रविवार, 9 फरवरी को माघ मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है।वैसे इस दिन संत रविवदास की जयंती भी है। माघी पूर्णिमा पर इस माह में करने वाले सभी स्नान भी समाप्त हो जाएंगे।ओर 10 फरवरी से फाल्गुन मास शुरू हो जाएगा।
माघ पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्त्व क्या है,वो बताता हूं कि,,
भारतीय ज्योतिष की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के प्रारम्भ से पूर्व गुप्त नवरात्रि के अंत में जब चन्द्रमा अपनी ही राशि कर्क में होता है तथा सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में होता है तब “माघ पूर्णिमा” का शुभ योग बनता है। इस योग में सूर्य यानी पुरुष शक्ति और चन्द्रमा यानी स्त्री शक्ति,ये एक दूसरे से आमने सामने होते है। यानी दोनों समान होते है,यही व्यक्ति के सम्पूर्ण शरीर मे सूर्य नाड़ी ओर चन्द्र नाड़ी का प्रवाह प्रकार्तिक रूप में एक होकर सुषम्ना नाड़ी का खुलना होता है,तब जो भी इस अवधि में जप करता ध्यानयोग का अभ्यास करता है,उसके मन की दोनों धाराएं एक होकर अपनी उच्चतर स्थिति में सहजता से एकाग्रता को प्राप्त होकर,साधक को सहजता में ही शुद्ध चित्त में प्रवेश होकर संयम विद्या नामक ध्यान स्थिति में प्रवेश करती है,परिणाम साधक को ध्यान की उच्चता की प्राप्ति होती जाती है।यो इस समय अवश्य ही जप ओर रेहीक्रिया योग का धयान करना चाहिए।परम लाभ होता है,अपने चित्त में प्रकाश की अधिकता बढ़ती है।
यो इस योग को ज्योतिष में “पुण्य योग” भी कहा जाता है। इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट शीघ्र ही नष्ट हो जाते है।साधक में सूर्य यानी व्यक्ति की आत्मा का मूल आत्मज्ञान ओर भौतिक पद, प्रतिष्ठा,सन्तान सुख, ओर चन्द्र यानी मन,इच्छा शक्ति का विशेष विकास होकर,मानसिक विक्षिप्तता मिटकर आत्मिक शांति,शिक्षा में लाभ,प्रेम लाभ आदि की प्राप्ति होती है।
ओर जिस जातक की जन्मकुंडली में चन्द्रमा नीच का है तथा मानसिक संताप प्रदान कर रहा है तो उसे सम्पूर्ण मास अपने स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए तथा पूर्णिमा व उससे आगामी अंतिम दिन में चावलों,चीनी,सफेद वस्त्रों का दान करे, या सधवा स्त्री या कन्या को कोई चांदी का गहना आदि दान करना चाहिए ऐसा करने से चन्द्रमा का दोष समाप्त हो जाता है।
जिस जातक की कुंडली में सूर्य तुला राशि में है तथा मान-सम्मान, यश में कमी प्रदान कर रहा है तो वैसे व्यक्ति को माघ पूर्णिमा को स्नान करना चाहिए तथा सूर्य भगवान् का प्रातः उठकर उन्हें थोड़ा सा देखकर,फिर आंखे बन्द करके अपने गुरु मंत्र से जप करते ध्यान करना चाहिए और प्रतिदिन जल का इन्हें अर्घ्य देना चाहिए ऐसा करने से सूर्य से मिलने वाले कष्ट दूर हो जाते है।
वैसे जो गुरु मंत्र,सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट स्वाहा का रेहीक्रिया योग के साथ किसी भी पूर्णिमा के समय मे ध्यान करता है,उसे सभी मन्वसंछित इच्छित लाभ प्राप्त होते है।अधिक से अधिक खीर का प्रसाद बांटना चाहिए।
पूर्णिमा तिथि आरंभ – फरवरी 08, 2020 को 04:01 पी एम से
पूर्णिमा तिथि का समापन – फरवरी 09, 2020 को 01:02 पी एम तक