कामदा एकादशी क्या है और क्यो मनाई जाती है, इस दिन भूल से भी न करें ये काम,,ओर क्या करें,वो जानकारी दे रहे है,,स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,

ओर मेरे पिछले लेखों का की,क्यो है श्री विष्णु जी और उनके 24 अवतारों व प्रमुख अवतारों पर अनादि शाप ओर ब्रह्मा के ओर कश्यप महर्षि की संतानों देव ओर दैत्यों के पृथ्वी पर अपनी अपनी पूजा कराकर अपना आध्यात्मिक और भौतिक बल बढ़ाने और सदा युवा बनकर आनन्द लेने के आधिपत्य को लेकर सदा संघर्ष ओर उसमें ब्रहस्पति गुरु के ये देव प्रधान व्रत अनुष्ठान की अधिकता का प्रमाण,,जिसमे विशेषकर केवल श्री विष्णु पुरुष प्रधान की ही 12 एकादशियों व 12 पूर्णिमा आदि के दिन व्रत कराने का शास्त्रीय ज्ञान,,
उनमे एक आज है,,कामदा एकादशी की ये शास्त्रीय व्रत कथा,,
की,कामदा एकादशी के इस व्रत के समान कोई अन्य व्रत महान नहीं होता है। 
कामदा एकादशी का पर्व हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।वैसे तो साल में 12 एकादशी में से कई एकादशी मनाई जाती है लेकिन कामदा एकादशी के बारे में ब्राह्मण लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि,इस व्रत की कथा भी जो मनुष्य एक बार भी पढ़ लेता है उसकी सभी मनोकामना बिना कर्म किये अवश्य पूरी हो जाती है।
यही कारण है कि इस एकादशी को “फलदा एकादशी” के नाम से भी जाना जाता है। फलदा का अर्थ होता है,मनुष्य की मूल इच्छा के फल की प्राप्ति और कामदा का अर्थ होता है,मनुष्य की प्रमुख कामना को पूरा करने वाली,व्रत विधि। शास्त्रों में इस व्रत का उल्लेख करते हुए इसे भगवान विष्णु के सबसे उत्तम श्रेष्ठ व्रत का अधिकार दिया गया है। 

कामदा एकादशी का व्रत:-

कामदा एकादशी का उपवास चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस वर्ष में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत 4 अप्रैल 2020, शनिवार को है। 

क्या है कामदा एकादशी को मनाने का शुभ मुहूर्त:-

कामदा एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी 04 अप्रैल, 2020 को प्रातः से और एकादशी तिथि समाप्त होगी 04 अप्रैल, 2020 को 10:30 बजे। पर मुख्य
पारण का समय:-
अगले दिन 05 अप्रैल 2020, प्रातः 06:10 से 08:40 बजे तक। 
पारण के दिन हरि वासर समय समाप्त –साढ़े आठ बजे यानी 05 अप्रैल 2020 तक।

कामदा एकादशी व्रत महत्व क्या है;-

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजन व्रत करने से मनुष्य के सभी तरह के कष्ट रोग संकट दूर हो जाते हैं। कामदा एकादशी से मनुष्य के भौतिक और आध्यात्मिक यानी मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं, और भक्त की हर तरह के रोगों से रक्षा होती है।
यदि किसी मनुष्य की कोई अधूरी मनोकामना है तो, इस दिन कामदा एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा से वो भी पूरी हो जाती है।हिन्दू समाज के लोगों के बीच इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि यदि किसी का पति या बच्चा कोई बुरी आदत के चंगुल में फंस गया हो तोउसके लिए स्त्री का कामदा एकादशी के व्रत रखने से उन्हें भी सही सदमार्ग पर लाया जा सकता है। 

कामदा एकादशी व्रत पूजन विधि क्या है:-

1-एकादशी के दिन,सबसे पहले सुबह स्नान करके सफ़ेद साफ़ और स्वच्छ वस्त्र पहनें और श्री विष्णु भगवान की पूजा करें। 

2-एकादशी के दिन निर्जला व्रत करना चाहिए। 

3-पूजा में भगवान विष्णु को पीले गेंदे के फूल, आम या खरबूजा, तिल, दूध और पेड़ा चढ़ाएं और उनकी श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करें। 

4-मन्त्र:-‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाये’, इस मंत्र का वैजंती त तुलसी की माला या मन ही मन कम से कम 11 माला का जाप करें। 

5-रात में सोये नहीं बल्कि विष्णु जी के ही ग्रँथ पढ़ भजन- कीर्तन करें।  
6-एकादशी व्रत में ब्राह्मण या गुरु को दान-पुण्य, भोजन करवाना और दक्षिणा का बहुत महत्व माना गया है, ऐसे में हो सके तो किसी मंदिर के पण्डित पुजारी यानी ब्राह्मण को घर मे बुलाकर भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा भेजकर ही विदा करें।

प्रचलित कामदा एकादशी की व्रत कथा:-

प्राचीन समय में भोगीपुर नगर में पुण्डरीक नामक राजा हुआ करता था। उसके नगर में बहुत सी अप्सराएं, गंधर्व, और किन्नर सभी रहा करते थे। राजा का दरबार सदैव इनसे भरा रहता था। राजा के दरबार में रोजाना ही गंधर्वों और किन्नरों का गायन हुआ करता था। इस नगर में एक बेहद खूबसूरत अप्सरा रहती थी जिसका नाम था ललिता, ललिता का पति ललित जो की एक गन्धर्व थे वो भी इसी नगर में रहते थे। दोनों के बीच अपार प्रेम था और वो दोनों हमेशा एक-दूसरे की यादों में ही खोये रहते थे।

