उर्ध्वअर्द्धपादासन से करें,सम्पूर्ण पैरों कंधे गर्दन ओर सिर के रोग दूर ओर पाएं स्वास्थ लाभ,कैसे जाने,,
बता रहें हैं महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,
सबसे पहले अपने स्वर को जांच ले और फिर अपने योगमेट पर जो स्वर चल रहा है,इसके विपरीत स्वर वाली साइड से लेट जाएं,मानो आपका सीधा स्वर चल रहा है,तो आप उल्टे स्वर की साइड को नीचे रखे और सीधे स्वर वाली साइड को ऊपर रखे और अब उल्टी साइड के उल्टे पैर को अपनी सीधी जांघ पर चढ़ा लें और उल्टे हाथ को अपने सिर के नीचे ले जाकर अपनी हथेली से कान से ऊपर के सिर के भाग पर लगा कर सिर की दिशा में बिलकुल सीधा कर ले ओर अपने सीधे पैर को घुटने से मोड़कर अपने सीधे हाथ से पैर के अंगूठे को पकड़ कर सीधा ऊपर आकाश की ओर करते हुए स्थिर करें और गहरी सांस लेते हुए मूलबंध लगाएं और सांस को छोड़ते हुए मूलबंध को ढीला करें।ऐसा 5 या 10 बार एक साइड से करे।फिर ठीक ऐसा ही उल्टी साइड से करें।
कितनी बार करें:-तो सदा याद रखें कि आसन का उद्देश्य प्राणायाम जगत में प्रवेश को अपने सम्पूर्ण शरीर में बह रही प्राण ओर अपान ऊर्जा को मूलाधार चक्र में संतुलित करते हुए वहाँ इकट्ठी करके तेज बनाकर ऊपर के चक्रों में प्रवेश कराने में सहायता देवी होती है।
यो,दोनों ओर से मिलाकर केवल दो बार ही आसन करना चाहिए और रेचक ओर पूरक ओर त्रिबंधो सहित कुम्भक का उपयोग धीरे धीरे समय को ओर अधिक समय तक बढ़ाते हुए मन चित्त को किसी अंदर या बाहिर अंग या चक्र पर केन्दित करते हुए उस की जा रही योग मुद्रा में स्थिर ओर स्थित रहना ही मुख्य योगासन का उद्देश्य है।


लाभ क्या है:-
जैसा कि सभी योगासन का मुख्य उद्धेश्य होता है कि,शरीर की सभी आंतरिक ओर बहिर मांसपेशियों को सुचारू रूप से संतुलित करना,जिससे उनमे दो मुख्य प्राण ओर इन सहित मिलाकर 10 प्रकार के उपप्राणों की गति सहजता से बहे ओर सभी अंग स्वस्थ और चेतन्य रहे।यो इस उर्ध्वपादासन से पैरों की सभी नसों के दर्द झनझनाहट कमजोरी मोड़ने में परेशानी आदि ठीक होती है और कंधों पसलियों गर्दन सिर और हाथों की कमजोरी और दर्द और उनका सही से मुड़ नहीं पाना आदि के रोग दूर होते है।
!!करें नित्य उर्ध्वपादासन!!
!!बने स्वस्थ बलवान कर रोगनाशन!!
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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