आतंकवादी संगठनों द्धारा फैलाया जा रहा रासायनिक केमिकलों से बना महाविनाशक कीटाणु,जिसके आकाशीय हमले से हो रहा और होगा, विश्व महाविनाश ओर उसकी एक मात्र आयुर्वेदिक चिकित्सा…
मेने ये दर्शन बहुत वर्ष पहले 1996 में भी देखा था और फिर अभी 2019 शरद पूर्णिमा की रात्रि के पहर के ध्यान में देखा कि..
बहुत से आतंकवादी लोग एक बड़ी सी प्रयोगशाला में रासायनिक क्रियाओं से प्रयोग कर रहे है,फिर उन्होने एक अजीब सा द्रव्य बना लिया और खुश हो रहें है,तब उन्होंने उसे आपस मे बांट कर अलग अलग दिशा में चले गए और उन्होंने उसे मेडिशन पैकेट में डालकर अपने लोगो से सारी दुनिया मे पहुँचा दिया और उन्होंने उसे सब जगहां जंगलों में जाकर एक छोटी सी बोतल से एक आंके के पौधे जैसे पौधे के ऊपर छिड़क दिया।ओर उस पौधे ने उसे अपने मे सोख लिया,तब उस आंके जैसे पौधे से एक मकड़ी जैसे बहुत से प्राणी निकल कर उड़ रहे है,फिर देखा कि,ये मकड़ी की तरहां का भूरे रंग का चमकीला सा अनेक बालो जैसी अनेक टांगों वाला भूरे रंग का विचित्र कीटाणु आकाश से धरती पर बीमारी बनकर मौत का कहर ढा रहा है,जिससे बड़ी बड़ी ऊंची ऊंची बिल्डिंगों में महामारी फैल रही है ओर वे बिल्डिंगे ढहती हुई मनुष्यो सहित खाली हो जा रही है,ये देख चारो ओर उसका उपाय ढूंढा जा रहा है,फिर वो मिला पुराने आयुर्वेदिक गर्न्थो में,जिसमें लिखा है कि,ये बीमारी का इलाज जामुन व्रक्ष के फल के रस से बनेगा,जो बैंगनी रंग की स्याही जैसा होगा,उसे लोगो को पिलाने ओर लगाने से इस कीटाणु से मुक्ति मिलेगी,ओर फिर इसी जामुन के फल से बने बैंगनी रस की वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में बना रहे है,पर तब तक उस आकाश से निरन्तर गिरते बड़े बड़े मकड़ी जैसे कीटाणुओं ने अपने कहर से पूरी दुनिया का नक्शा ही बदल डाला है।तभी मेरी इस भयावह दर्शन को देख कर चिंता से आंखे खुल गयी।
एक यूटीयूबर भक्त का प्रश्न:-
बिना किसी पर प्रयोग किये यह कैसे कह सकते हैं यह इलाज हैं?
सत्य प्रमाणिक बात रखो बन्धु, पर चिकत्सा प्रमाण पर चलती हैं
पहले कोई भी दवा ,
50 मरीजो या कम से कम 10 मरीजो पर प्रयोग ली जाती हैं
फिर परिणाम देखे जाते हैं
इसको कहते हैं प्रमाण
यह नही की किसी देव ने स्वप्न में बोल दिया और आपने बिना मरीजो पे प्रयोग किये प्रचारित कर दिया, योग अलग चीज हैं और चिकित्सा अलग, कितने मरीज ठीक हुए?
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी का उत्तर:- भक्त,,तुम्हारे प्रश्न का उत्तर ये है कि,,,विश्व के सभी धर्मों ओर उनके गर्न्थो का तथा,,
विशेषकर हमारे,सनातन धर्म के,चारो वेदों का ज्ञान पहले ईश्वरीय थ्योरी ही था,जिसे हम आत्मा या ब्रह्म ज्ञान कहते है,यानी आत्मा में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर होता है,तभी मनुष्य को उसकी समय देश काल के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर उसके मष्तिष्क में आता है,यही आज तक के जाने और अनजाने या अकस्मात हुए आविष्कारों के रूप में मनुष्य को प्राप्त ओर लाभकारी सिद्ध हुआ है,ओर यही आयुर्वेद भी है और यही आज का साइंस के मेथड है,ओर फिर आगे उनपर प्रयोग हुए,तब वो चिंतन सत्य पाया गया।यो ही ये,,
Jamun Juice Nutritional Properties– जामुन रस के पौष्टिक लक्षण ओर रोग निवारण क्षमता क्या है,जाने:-
यह विटामिन (सी, ए, बी, बी 6) से समृद्ध हैं|
यह खनिजों में फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन से भरपूर हैं|
यह एक एंटी-ऑक्सीडेंट फल है|
यह एक एंटी-इंफ्लेमेटरी फल है|
यह मधुमेह विरोधी है|
यह एक प्राकृतिक एनसट्रीजेंट है|
यह प्राकृतिक रूप से खून को शुद्ध करता है|
कार्डियोवैस्कुलर रोगों को ठीक करने में सहायक
जामुन का रस(Jamun Juice),, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है जो दिल के लिए भी लाभकारी होता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण हृदय की धमनियों को कोलेस्ट्रॉल से मुक्त रखता है और अन्य बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक और दिल के दौरे को रोकने में भी मदद करता है| जामुन के रस को सब्जी या सलाद में भी मिला सकते हैं या फिर नाश्ते में भी ले सकते हैं।
कैंसर का कारण कोशिकाओं के गठन को रोके:-
पॉलीफेनॉल युक्त फाइटोकेमिकल्स जोकि कैंसर से लड़ने वाले एंजाइम एंथोसाइनिन छोड़ते हैं| जामुन के रस को नियमित रूप से लेने से ये एंजाइम कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से लड़ते हैं और कैंसर के खतरे को कम कर देते हैं| जामुन के रस के एंटी-कार्सिनोजेनिक प्रभाव मानव अंगों में कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं और रक्त के थक्के जमने से रोकने में मदद करती हैं|
जामुन का रस(Jamun Juice) 100% प्राकृतिक होता है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
ओर सबसे बड़ी बात की,ये जितने भी अदृश्य जाने और अनजाने यानी जिनके जिनके विषय में मनुष्य को ज्ञात नहीं है,यानी प्रकार्तिक ओर अप्राकृतिक सूक्ष्म जीव कीटाणु है,उन सब से विकसित बीमारियों को समाप्त करके शरीर को पुनः स्वस्थ करता है।यो इसका उपयोग अनजाने रोगों में,जिनका कोई नाम नहीं है,उन पर भी पूरी तरहां कारगर है।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी।
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