अमर जवान ज्योति Amar Jawan Jyoti पर ज्ञान कविता
इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जनसंदेश देते कहते है कि,,
26 जनवरी 1972 को इंदिरा गांधी जी ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था।
सभी राजनेताओं के उपस्थिति में शहीदों के सम्मान में नारे लगवाएं तभी से हर साल 26 जनवरी के दिन परेड से पहले देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एयर स्टाफ के मुख्य, नेवी स्टाफ के मुख्य, आर्मी स्टाफ के मुख्य और सभी मुख्य अतिथि अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि चढाते है और भारत के ओर से लड़े गए सभी युद्धों में शहीद हुए सैनिको को श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं।
अमर जवान ज्योति स्मारक नयी दिल्ली में राजपथ पर इंडिया गेट के नीचे बनाया गया है। इस स्मारक पर संगमरमर का चबूतरा बना हुआ है, जिस पर स्वर्ण अक्षरों में “अमर जवान” लिखा हुआ है और स्मारक के शीर्ष पर L1A1 आत्म-लोडिंग आटोमेटिक राइफल भी लगी हुई है, जिसके बैरल पर किसी अनजान फौजी का हेलमेट लटका हुआ है।इस स्मारक के अगल बगल चार कलश रखे गयें हैं और इसमें से एक में 1971 से पुरे साल , चौबीसों घंटे अग्नि प्रज्वलित रहती है। पहले यह ज्योति LPG गैस के प्रयोग से जलती थी लेकिन 2006 से इस ज्योति को CNG गैस से प्रज्वलित किया जाने लगा।
केवल 26 जनवरी के दिन ही अमर जवान ज्योति वाले चारों कलशों को एक साथ प्रज्वलित किया जाता है ,तीनो सेना और पूरा भारत सम्मान से शीष झुकाता है।
ओर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,
अमर जवान ज्योति पर ज्ञान कविता
तीन शब्दों का प्रतिनिधि बन
प्रज्वलित है अमर जवान ज्योति।
आत्मा अमर है सदा जवान बन
प्रकाशित है इस जग ज्योति।।
कर्म अमरता देते इस जग
जो देते देश आहूत निज प्राण।
जवानी कुर्बान कर देते जन रक्षा
मिटा कर विपदा शत्रु त्राण।।
ज्योति बन जल राह दिखाते
मिटा सभी कंटक अंधकार।
हम संकल्प अस्त्र सर्व रक्षा
सर झुकता मात्र देश के प्यार।।
चार स्तम्भ जब ज्योति जलती
जो रूप अर्थ काम धर्म मोक्ष।
स्वागत है उन वीर यहां सब
जो जीते सब जग अपरोक्ष।।
भारत के महावीर लड़े जग
प्रतिनिधित्त्व कर विजय पथ।
लौट कर नहीं आये दे प्राणाहुति
वही स्मरण यहां अमरता के गत।।
इंद्रा जी ने इसे बनवाया
ओर किया उद्धघाटन स्वकर नमन।
तभी से ये दिवस चला मनता है
जो सदा ज्योतिर्मयी भारत चमन।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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