चैत्र नवरात्रि 2019 का शुभ महूर्त ओर शनिवार से शनिवार तक क्या व कैसे जाग्रत करें सोये भाग्य को ओर कैसे प्राप्त करें अपनी मनोकामना सिद्धि बता रहे है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिबजी…

चैत्र नवरात्रि 2019 का शुभ महूर्त ओर शनिवार से शनिवार तक क्या व कैसे जाग्रत करें सोये भाग्य को ओर कैसे प्राप्त करें अपनी मनोकामना सिद्धि बता रहे है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिबजी…

देवी आदि शक्ति के युगों युगों में मनुष्य कल्याण को अवतरण होकर अनेक स्वरूप है,जिनमें लोक मान्यता में पूर्णिमां माता यानी पूर्ण माता के अनेक स्वरूपों में एक दुर्गा मां ओर दस महाविद्या जे साथ साथ श्रीविद्या के नौ रूपों की उपासना का पर्व शुरू होने वाला है। इस साल चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं ओर नवमी तिथि 14 अप्रैल की है। इन नौ दिनों मां नौ रुपों की पूजा की जाती है।इसी उपासना के संदर्भ में शुभ मुहूर्त में कलश या घट स्थापना बहुत शुभ रहता है। घट स्थापना का अर्थ है-घट हमारा पँचत्तवी शरीर का प्रतीक है और उस पर जुट रहित छिला हुआ एक कच्चा पानी का नारियल,जिसमे त्रिनेत्र बने होते है,ये दो नेत्र ओर एक मुख, मिलाकर हमारा मुख होता है,ओर चार आम के या केले के पत्ते हमारे चार कर्म पुरुषार्थ का प्रतीक दो हाथ और दो पेर का प्रतिनिधि अर्थ है।उस नारियल को चुनरी ओढ़कर स्त्री स्वरूप प्रदान किया जाता है।तब इस सब घट को पीली मिट्टी की गोल रूप में भूमि पर फैलाकर उसपर हल्दी से ओर आटे व रोली से स्वस्तिक ओर अष्ट कोण बनाकर उसके ऊपर रखा यानी स्थापित किया जाता है।घट के चारो ओर भी स्वस्तिक बनाये जाते है।तब प्रतिदिन प्रातः ओर साय को नारियल में बने मुख में देवी भोग लगाया जाता है और दो आंखों के मध्य रोली का या हल्दी का तिलक किया जाता है और इसके सामने अखण्ड घी या तिल के तेल या सरसो के तेल का दीपम नो दिनों के लिए जलाया जाता है,ये अखण्ड दीपक हमारे देवत्त्व जागरण के लिए अखण्ड भक्ति और शक्ति का संकल्प ओर सम्पूर्णता की प्राप्ति ओर हम पर देवीतत्व की अखण्ड कृपा का प्रतीक होता है।यूं तो साल में दो बार नवरात्र आते हैं, लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग अलग है। इस बार ज्योतिषीय योग के अनुसार पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और रवि पुष्य योग का संयोग बन रहा है। तथा इस बार नवमी भी दो दिन मनेगी।
इस साल 6 अप्रैल शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा।

जानें किस दिन होगी किस देवी की पूजा करें:-

पहला नवरात्र 6 अप्रैल शनिवार को :-
घट स्थापन व मां शैलपुत्री पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा।
दूसरा नवरात्र 7 अप्रैल रविवार को :-
मां चंद्रघंटा पूजा।।
तीसरा नवरात्र 8 अप्रैल सोमवार को :-
मां कुष्मांडा पूजा।
चौथा नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार को :-
मां स्कंदमाता पूजा।
पांचवां नवरात्र 10 अप्रैल बुधवार को :-
पंचमी तिथि सरस्वती आह्वाहन।
छष्ठ नवरात्र 11 अप्रैल वीरवार को:-
मां कात्यायनी पूजा।
सातवां नवरात्र 12 अप्रैल शनिवार को:-
मां कालरात्रि पूजा।
नवमी 14 अप्रैल रविवार को :-
मां महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, महानवमी।

ओर पूर्णिमां माता की सोलह कला अवतारों की इन नो दिनों में इस प्रकार से पूजा करें..

