आओ इसे राम काल से ही देखें,,
1-राम के जन्म के कुछ वर्ष बाद उन्हें गुरु महर्षि विश्वामित्र ताड़का असुर आदि के वध को वन ले गए और वहां से अस्त्र शस्त्र विद्या ज्ञान देते हुए,ताड़का आदि का वध कराते हुए,महाराज जनक पुत्री स्वयंवर में ले जाकर शिव धनुष तुड़वाकर,परशुरामजी का अहंकार नष्ट कराकर,सीता सहित सभी भाईयों का विवाह करा वापस अयोध्या लाये।ये कथा सब को पता है,पर यहीं से ये विध्न शुरू हुए,जो आजतक यथावत बने हुए है-इन्हें देवयोग घोषित किये गए है,जो गहराई से अध्ययन तर्क से देखोगे तो ये आज तक का सत्य पता चल जाएगा।
1-राज्याभिषेक की घोषणा होते ही,केकयी के अंदर शाप का प्रवेश होकर श्रीराम को राज्य त्याग और 14 साल का वनवास हो गया।
2–राम के वनवास जाने के बाद अयोध्या में दशरथ पुत्र वियोग में शापित होकर तड़फ कर मृत्यु को प्राप्त हुए और उनकी तीनों महारानियां कौशल्या,केकयी ओर सुमित्रा,विधवा के रूप में ओर लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला,
सहित सीता की दो बहिनें मांडवी जो भरत की पत्नी थी ओर श्रुतकीर्ति जो शत्रुघ्न की पत्नी थी,वे भी अपने पतियों सहित तपस्यार्थी। बन जीवन जीया।तब वहां श्री हीन यानी अज्ञात शाप के चलते हुए,श्री राम जी का जन्म स्थान ऐश्वर्य ओर राजवैभव विहीन राजमहल बना रहा।
3-फिर आगे अज्ञात शाप के चलते हुए,श्री राम अपनी पत्नी सीता के साथ वन वन भटके ओर वहां से सुपर्ण खां के वध से रावण ने सीता का अपरहण का शाप शुरू हो गया।
4-फिर राम रावण युद्ध के बाद सीता की अग्नि परीक्षा का शाप विध्न बन आया।
5-वहां से श्री राम सीता प्रसन्नता के साथ अयोध्या को लौटे,खुशियां आयी सन्तति सुख के होने के साथ ही कि,शाप फिर से धोबी का सीता चरित्र पर धब्बा बनकर सामने आ गया और सीता को गर्भवती अवस्था मे त्याग देना पड़ा।
6-ओर सबसे बड़ा शाप का परिणाम यहीं से प्रारम्भ होता है।
की सीता ने एक निर्जन वन में ऐसी कठिन परस्थिति में जाकर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में शरण ली और लव कुश को जन्म किया।ओर अपने मन के अंदर निरंतर पुरुष प्रधान समाज के स्त्री पर होते ये शारारिक ओर मानसिक तथा आत्मिक अत्याचारों के प्रतिशोध को अंदर ही अंदर दबाकर उन्हें अपनी संतानों के रूप में बलवान बनाकर दिया और वहीं सीता स्त्री का आंतरिक प्रताड़ना का प्रतिशोध ही उनके पुत्र लव कुश के कम आयु में ही,अयोध्या में चले अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को रोकर,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न, हनुमान आदि को परास्त करके लिया,अब श्रीराम के युद्ध मे सामने आने पर पिता पुत्र में कोई भी पराजित होने का खुद का ही अपमान होने के ज्ञान और इसका खुद पर पड़ने वाले सामाजिक परिणाम को देख,खुद सबके सामने आकर,राम और पुत्रो को परस्पर रिश्ते का परिचय देकर मिलाप कराकर भी,अपने अंदर के स्त्री के प्रति हुए,पति राम सहित अन्य पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था को स्वीकार नहीं करने का प्रतिशोधक दंड स्वयं को