खेल दिवस पर मेजर ध्यानचंद जी को स्मरण करते हुए,कुछ संछिप्त में उनके बारे में बताते हुए अंत मे प्रेमबारी कविता संग्रह से मेरी लिखी इन पर एक कविता कहूंगा,तो
मेजर ध्यानचंद जी का जन्म
29 अगस्त 1905
इलाहाबाद,संयुक्त प्रान्त, ब्रितानी भारत में हुआ था।
इनका निधन-3 दिसम्बर 1979 (उम्र 74)दिल्ली में हुआ।
इनकी ऊंचाई-5 फीट 7 इंच (170 से॰मी॰)
खेलने का स्थान-फॉरवर्ड था और ये सन 1921–1956 तक खेल से भारतीय सेना की ओर से राष्ट्रीय टीम में मुख्यतौर पर
1926–1948 तक खेले ओर
भारतीय पुरुष हॉकी टीम की ओर से इन्होंने तीन बार ओलम्पिक खेल में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था।
स्वर्ण 1928 एम्स्टरडम
स्वर्ण 1932 लॉस एंजिलस
स्वर्ण 1936 बर्लिन जर्मनी
उन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें १९५६ में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग समय-समय पर उन्हे ‘भारतरत्न’ से सम्मानित करने की माँग करते रहे हैं किन्तु अब केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने से उन्हे यह सम्मान प्रदान किये जाने की सम्भावना बहुत बढ़ गयी है।वैसे बर्लिन ओलोम्पिक में अभ्यास में मैच में जर्मनी से हार जाने पर बड़े डिप्रेशन में आ गए थे,इसे देख 14 तारीख के फाइनल मैच में विजय के लिए एक प्रेरक घटना यूं हुई कि,ये सब देख तभी भारतीय टीम के मैनेजर पंकज गुप्ता को एक युक्ति सूझी। वह खिलाड़ियों को ड्रेसिंग रूम में ले गए और सहसा उन्होंने तिरंगा झण्डा हमारे सामने रखा और कहा कि इसकी लाज अब तुम्हारे हाथ है। सभी खिलाड़ियों ने श्रद्धापूर्वक तिरंगे को सलाम किया और वीर सैनिक की तरह मैदान में उतर पड़े। भारतीय खिलाड़ी जमकर खेले और जर्मन की टीम को 8-1 से हरा दिया। उस दिन सचमुच तिरंगे की लाज रह गई। उस समय कौन जानता था कि 15 अगस्त को ही भारत का स्वतन्त्रता दिवस बनेगा।
!!मेजर ध्यान चंद जन्मोदिवस!!
!!खेल दिवस!!
ध्यान एकाग्रता मतलब
जिससे पायी जाए समाधि।
चंद रात का प्रेमी
ध्यानचंद नाम स्वयं उपाधि।।
हॉकी नाम ध्यानचंद बन गया
ओर ध्यानचंद एक हॉकी।
हॉकी गेंद एक किये संग
मानों तीनों एक नाम हो
थाम हाथ मे हॉकी
निगाह विपक्षी लक्ष्य।
ओर गेंद भी मानो प्रयसी
चिपक चली प्रेमी के पक्ष।।
कितने प्रेमी हॉकिया
जो संगत को इसके तडफे।
पर उसे तो एक भावे
जो फेंक दूर फिर आ हड़पे।।
तीन बार ओलोम्पिक
विजयी देश बनाया।
हजार गोल कर हॉकी में
जादूगर जग कहलाया।।
डॉन ब्रेडमैन भी प्रसंसक
कहे ये गोल है या रन।
प्रतिद्धंदी भी कहें वाह वाह
कहकर गोल खड़े हो सन्न।।
मुग्ध हुआ हिटलर भी
खेल देख भारत की संतान।
प्रलोभन दिया उच्चतर पद का
ठुकराया ध्यानचंद में सम्मान।।
जीते जी बन गए
किवदंतियों की गाथा।
शताब्दी खिलाड़ी ध्यानचंद बने
देश का सदा ऊंचा कर माथा।।
दुर्दशा हॉकी की देख
हुआ दुखित ध्यानचंद मन।
जन्म मिला यदि दोबारा
त्रिरँगा फहराउ हॉकी इस तन।।
पद्मश्री पुरुषकृत मात्र
जो हैं भारत रत्न अधिकारी।
वैसे नाम स्वयं पुरुषकार ध्यानचंद
खेल दिवस पर नमन करें देश नरनारी ।।
इसके साथ ही सरकार से अनुरोध है कि,श्री ध्यानचंद जी को भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
ओर खेल दिवस पर सभी को स्वस्थ के लिए खेल बहुत आवश्यक है,यो सभी खेल खेल और स्वस्थ रहें।
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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