महादेवी-सत्यई पूर्णिमाँ की स्थापना करके और जल और सिंदूर से उनको और उनकी गोद में विराजमान-पुत्री-हंसी और पुत्र-अमोघ को भी तिलक लगा कर पूजा करें और सत्य ॐ पूर्णिमाँ चालीसा और आरती करें और सत्यास्मि ग्रन्थ का पाठ अपने समयानुसार कम या अधिक करें।

6 अप्रैल (शनिवार ) 2019 पहला नवरात्रा : देवी-अरुणी और यज्ञई की पूजा करें।

7 अप्रैल (रविवार ) 2019 : देवी-तरुणी और उर्वा की पूजा करें।

8 अप्रैल (सोमवार ) 2019: देवी-मनीषा और सिद्धा की पूजा करें।

9 अप्रैल (मंगलवार) 2019: देवी-इतिमा और दानेशी की पूजा करें।

10 अप्रैल (बुधवार ) 2019: देवी-धरणी और आज्ञेयी की पूजा करें।

11 अप्रैल (गुरुवार) 2019: देवी-यशेषी और एकली की पूजा करें।

13 अप्रैल (शुक्रवार )2019: देवी-नवेषी और मद्यई की पूजा करें।

14 (शनिवार ) 2019 अष्टमी:- देवी-हंसी की पूजा करते हुए अंत में,
15 अप्रैल(रविवार)2019नवमी:-
को महादेवी पूर्णिमाँ की पूजा करते हुए नवरात्रि का पारण यानि आत्मसात समापन करें।।

विशेष:- नवरात्रि जप के लिए सम्पूर्ण सिद्धिदात्री महामंत्र- ॐ अरुणी,यज्ञई,तरुणी,उर्वा,मनीषा,सिद्धा,इतिमा,दानेशी,धरणी,आज्ञेयी,यशेषी,एकली,नवेषी,मद्यई, हंसी,सत्यई पूर्णिमाँयै नमः स्वाहा।।

यदि ये महामंत्र स्मरण नहीं हो तो भक्त-सिद्धासिद्ध महामंत्र-“सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट् स्वाहा”” से नवरात्रि का सम्पूर्ण फल प्राप्त कर सकते है।।

घट स्थापना मुहूर्त:-

इस साल 6 अप्रैल शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा।

अबकी बार शनिवार से नवरात्रि का प्रारम्भ है ओर अगले शनिवार को ही अष्टमी भी पड़ेगी और साथ ही देश मे चुनाव भी हो रहे है।अर्थात शनिदेव भाग्य के देव है,वे जाने कितनों के भाग्य को आपके बहुमूल्य मत के दान यानी वोटिंग से बनवाएंगे ओर बिगड़ेंगे।
इसलिए सभी पार्टी और उनके प्रतिनिधि अपनी अपनी विजय के लिए बड़े बड़े उच्चतर अनुष्ठान का प्रारम्भ कर चुके ओर नवरात्रि में तो विशेष यज्ञानुष्ठान करें और कराएंगे।पर शनिवार को इस युग मे शनिदेव का विशेष पूजन महत्त्व है और उधर काली मां की विशेष पूजा महत्त्व है।यो अपने अपने इष्टदेवों की भी पूजन कि विशेषता है।पर इस दिन इन देव शनिदेव व काली देवी की विशेष कृपा होगी।

इस समय अभी बसे से छोटे अधिकारियों की बड़ी जिम्मेदारी होगी,जरा चूक ओर नोकरी पर विपदा बनेगी।इस लिए तुरन्त उपाय करें..

