एक मात्र उत्कृष्ट आसन से घटाएँ पेट और कमर कूल्हे की चर्बी ओर बनाये जल्दी से जल्दी सुंदर पेट और पीठ और शानदार सम्पूर्ण शरीर,,जाने कैसे,,
बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,
ये आसन की शरीर के सभी रोगों में सभी प्रकार से उच्चतम लाभदायक महत्ता होने के कारण ही इसका नाम उत्कर्षठासन योगमुद्रा अभ्यास है,ये उन के लिए है जो,देशी दंड नहीं कर पाते या पाती है,विशेषकर स्त्री वर्ग के लिए तो रामबाण योगाभ्यास है,इसमें सबसे पहले समसूत्र प्राणायाम का अभ्यास होता है,आगे चलकर कुम्भक के साथ भी ये योगाभ्यास एक्सरसाइज की जा सकती है।
ये उत्कर्षठासन बहुत सहज सरल पर बहुत भी लाभकारी शीघ्र परिणाम देने वाला अभ्यास है।
अपने योग मेट या आसन पर अपने दोनों पैरों में आधा फिट का फासला रखकर सीधे खड़े हो जाये ओर अब आगे को झुक कर दोनों हाथों को कंधे की चौड़ाई के अनुपात में रखते हुए,अपने योगमेट पर जमा दे।अब एक गहरा सांस लेते हुए अपने पेट के भाग को जमीन की ओर लगाएंगे तो आपका शरीर सामने से ऊपर की ओर उठ जाएगा तब अपने सिर को ऊपर की ओर ताने ओर फिर अपने पैर और कंधों ओर पेट के ओर कमर के जोर से वापस ऊपर को खिंचे तब आपके हिप्स आकाश की ओर उठ जाएंगे और गर्दन ओर सिर कंधों के बीच से जमीन की ओर हो जाएगा और आपकी नजरें अपनी जांघों व घुटनो की ओर देखती हो जाएगी।
अब बस यही दो मुद्राएँ आगे और पीछे की ओर शरीर को खींचते बार बार बनाते चलनी है।आगे को जातें में गहरा सांस खिंचे ओर पीछे को जाते में सांस को छोड़ते जाये, लगातार कम से कम 10 बार से अभ्यास शुरू करते हुए एक सप्ताह में 15 से 20 बार ओर आगे चलकर 10 ओर 10 के सेट लगाते हुए 5 बार यानी 50 बार तक कर सकते है।
अचानक से अधिक मात्रा में रिपीटेशन को नही बढ़ाएं।धीरे धीरे बढ़ाये।
प्रातः 10 बार ओर शाम को 10 बार यानी पूरे दिन में इस उत्कर्षठासन को दो बार तक इस अभ्यास को कर सकते है।





उत्कर्षठासन के लाभ क्या है:-
1-इसके निरंतर अभ्यास से उत्पन्न हुई शरीर मे गर्मी से पेट और पीठ और नितंब यानी हिप्स ओर कूल्हे जांघों ओर चेस्ट के आसपास का सभी प्रकार का फैट्स यानी मेद या चर्बी बहुत तेजी से कम होती जाती है।
2-गर्दन की सभी मांसपेशियों को बहुत मजबूती मिलने से गले और गर्दन के सभी रोग ठीक हो जाते है।
3-मूलबंध के सांस के साथ लेते छोड़ते समय बार बार लगाने और छोड़ने से जितने भी प्रकार के प्रमेह ओर गुप्तांग के रोग कमजोरी और सेक्सुल समस्याएं ठीक होती जाती है।स्त्री हो या पुरुष दोनों की जनेन्द्रिय की शक्ति बढ़ती है,उससे उन्हें अपने गृहस्थी जीवन मे सुख मिलता है। चहरे की रंगत बढ़ती है और झुर्रियां कम होती है आंखों की रोशनी बढ़ती है।सिर में संतुलित रक्त जाने से सिर के बाल स्वस्थ बनते है।सिर के दर्द खत्म होता है,स्मरण शक्ति बढ़ती है।पिंडलियों घुटने पैर के पंजे सुदृढ होते है और अंगूठे पर प्रेशर पड़ते रहने से शक्ति पॉइंट जाग्रत होते है।ऐसे ही हाथों के शक्ति पॉइंटों पर प्रेशर पड़ते रहने से सारे शरीर के अनेक कष्ट मिटते है।पेट के सभी अंदरूनी अंग लिवर किडनी आंते स्वस्थ होती है और बार बार नाभि हटने की शिकायत सदा को दूर हो जाती है और पेट के सभी ऐब्स बनकर शानदार पेट बन जाता है,कमर पीठ के सभी स्नायुओं के लगातार खींचने छोड़ने से वहां की मांसपेशियां ताकतवर होकर आकर्षक कमर दिखती है और रीढ़ मजबूत होकर डिस्क की समस्या और दर्द से मुक्ति मिलती है।यो सभी प्रकार से शरीर स्वस्थ बनता है।
आवश्यक योगज्ञान:-
इस उत्कर्षठासन के करते में देशी दंड नहीं लगानी है।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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