खेल खिलोने रंग।
हर पात्र जीवित हो जाता
लकड़ी प्लास्टिक रूप के संग।।
बच्चों का तो मानों जीवन
जो उनको देता खिली खुशी।
वे इन साथ जीते सोते खाते
ओर प्यारे साथी संग करते हंसीं।।
बिन बोले उनसे करते बातें
लेकर उनकी संगत सोतें।
रूठ फेंक उन्हें गुस्सा कर जाहिर
फिर बिन उन उपस्थिति में रोते।।
लड़कों पसंद बंदूक खिलौनें
लड़की रुचि गुड़िया डॉल।
झुनझुने गाड़ी झुकछुक रेल
खिलौनें पिचके खुश पीं सुन बोल।।
किसने ओर कब बनाये खिलौनें
ये पता मनुष्य सभ्यता सँग मिलता।
सभी प्राचीन ग्रँथों में लिखा ये
खेलते मट्टी लकड़ी खिलौनें मिलता।।
मोहन जोदड़ो मिलें खिलौनें
ओर भी मिले अनेकों देश।
यो चलती आ रही खेल परंपरा
खिलौनें की जन राजा बच्चे भेष।।
खिलौनें निर्माण रोजगार सदा जन
ओर आज बड़े व्यापक स्तर।
सरकार सहायता दे इस व्यवसाय
आर्थिक सुधार बढ़े महिला स्तर।।
खिलौनें विश्व व्यापार बढ़े नित
ये कभी नहीं मिटता इस जग।
नया बदलाव खिलौनें नए बनकर
बढ़ता मांग बन बच्चों के जग।।
बच्चे भी सीखते कोन जीव ये
ओर कोन वस्तु ये खिलौना है।
किस विधि से जुड़ता तोड़कर
ये ज्ञान विकास सहायक खिलौना है।।
आओ खिलौना दिवस मनाएं
नए खिलौनें दे अपने बच्चे।
उन्हें सिखाएं व्यवहार खुशी संग
कैसे बने जीवों के प्रति सच्चे।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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