अंतरराष्ट्रीय रंगभेद उन्मूलन दिवस International Day for the Elimination of Racial Discrimination 21 मार्च पर ज्ञान कविता
इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी बता रहें है कि,
प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। रंगभेद समाज में फैली एक कुरीति है, जो मानवता पर बड़ा घातक सीधा प्रहार करती है। यह स्थिति दुनियां में मानवाधिकार का घोर अमानवीयता भरा उल्लंघन है।
क्यों मनाया जाता है यह दिवस:-
यूनेस्को द्वारा विश्व भर में जातीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन घटनाओं की याद में मनाया जाता है जब 21 मार्च सन् 1960 को दक्षिणी अफ्रीका के शार्पविली में पुलिस ने रंगभेद के ख़िलाफ़ एक छात्र प्रदर्शन पर गोलियां चलाई थीं जिसके परिणामस्वरूप कई छात्र मारे गए थे। इस दिवस का उद्देश्य है समाज में समानता लाने के लिए जागरूकता लाई जा सके।ओर इसी दिवस का एक ओर पक्षीय दिवस रंगभेद दिवस 8 जुलाई भी है यह दिन विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है।18 जुलाई 1918 को जन्मे नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले विश्व नेता के रूप में जाना जाता है।जीवन के 27 साल जेल में गुजारे थे भारत रत्न और अफ्रीका के गांधी हैं।ओर इनका निधन 5 दिसंबर 2013 को हुआ था।
यो इस अंतर्राष्टीय दिवस पर स्वामी सत्येद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञानवर्द्धक कविता इस प्रकार से है कि,
अंतर्राष्टीय रंगभेद उन्मूलन दिवस पर ज्ञान कविता
जातपात क्या बनाई ईश्वर
तब कैसे हुआ जग प्रचार।
या जैसे एक जाति के वृक्ष पौधे
बीज एक पर भिन्न उपज विस्तार।।
जयों गाय मछली नाम अर्थ है
पर इनकी प्रजाति बिलकुल भिन्न।
अनेक रंग और स्वभाव में अंतर
रंगत कदकाठी देश स्थान हैं भिन्न।।
गौरवर्ण है कोई सांवला
कोई काला कोई मिश्रित सा रंग।
भेद दिखता स्पष्ट सभी में
ज्यों भाषा अर्थ भिन्न उच्चारण तरंग।।
पर सबसे प्रकट अष्ट भाव हैं
काम क्रोध ओर अंतिम प्रेम।
पांच मांग और पांच दाता
अंत में सब के पीछे अहम।।
शिक्षा नोकरी विवाह और सुख
घर समाज धर्म अंत राह।
सेवा तप दान पुण्य व्रद्धि
दस लेने देने कर्म एक दूजे सहाय।।
नर नारी का भेद सर्वव्यापी
पर दोनों एक दूजे पूरक हैं।
यही रंगभेद जन परस्पर
विश्व कुटुंब बन एक पूरक हैं।।
रंग भिन्नता खूबसूरत दुनियां
ज्यों सुबह दोपहर शाम संग रात।
एक ही है सबके पीछे इस जग
तभी आनन्द ज्ञान हम हो रहा ज्ञात।।
सम्मान करो सभी रंग जाति
भेद का सच्चा अर्थ को जान।
बिन औरों के वो एक अधूरा
वो एक पूरा है सब संग दे मान।।
आओ मनाये सबको गले लगाकर
देकर अपनापन का संग सुख।
मेरे है सबका मैं भी हूं
यही भेद मिटा जग मिटायें दुख।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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