अयोध्या नहीं लौटा कर,ओर पुरुष प्रधान सामाजिक अन्याय के प्रति शाप नहीं देते हुए भी,अपनी माँ पृथ्वी यानी स्त्री के स्त्री के अंदर ही समाने को प्राथमिकता दे कर,एक अप्रत्यक्षित रूपी शाप ही दिया, यो स्त्री शक्ति की महाशक्ति सीता का अयोध्या में वापस नहीं जाना ही अयोध्या ओर वहां के सिद्ध हो या सन्त या साधक या सामान्य नागरिकों को भी श्रीहीन ओर सम्पूर्णता प्राप्ति नही मिलने का अप्रत्यक्ष शाप दे दिया जो,आज तक लागू है।
7-श्री राम भी खाली बिना पत्नी सीता के वापस अयोध्या लौटे यानी श्रीहीन स्त्री शक्ति विहीन राम,,की आजीवन एकांकी जीवन और अंत मे सरयू में देह का त्याग किया।
8–ओर वैसे भी रामायण और रामचरित्र मानस के रूप में भी केवल पुरुष प्रधान राम को ही मुख्य नाम से लिखे गए है,पुरुष को ही मुख्य प्रधान रख नाम दिया-पुरुषोत्तम श्री राम।
जबकि ग्रँथ का मुख्य नाम,,श्री राम सीतायण या ऐसा कोई और नाम,जो स्त्री को भी साथ लिए समांतर हो,होना चाहिए था?पर श्री राम में श्री को स्त्री बता दिया,जो सत्य अर्थ नहीं देता लगता है।जैसे हरे राम या हरे कृष्ण मन्त्र में हरे शब्द को स्त्री शक्ति बताया है,जबकि हरे का सीधा अर्थ जय घोष से है,या हरने वाला राम या हरने वाला कृष्ण या हरि यानी विष्णु के इन राम ओर कृष्ण को अवतार होने का अर्थ दिया है।ये हरे स्त्री को उच्चारित अर्थ नहीं देता है।
9-वैसे भी श्री राम की बड़ी बहिन शांता भी अपने जन्म के बाद अयोध्या में नहीं रही,वे अंग देश के राजा सोमभद्र की दत्तक पुत्री बनी और ऋषि श्रृंग ऋषि की पत्नी थी।इन्हीं बहिन शांता ओर श्रृंग ऋषि के तप यज्ञ से श्री राम व अन्य भाइयों का जन्म हुआ था।अर्थात अज्ञात शाप ने दशरथ को अपनी पहली संतान शांता को अयोध्या से दूर भेजकर त्यागना पड़ा था।
*10-तो आपको भी ये,अबतक समझ आया भी नहीं होगा कि, आखिर वो शाप था ही क्या,किसने दिया और किस कारण दिया,जो आजतक यथावत चला आ रहा है?
जिसे दशरथ से लेकर राम और सीता ने सारी उम्र झेला?
ओर इस सब शाप का परिणाम,श्री राम राज्य के बाद भी आगे चलकर अयोध्या में राम मंदिर को बनने के लिए मुस्लिम साम्राज्य से लेकर भारत की स्वतंत्रता के बाद भी चलता रहा,जो 9 नवम्बर 2019 को श्री राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया और मन्दिर निर्माण की तिथि की घोषणा होते होते, हुई भी नहीं थी की,फिर से वही अनन्त सालों का अज्ञात शाप,,कोरोना विध्न के रूप में लागू हो गया,जो अभी तक विध्न बना हुआ जाने कब तक खड़ा है?
अब श्री राम को फिर इस कोरोना राक्षस से युद्ध करना पड़ रहा है,जाने कब तक?
यो तो विजय होगी ही,पर पीछे के सारे शाप के उन विध्न के उदाहरणों को देख तो, कह नहीं सकते है कब?
आप चिंतन करें।और तपस्या करें कि जल्दी शाप खत्म हो और राम मंदिर बने।
इसी आशा के आशीर्वाद के साथ,,
ओर अगले कभी फिर किसी लेख में बताऊंगा की,आखिर वो अनन्त शाप क्या ओर क्यों है,जो नहीं छोड़ता पीछा?
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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