पितृपक्ष प्रारम्भ,,ओर क्या करें अपने पितरों का शाप विमोचन करके पाएं आशीर्वाद,,,
बता रहे है,महागुरु स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,
आज की पूर्णिमा रात्रि में 12 बजे से लेकर प्रातः तक आये जो भी स्वप्न हो,उसका अर्थ लग्गये और विशेषकर,इस रात्रि में जो भी आपका पितृ स्वप्न में दिखें,तो जाने की आपको उसी पितृ के लिए जप ध्यान दान करना है।
ओर जो पितृ नहीं दिखें तो,पक्की तौर पर जाने की,वो आगामी जन्म लेकर आपसे उसका कोई नाता नहीं है यानी उस पितृ का न तो आपसे शत्रुता है और न ही मित्रता है,यो उसके लिये जप तप दान करना व्यर्थ ही होगा।चाहे वो आपका ननसाल के पितृ हो या अपने वंश कुल के पितृ हो।
ध्यान रहे केवल ओर केवल,जो भी पितृ इस पितृपक्ष में दिखाई दें,वो चाहे जीवित परिजन या परिचित के साथ दिखे,वही पितृ के लिए जप तप दान करना है।
ओर परिचितों जीवित व्यक्ति या अपने परिचित परिजनों या मित्रों या शत्रु के साथ अनजाने लोग दिखे,जिन्हें आप जानते नहीं है,तो वे आपके भूले बिछड़े ओर ऐसे पितृ है,जो आपके पूर्वज है,यो उनके लिए भी इन दिनों में कभी भी किसी भी समय,अपने सीधे हाथ में गंगाजल लेकर सदा भाषा मे संकल्प बोले कि,हे,, मेरे पितरों मेरे द्धारा किसी भी प्रकार का कोईं भी जाना अनजान पाप दुःखद कर्म हुआ हो,वो आप क्षमा करें और मेरे द्धारा किये अपनी सामर्थ्यानुसार जप ध्यान दान को स्वीकार करते हुए,मुझ पर अपनी कृपा करें,मेरी मनोकामना पूर्ण करें।
ओर जप अपने सीधे हाथ की ओर पृथ्वी पर छोड़ दे और गुरु मंत्र का जप करते रेहि क्रियायोग करते रहे,आपका जप तप स्वयं ही उन पितरों को पूरा का पूरा प्राप्त होगा।
चाहे तो,आप 15 व 16 वें दिन तक को घी या तिल के तेल की अखण्ड ज्योति अपने पूजाघर में जला सकते है।
आपने गुरु व इष्ट मन्त्र से दिन में ओर रात्रि के किसी भी समय मे यज्ञ भी अवश्य करें और चतुर्थी व अष्टमी व इंद्रा एकादशी ओर अमावस्या लो तो अवश्य ही जितना अधिक बने यज्ञ करें,एक मन्त्र उच्चारण के बाद सामान्य सामग्री डालते हुए,यानी हर एक माला के अंत मे बना के रखी खीर में से एक चम्मच खीर की आहुति यज्ञ में देते रहें।
इन पितृपक्ष में पितरों के लिए कोई अलग से भिन्न जप करने की जरूरत नहीं है,केवल अपना गुरु मंत्र ही सबसे महान कल्याणकारी है।यो उसे ही करें
और जिन पर गुरु मन्त्र नही है,वे
चाहे तो महागुरूमन्त्र-सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट स्वाहा का जप कर सकते है,ये गुरु आज्ञा से तुरन्त फलित कृपालु महामंत्र है।
अन्यथा,,
ॐ श्री गुरुवे नमः की एक माला करने के बाद में, फिर ॐ श्री पितरायै नमः का जप सवा लाख या तीन लाख जप करें।
इन पितृपक्ष में नित्य प्रतिदिन किसी भी समय,जो भी मांगने आये या मन्दिर के पुजारी या दानपात्र में या गुरु आश्रम को,, जो बने दान किया करे।
इन पितृपक्ष के 15 दिनों में,कम से कम जप माला से अपने गुरु मन्त्र के सवा लाख या सवा तीन लाख जप अवश्य करें।
वैसे सबसे उत्तम है,रेहीक्रियायोग करना,उससे स्वयं ही बिन यज्ञ व अनुष्ठान आदि के। सर्व पितरों को स्वयं ही जप तप पहुँच जाता है।
ओर रेहीक्रियायोग के बाद दैनिक रूप से, जो बने अपना दान करें।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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