!!चैत्र पूर्णिमा व्रत,इस संसार का सबसे पहले व्रत-प्रेम पूर्णिमा व्रत की महान महिमा,जिसे स्वयं ईश्वर ने अपनी पत्नी ईश्वरी भगवती ओर अपनी सन्तान के लिए ओर उनके नामकरण को रख कर सबसे पहला पिता बना ओर सबसे पहला पुरोहित ओर सबसे पहले गुरु बना कर पुरुष को स्त्री का ओर अपनी सन्तान का कैसे सम्मान और विद्या दान करके पालन करना चाहिए और इसी दिवस से सनातन धर्म चारों अर्थ काम धर्म मोक्ष का करने की परंपरा चली,यो ये व्रत ही सबसे पहला व्रत है,इसी के बाद अन्य सब व्रत है!!

!!चैत्र पूर्णिमा व्रत,इस संसार का सबसे पहले व्रत-प्रेम पूर्णिमा व्रत की महान महिमा,जिसे स्वयं ईश्वर ने अपनी पत्नी ईश्वरी भगवती ओर अपनी सन्तान के लिए ओर उनके नामकरण को रख कर सबसे पहला पिता बना ओर सबसे पहला पुरोहित ओर सबसे पहले गुरु बना कर पुरुष को स्त्री का ओर अपनी सन्तान का कैसे सम्मान और विद्या दान करके पालन करना चाहिए और इसी दिवस से सनातन धर्म चारों अर्थ काम धर्म मोक्ष का करने की परंपरा चली,यो ये व्रत ही सबसे पहला व्रत है,इसी के बाद अन्य सब व्रत है!!

इस विषय की महान महिमा को मेरी ये कविता इस प्रकार से अभिव्यक्त करती है कि,,,,

प्रेम नाम ईश है
ओर प्रेम नाम है भक्ति।
प्रेम आत्मसाक्षातकार परम
प्रेम ही ब्रह्म सृष्टि करने की शक्ति।।

प्रेम से बड़ा कोई नहीं
ना प्रेम से बड़ा भवसागर।
इसी प्रेम पाने को जीये
सभी अवतार भर जीवन गागर।।

प्रेम ही बांटा सभी ने
ओर प्रेम अभाव ही मौत।
प्रेम के रसिया राम कृष्ण
प्रेम के वियोगी राधे गोपी सौत।।

प्रेम की ही सोलह कला
जिन्हें कहता पूर्णिमा जग।
प्रेम से प्रकाशित सूरज चन्द्र
प्रेम बरसता सब जीवों के रग।।

प्रेम से जन्म परमात्मा
तभी वो बोला ये घोष।
मैं सृष्टि करता स्वयं की
बन नर नारी प्रेम संतोष।।

चैत्र नवरात्रि में चैतन्य हुआ
प्रेम से भगवती ओर ईश।
दोनों ने नो दिनों में जन्में
स्वयं रूप लीला ओर जगदीश।।

ओर चैत्र पूर्णिमा को किया
नामकरण अपनी सन्तति जीव।
ओर बने प्रथम माता पिता
ओर बन रक्खी प्रथम गुरुवर जग नीव।।

सत्य पुरुष ने सबसे पहले
इस जगत में रक्खा प्रथम व्रत।
अपनी पत्नी ईश्वरी को
दिया प्रेम पूर्णिमा चँद्र भेंट कृत।।

इसी चैत्र पवित्र प्रेम दिवस से
चले अन्य प्रेम संकल्पित व्रत।
यो जो मनाये व्रत इस पूर्णिमा
उसे मिले जीवन भर प्रेम कृत।।

अवतरित चैत्र पूर्णिमा अवतार कोई
चाहे निष्काम भक्ति हनुमान।
फिर अन्य पूर्णिमा जन्में सन्त
चाहे जन्में बद्ध से बुद्ध महान।।

यो चैत्र पूर्णिमा प्रमाण प्रेम
कन्याकुमारी में मिलन सूर्य चँद्र।
सूर्य सत्य चँद्र बन नारी
करते प्रेम पूर्णिमा मना प्रेम से वृंद।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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