पद्धमासन कितना उपयोगी है,कुंडलिनी जागरण ओर उसके 9 शक्ति बिंदुओं को जाग्रत करने में,, बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

पद्धमासन कितना उपयोगी है,कुंडलिनी जागरण ओर उसके 9 शक्ति बिंदुओं को जाग्रत करने में,,
बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

प्राचीनकाल में योगियों में दो योग व्यायामों का उच्चतर विकास किया-देर तक अध्ययन,चिंतन और ध्यान,समाधि से आई शरीर मे स्थिलता,आलस्य ओर जड़ता की सहज समाप्ति को,84 आसनों में मुख्य आसनों का नियमित अभ्यास करना और दूसरा था-युद्धकला में उच्चत्तर कला और अपार शक्ति व्रद्धि के कौशल के लिए शक्ति योग,जिसमें हो,सम्पूर्ण व्यायाम शक्तियां-पावर,फोर्स,इस्ट्रेंथ, स्टैमिना,एनर्जी।ओर वो भी कम समय मे,तब आया ये पफ़स्सि योग व्यायाम,जो समय समय पर लुप्त ओर पुनर्जागृत होता रहा है।
यो एक कलाकार ग्रुप,जिसे भारत में नट कहते है,जो भगवान शिव के रूप नटराज के आराधक है,उन्होंने अपने असाधारण करतबों में लचीलापन ओर गति व एक करतब को करते हुए देर तक रुकने आदि के विकास को अनेक योगासनों का विकास किया,जैसे आज जिमनास्टर्स करते है।जिनमे केवल स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना ओर स्पीड अधिक प्रदर्शित हुई और शक्ति योग व्यायाम के माध्यम से नटों ने अनेक शक्ति प्रदर्शनों को जनसाधारणो व राजाओं के सामने,अनेक ट्रिक्सओं के साथ प्रदर्शन कर आश्चर्यजनक खेल दिखाएं,जैसे-कच्चे लोहे की सरियाँ शरीर के विभिन्न अंगों से मोड़ना ओर भारी वजनो को सीने से उतारना,उठाना आदि है।
इनमें से बहुत कुछ बलवर्द्धक करतब पहलवानों ने अपने प्रदर्शनों को बहतरीन बनाने को कुश्तियों के अलावा भी बल प्रदर्शित करते हुए अपनाएं।
यो योगासन एक अलग विषय है,जो केवल शरीर को स्वस्थ रखते हुए केवल स्ट्रेंथ,स्टेमिना,कुछ हद तक फोर्स की व्रद्धि होती है,तथा एनर्जी का विषय आंतरिक विलपावर यानी इच्छा शक्ति से सम्बन्ध है,उसके लिए विशेष प्राणायाम ओर संयम ध्यान का उच्चतर अभ्यास है।जो कि पफ़स्सि व्यायाम की लगभग 15 कसरतों से कुछ ही समय मे प्राप्ति होती जाती है और आगे चलकर उच्चतर प्रणायाम के साथ साथ असाधारण बल व्रद्धि की प्राप्ति होती है।यो प्राचीन विशुद्ध भारतीय पफ़स्सि व्यायाम करो ओर स्वस्थ बलवान बनो।

पद्ध्यमसन कैसे करें और कहाँ तक लाभकारी है,कुंडलिनी जागरण में जाने:-

पद्धमासन का अर्थ है-पद्म यानी कमल ओर आसन यानी स्थिरता,,यानी कमल के पुष्प की भांति सप्त पत्तियों सहित खिलकर सुंगंधित होकर तन मन की स्थिरता की प्राप्ति करना।
अब इसमें सीधे बैठकर अपने दोनों पैरों को अपने सामने की ओर फैलाये तथा अपने सीधे हाथ की ऊपरी हथेली पर अपने नांक से थोड़ा जोर से सांस फेंकते हुए,अपना कोन सा स्वर अधिक चल रहा है,उसे जानकर,अपने उसी स्वर के साइड के पैर को पहले घटने से मोड़कर अपने दूसरे पैर की जांघ पर रखें और अब दूसरे पैर को घुटने की ओर से मोड़कर पहले पैर की जांघ पर रखें तथा सीधे बैठकर अपने दोनों हाथों को चाहें तो,दोनों पैरों के घुटनों पर रख ले या दोनों हाथों को अपने पैरों के मुड़े हुए तलुवों के बीच बने स्थान पर रखें व प्राणायाम अथवा ध्यान करें।


अब ये पद्यमासन या पद्धमासन को देखें तो,आप पाएंगे कि,आपके दोनों पैरों के अंगूठों व तलुवों से लेकर आपके नितंबों तक के 9 शक्ति बिंदुओं में से सबसे पहले चार मुख्य बिंदुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।यानी अंगूठे ओर उसके नीचे का ओर तलवे के मध्य में टखने के मिलाकर चार शक्ति बिंदु पर इस पद्धमासन से कोई दबाब नहीं बन रहा है।जबकि इन्ही चार शक्ति बिंदुओं से ही कालाग्नि कुंडलिनी शक्ति तप्त होकर ऊपर उठती हुई मूलाधार चक्र पर इकट्ठी होती है और केवल पिंडली के भी दो शक्ति बिंदुओं पर भी सामान्य दबाब को छोड़कर, कोईं विशेष दबाब नहीं बन रहा है।ओर बस घुटने व जांघ ओर नितंब यानी हिप्स के सहित 3 शक्ति बिंदुओं पर ही प्रभाव पड़ रहा है,तब इन शक्ति बिन्दुओं के प्रारम्भ से ही कोई शक्ति नहीं आ रही है,तो यहां की थोड़ी शक्ति से कैसे कुंडलिनी जाग्रत होगी?अर्थात कोई खास नही होगी।पैर के तलुवों के चार शक्ति पॉइंटों में वायुतत्व का स्पर्श है,जिससे तप्तता नहीं मिल रही,जबकि अग्नितत्व की आवश्यकता है,इन प्रारंभिक चार शक्ति बिंदुओं की इकट्ठी ऊर्जा शक्ति से आगे मूलाधार में जाकर बनने वाली कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने के लिए,,तो,भक्तों,यहां पर ये पद्धमासन केवल हठयोग के प्रदर्शन पक्ष को छोड़कर,बाकी विशेष लाभकारी सिद्ध नहीं हो रहा है यो उच्चकोटि के योग के लिए आपको सिद्धासन ही करना श्रेयष्कर है।तो उसी का रेहीक्रियायोग या अन्य योग ध्यान क्रिययोगों के अभ्यास को करें और सम्पूर्ण सफलता पाएं।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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