एक समय की बात है जब ललित महल में गायन कर रहे थे, तभी उन्हें अचानक से उनकी पत्नी की याद आ गयी और इस कारण से उनका उनके गायन स्वर पर से नियंत्रण बिगड़ गया। वहाँ उस वक़्त कर्कट नाम का नाग मौजूद था, जिसनें इस बात को तुरंत पकड़ लिया और जाकर राजा पुण्डरीक को सारी बात बता दी।
ये सुनकर राजा को ये बात अपने अपमान के समान लगी और उन्होंने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। राजा के श्राप के चलते ललित कई सालों तक राक्षस योनि में ही घूमते रहे।(यहीं आपको राक्षस बनने के कारण का भी पता चलेगा) इस दौरान उनकी पत्नी भी उनका अनुसरण करती रही, लेकिन अपने पति को इस हालत में देखकर वह सदा दुखी रहा करती थी।

यो राक्षस बने ललित को उसी रूप में भटकते हुए वर्षों बीत गए। एक दिन भटकते-भटकते ललित और उनकी पत्नी ललिता विन्ध्य पर्वत पर रहने वाले ऋष्यमूक ऋषि के पास पहुँच गए, जहाँ जाते ही ललिता ने अपने श्रापित पति के उद्धार का उपाय ऋषि से पूछा। दोनों की ऐसी हालत देखकर ऋषि को उन पर दया आ गई।
तब उन्होंने दोनों को कामदा एकादशी का व्रत करने का ज्ञान उपाय दिया। ऋषि की बातें सुनकर और उनका आशीर्वाद पाकर गंधर्व और उनकी पत्नी अपने स्थान पर वापिस लौट आई और दोनों ने श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत किया। इस एकादशी व्रत के फलस्वरूप ललित का श्राप मिट गया और वो राक्षस योनि से,फिर अपने गन्धर्व स्वरूप में वापिस आ गए। 

कामदा एकादशी के दिन ज़रूर करें इनमें से एक काम, कष्टों,दुखों से मिलेगा तुरन्त छुटकारा:-

1-इस दिन भगवान विष्णु को केवड़ा चढ़ायें, ऐसा करने से मनुष्य की भौतिक उन्नति अवश्य होती है।

2-इस दिन भगवान विष्णु को आम, खरबूजा, तिल, दूध, और पेड़े का भोग लगाना ओर उन्हें ब्राह्मण को दक्षिणा सहित देना अति-शुभ माना गया है। 

3-कामदा एकादशी के दिन ब्राह्मण को पीला भोजन कराना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा करने से अक्षत पुण्य की प्राप्ति होती है। 

4-जीवन में खुशहाली चाहिए तो,इस दिन किसी गरीब और ज़रूरतमंद को चने की दाल और पीले रंग की मिठाई दान करें। 

5-यदि किसी के विवाह व शुभ कार्य,उत्सव में कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें विष्णु जी को हल्दी की दो साबुत गाँठ चढ़ाने की राय दी जाती है। भगवान को हल्दी की गाँठ चढ़ाने के समय मन में अपनी इच्छा भगवान को बताएं वो, अवश्य पूरी होगी। 

6-यदि कामदा एकादशी पर व्रत नहीं रख पाएं तो अवश्य करें ये सहज काम:-

यदि आप किन्हीं भी कारणवश व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो, भी ऐसे कुछ उपाय बताये गए हैं जिन्हें करने से आपकी भी मनोकामना पूरी हो सकती है। 

1-इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करें।

2-सात्विक रहें और अपने मन को पवित्र रखें।

3-इस दिन अन्न और भारी भोजन खाने से जितना हो सके परहेज करें।

4-ज्यादा से ज्यादा समय भगवान विष्णु की की पूजा में लगाएं।

5-कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ श्री राम या श्रीकृष्ण की पूजा का महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान राम या श्रीकृष्ण की भी विधिवत पूजा करके भक्त अपने सभी पापों से मुक्ति पा सकता है।

कामदा एकादशी पर ऐसा क्या ना करें:-

1-एकादशी पर चावल खाने से पूरा परहेज करना चाहिए।

2-एकादशी के दिन प्याज, लहसुन और बैंगन का सेवन भी पूरी तरहां से वर्जित माना गया है।

कहते हैं कि एकादशी के दिन अगर कोई भी मांस, मदिरे का सेवन करता है तो उसे नरक की एक एक करके सभी यातनाएं झेलनी पड़ सकती हैं।

3;इस दिन सेम का सेवन भी वर्जित माना गया है। एकादशी के दिन सेम का सेवन भक्त की वर्तमान या होने वाली संतान के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
समझ आ गया कि ये सभी श्री विष्णु जी पुरुष प्रधान के व्रत और उनके अवतारों के व्रतों को अधिकतर स्त्रियों और राक्षस योनि को प्राप्त मनुष्य को करने पर उनके पापों से मुक्ति देने को बताये है,ये है पुरुष प्रधान युग की स्त्री के अधिकारों के दमन को साधे गए व्रतों की कथित ब्राह्मणवादी कथाएं,,

0-सत्यास्मि मिशन ने इन्ही सबका खंडन कर संशोधन किया और स्त्री के अधिकारों को धार्मिकता के क्षेत्र में बढ़ावा दिया कि,उसे या पुरुष को केवल अपनी आत्मा का ध्यान सत्य ॐ सिद्धायै नमः आत्ममन्त्र से रेहीक्रिया योग विधि से करते आत्मसाक्षातकार करने को कहा है,ताकि किसी भी देवी देव के अधीनता की जगहां अपने अंदर के पुरुषार्थ रूपी देव और देवी को पूर्णता पूर्णिमा के रूप में प्रकट कर अपने स्वामी बनो,,

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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