अंतर्राष्टीय कुष्ठ दिवस 30 जनवरी पर ज्ञान और कविता

अंतर्राष्टीय कुष्ठ दिवस 30 जनवरी पर ज्ञान और कविता

इस 30-जनवरी विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस World Leprosy Eradication Day पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,

भारत में हर वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को ही विश्व कुष्ठ दिवस World Leprosy Day मनाया जाता है, गांधी जी की हत्या आज के ही दिन 30जनवरी 1948 में कर की गई थी। इस दिन को मनाने का विश्वव्यापी विचार और कार्य फ्रांसीसी मानवीय राउल फोलेरो French humanitarian Raoul Follereau ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोगो से पीड़ित लोगों की सहायता की थी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए।

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रयासों की वजह से ही भारत सहित कई देशों में अब कुष्ठ रोगियों को सामाजिक बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ता। अब समाज के अधिकतर लोग समझ गए है कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि एक बीमारी है, जो कि किसी को भी हो सकती है और इसका इलाज संभव है।महात्मा गांधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयासों के कारण से ही पतयेक वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को ‘कुष्ठ रोग निवारण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
World Leprosy Day विश्व कुष्ठ दिवस मनाने के पीछे कुष्ठ रोगों के बारे में जनसाधारण में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है।

इसी दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,,

कुष्ठ दिवस 30 जनवरी पर ज्ञान कविता

घृणा करो न कभी किसी से
न कभी किसी को कहो बुरा।
भला नहीं कर सको किसी का
न पीठ पीछे भोंखों छुरा।।
कुठाराघात करो कभी ना
बात घात ना कर मुलाकात।
नतीजा मिले इस कष्ट रूप में
कुष्ठ रोग बनकर इस नात।।
ये आध्यात्मिक विचार कर्मफल
ओर भौतिक ज्ञान है इस भिन्न।
जीवाणु हानि पहुँचाते त्वचा
श्वसन श्लेष्मा नसों को रोग करें छिन्न भिन्न।।
त्वचा विकृत होती जाती
घाव बनते भरते है कम।
लहरें सी उभरे तन की त्वचा
क्षति पहुँचती ले सुन्नपनतम।।
धीरे धीरे घाव सड़ते जाते
ओर दिखते कीड़े उन घाव।
गल जाता वो अंग शरीर का
ओर मृत्यु संकट देते बढ़ घाव।।
कभी असाध्य रोग कुष्ठ था
अब खोजी दवाई अनेक।
रोग नियंत्रित हुआ इस क़दर
जीवन बना नरक से नेक।।
छुआछूत रोग नहीं ये
ना ये है वंशानुगत रोग।
सेवा चिकित्सा सही समय हो
तो नियंत्रित मिटे ये कुष्ठ रोग।।
गांधी जी ने की कुष्ठ रोगी सेवा
ओर जोड़ा उन्हें समाजधारा।
यो इन्हें सम्मान दिलाया ख़ुद दे
यो तीस जनवरी कुष्ठ दिवस मना आधारा।।
गांधी जी की पुण्यतिथि को
घोषित किया है विश्व कुष्ठ दिवस।
सेवा विभूषिका सम्मान सभी दें
मनाकर कुष्ठ निवारण दिवस।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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