!!अंतर्राष्टीय परिवार दिवस 15 मई!! International Family Day!!
हर साल 15 मई (15 May) को दुनियां भर में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस International Family Day मनाया जाता है। इसका प्रारम्भ सन 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की विश्व समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित परस्पर मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिए की गई थी।
साल 1996 में सबसे पहले इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day) मनाया गया था। तब विश्व परिवार दिवस की थीम थी “परिवार: गरीबी और बेघरता के पहले पीड़ित” था। जबकि इस बार इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम ‘परिवार और जलवायु संबंध’ रखी गई है।
विश्व परिवार दिवस के प्रतीक चिन्ह को देखें तो,यह एक हरे रंग का एक गोल घेरा है जिसके अंदर एक घर बना हुआ है।जिसमें एक दिल बना हुआ है।जो समाज का केंद्र यानि परिवार को दर्शाता है यानि परिवार के बिना ये सारा समाज अपूर्ण है।
अंतर्राष्टीय परिवार दिवस पर अपनी कविता के माध्यम से जनसंदेश देते हुए स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,,,
प्यार स्नेह सहयोग समर्पण
बाल्य युवा वर्द्ध का मेल।
अनेक में एक इकाई पूर्ण है
परिवार नाम रिश्तों का खेल।।
मात पिता दादा ओर दादी
बुआ चाचा चाची ताई।
भाई बहिन संग बचपन खिलता
बढ़ते लड़ते रोते हंसाई।।
नियम बड़ों के मान्य सभी को
तोड़े मिलता ज्ञानमयी दंड।
प्रेम भी मिलता गोद गले लग
पुचकार संग मिलती डांट उद्दंड।।
कठिनाई में सब संग होते
रोग होवे तो करें दुआ आशीष।
धीरज धैर्य सांत्वना मिलती
चुप सहायता मिले बिन ब्याजी टीस।।
कोई डाँटता कोई पुचकारे
जीवन देखे अनेक बसंत।
नव जीवन आता खुशियां लाता
मृत्यु भी दुखदायी बने जीवन पठन्त।।
घूमने जाते घर कर चंदा
नए नए कपड़े बढ़ती मांग।
दिवाली खुशी के दीप जलाते
होली खेले बांट मिठाई भांग।।
परिवार टूटते गलतफहमी के
ओर टूटते निज अहंकार।
जुडते फिर पंचायत रिश्तों से
भूलकर पिछला कटु व्यवहार।।
जड़ हमारी गांव अधिक है
शहर मोहल्ले भी पहचान।
जाति पाती संग रिश्ते नाते
कुल इतिहास नए पुराने मान।।
जड़ विहीन पेड़ मिट जाता
यो बिन परिवार मिटता सर्वसुख।
परिवार एक समाज पूर्ण है
बिन परिवार सर्वत्र है दुख।।
यो परिवार दिवस सभी मनाओ
ढूढों अपनी जड़ शाखें।
जोड़ो उन्हें एक बना इकाई
नई कोंपल बने एक परिवार बांके।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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