!!मुग्दर व्यायाम पर कविता!!

!!मुग्दर व्यायाम पर कविता!!

मुग्दर व्यायाम के प्राचीन इतिहास के साथ मुग्दर कला के प्रति सभी नर नारियों को अपने अनुभव के माध्यम से कविता में इस प्रकार प्रकट करते हुए स्वास्थ के प्रति जागरूक करते हुए,स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,

जब से मानुष जन्मा जग में
तब से बल के खेल शुरू।
पहला अस्त्र गदा बनाई
जिसे बनाया ले मजबूत तरु।।

मुट्ठ बनाया दृढ़ पकड़ को
भारी बनाया प्रबल प्रहार।
नित्य अभ्यास घुमा घुमा कर
विकसित किया ये अस्त्र संहार।।

राम कृष्ण बलराम से लेकर
दुर्योधन ओर महाबली भीम।
सम्पूर्ण विश्व में मुग्दर सब भाजें
अकेला व्यायाम बनाये शरीर असीम।।

लाठी हो तलवार या भाला
या हो वजन उठाना भारी।
सभी के पीछे मुग्दर की कसरत
इसी से निकली ये अस्त्र कला सारी।।

इसे नाम दिये अनेकों
गदा मुंगरी ओर मुग्ददर।
कल्लारी भी कहते इसको
शरीर बनाता बलशाली सुंदर।।

मुट्ठी कलाई भुजदंड ओर कंधे
गर्दन पीठ बलशाली सीना।
अद्धभुत सुगठित शरीर है बनता
निकले रोम रोम भरपूर पसीना।।

कमर पेट नितंब जांघ
ओर बनते पिंडली पैर।
हाथ घूमता मुग्दर ज्यों ज्यों
करती नजरें भी संग सैर।।

गर्मी सर्दी बरसात हो मौसम
चाहे समय हो कोई।
मुग्दर कला कभी भी कर लो
बस तभी भरा पेट ना होई।।

मुग्ददर व्यायाम सदा करो
अंग अंग बनता स्वस्थ।
शरीर सुडौल बल बुद्धि बढ़े
मन रहता सदा ही मस्त।।

कब्ज मिटे सहज शौच हो
हटी नाभि होवे स्वस्थ।
मिटे आंत की सूजन सारी
बढ़े भूख,पेट रोग हो अस्त।।

श्वास बढ़े भस्त्रा चले
ओर कुम्भक बढ़ बनो बलवान।
अद्धभुत कांति चहरे बढ़े
संग बढ़े ब्रह्मचर्य महान।।

मगदर अचूक व्यायाम अस्त्र
बन गदा विराजे हनुमान।
सभी पहलवान की पसंद ये
जल्द बनाता उन्हें बलवान।।

मुग्दर मन तन मोहता
बड़ी लय से घूमे अंग।
बड़े गजब इसके पैतरे
करतब देख हो दर्शक दंग।।

दाएं घूमे बाएं घूमे
घूमे मुग्दर चारों ओर।
हाथ बदल घूमाता साधक
मुग्दर नृत्य करता हर छोर।।

बच्चे से बूढ़े तक कर सकते
मुग्दर के सरल व्यायाम।
हलके वजन से लेकर भारी
मन मर्जी करो मुग्दर व्यायाम।।

यो आज मंगाओ या बनाओ
या बनवाओ बढई से मुग्दर।
व्यायाम शुरू करो त्याग के आलस
बनो स्वस्थ कहें गुरु सतेंद्र।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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