तो क्या उपाय करें:-

1-यो शनिमंदिर पर अखण्ड तेल की ज्योत कराए ओर चना हलुवे का भंडारा करें।
2-अपने वजन का चना ओर तेल का दान करें।
3-नो कच्चे नारियल सवा पांच मीटर के काले कपड़े में बांधकर अपने से नो बार उल्टा उतारकर शनिमंदिर में रखें।
4-सवा लाख शनिदेव के ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र के जाप कराए।या कम से कम 17 हजार तो जप अवश्य कराए।
5-विशेष लाभ को चांदी का छत्र ओर मुकुट शनिदेव पर चढ़ाए।
6-शनि छल्ला:-जिन भक्तों ने शनि छल्ला पहना हुआ है,वे इस नवरात्रि के शनिवार से पहले शुक्रवार की रात्रि में अवश्य अपना छल्ले को सरसों के तेल की कटोरी में काले तिल के साथ डालकर रखे और प्रातः देवी घट स्थापना व पूजा करके फिर शनिदेव मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का कम से कम 108 बार जपते हुए अपने छल्ले को कटोरी में से निकलकर बीच की उंगली में पहने ओर तेल तिल को एक दीपक में करके शनिमंदिर में जाकर जला आये।ऐसा ही नवरात्रि के अंतिम शुक्रवार को करके नवरात्रि के अंतिम शनिवार को भी करें।आपको इससे अद्धभुत लाभ होगा।

ओर ऐसे ही काली माता की पूजा अर्चना कराए।ओर उनके मन्दिर में जाकर जप तप दान करें।

!!माँ सत्यई पूर्णिमाँ की आरती!!

ॐ जय पूर्णिमाँ माता,ॐ जय पूर्णिमाँ माता।
जो कोई तुमको ध्याता-2, मनवांछित पाता..ॐ जय पूर्णिमाँ माता।
सरस्वती लक्ष्मी काली,तेरे ही सब रूप-2-
ब्रह्मा विष्णु शिव भी-2,सत्य सत्यई स्वरूप।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
नवांग सिद्धासन तुम विराजो,श्री भगपीठ है वास-2..
इंद्रधनुष स्वर्ण आभा-2, ईं कुंडलिनी स्वास्-2।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
गुण सगुण निराकार तुम्ही हो,सब तीरथ तेरा वास-2..
सत्य पुरुष चैतन्य करा तुम-2,संग सृजित करती रास।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
अरुणी से हंसी तक तुममें,षोढ़ष कला हैं ज्ञात-2..
नवग्रह तेरी शक्ति-2,तेरी कृपा ही दिन रात।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
धन-वर-धर्म-प्रेम-जप माला,सोम ज्ञान सब बाँट-2..
धरा धान्य सब तेरे-2,तेरी उज्वल ज्योत विराट।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।
विश्व धर्म का सार ही तू है,मोक्ष कमल ले हाथ-2..
सिद्ध चिद्ध तपि युग और हंसी-2,बारह युग की नाथ।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
सत् नर तेरा जीवन साथी,व्रत चैत पुर्णिमाँ-2..
बांधें प्रेम की डोरी-2,लगा भोग सेब का।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।
अरजं पुत्र हंसी तेरी कन्या,तेरी सुख छाया में मात-2..
हम संतति तुम्हारी-2,तुझे सुख दुःख मेरे ज्ञात ।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
पूर्णमासी का व्रत जो करता,जला अखंड घी ज्योत-2..
जो चाहे वो पाता-2,इच्छित देव ले न्यौत।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
चैत्र जेठ क्वार पौष की,चार नवरात्रि ध्याय-2..
जल सिंदूर जो चढ़ाये-2-सब ऋद्धि सिद्धि पाएं।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।
जो करता है आरती नित दिन,सुख सब उसे मिले-2..
मोक्ष अंत में पाता-2,सत पूर्णिमाँ ज्ञान खिले।।ॐ जय पूर्णिमाँ माता।।

!!स्वामी सत्येंद्र “सत्य साहिब जी” रचित श्री मद् सत्यई पूर्णिमाँ आरती सम्पूर्ण!!

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission.org

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