ऊर्ध्व नोकासन से कैसे करें,अपने पैर,घुटने ओर पेट के सभी रोगों को ठीक ओर तीनों बंध लगाते हुए कैसे करें नाभि चक्र का जागरण,,, बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

ऊर्ध्व नोकासन से कैसे करें,अपने पैर,घुटने ओर पेट के सभी रोगों को ठीक ओर तीनों बंध लगाते हुए कैसे करें नाभि चक्र का जागरण,,,

बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

नोकासन दो प्रकार से किया जाता है-1-पीठ के बल लेटकर ओर
दूसरा-2-पेट के बल लेटकर,बाकी मुद्रा एक ही होती है,जैसे कि नोकासन का सीधा अर्थ है-जिस मुद्रा अवस्था में आपके शरीर का आकार नाव की भांति दिखाई दे,वह नोकासन कहलाता है,इससे पेट की समस्त दूषित वायु शरीर से बाहर निकल जाएं ओर आप दूषित वायु और उसके प्रदूषण से बने शरीर मे सभी रोगों से मुक्त हो जाओ,पर कुम्भक अच्छा सध जाएं,वही नोकासन कहलाता है।

नोकासन के लाभ क्या है :-

नोकासन से पैर के ओर मूलाधार यानी पेशाब व गुप्त रोगों व पेट के सभी रोगों के लिए बहुत ही लाभप्रद है। इस योग से गैसटिक,नाभि का बार बार हट जाना मिटकर अपने केंद्र में सही से स्थिर होकर स्थित हो जाती है।लिवर,आंतें किडनी की कमजोरी या खराबी में बहुत अच्छा लाभ मिलता है। पेट की बढ़ी हुई चर्बी के लिए तो आसन यह बहुत ही लाभप्रद है।जालंधर बंध लगने से पसलियों ओर कंठ के अगले भाग के रोग,आवाज में कम्पन होना बंद होता है,खराश दूर होती है, कमर दर्द, साइटिका, हृदय रोग, गठिया में भी यह आसन लाभकारी होता है। स्त्रियों के लिए,तो गर्भाशय सम्बन्धी रोग में नोकासन बहुत ही लाभदायक होता है। इस आसन से रीढ़ यानी मेरूदंड और कमर के नीचे के हिस्से में मौजूद तनाव दूर होता है।
इस आसन को करते में गहरा सांस ले और छोड़े,कुम्भक नहीं करें और सदा मूलबंध लगाकर पूरी एक प्रक्रिया को करके ही सीधे होने पर मूलबंध खोले।इस आसन में मूलबंध ओर उड्डीयानबन्ध व जालंधर बंध लगता ही है,पर कुम्भक नहीं करे,सहज सांस ले और धीरे से छोड़े यो केवल एक मुद्रा में 5 से 10 बार ही सांस ले और छोड़े ओर 10 सेकेंड से एक मिनट तक करें फिर एक्स्ट्राऑर्डरनरी असाधारण अभ्यास भी एक बार करें तो,आपकी नाभि बिलकुल नही डिगेगी।तीनो चक्र ओर खासकर नाभि चक्र जाग्रत होता है।


नोकासन में सावधानियां:-

जिन लोगों को कमर दर्द की शिकायत हो उन्हें यह आसन,बहुत धीरे ओर जितना बने सहज हो,उतना ही करना चाहिए, हार्नियां से प्रभावित लोगों को भी स्वस्थ होने के बाद ही या बहुत थोड़ी मुद्रा बनाकर कम समय लगाकर यह योग करना चाहिए। स्त्रियों को मासिक के समय यह योग नहीं करना चाहिए।यदि पहले से अभ्यास करती आ रही है,तो हल्का सा ही अभ्यास करें।वेसे इस आसन के करने से बच्चे के अंतिम प्रसव के समय बाहर फेकने के सम्बन्ध में पेट से नीचे के भाग से योनि तक कि मांसपेशियों को बहुत लाभ मिलता है।

कैसे करें नोकदन ओर उसके क्रमबन्ध चरण:-

पहले चरण में पीठ के बल शवासन की मुद्रा में सीधे लेट जाएं।
दूसरे चरण में दोनों पैरों को व पंजो को बिलकुल सीधा ओर टाइट रखते हुए,बिन घुटने मोड कर अपने सिर को भी साथ मे ऊपर को उठाते हुए,अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बाहरी पिंडली की साइड से लगाते हुए पास में रखें था आने हिप्स यानी नितम्बो पर ही टिकने की कोशिश करे और मूलबंध लगाकर गहरा सांस लेते हुए पैर को ओर सिर को उठाये रखते हुए 10-20 सेकेंड तक सांस लेते छोड़ते रहें।
अब तीसरे चरण में अपने दोनों पैरों के सहित अपने सिर की धीरे से जमीन पर वापस नीचे ले आये और शवासन में लेट जाएं और फिर मूलबंध हटा दे,अब इस क्रिया को 2 बार दुहराएं।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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