धार्मिक आस्था और वैवाहिक आदि कार्यक्रमों द्धारा फैलते ध्वनि प्रदूषण पर जनसाधारण से उनका सहयोग साथ देने के लिए सत्यास्मि मिशन की और से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी ये जनसन्देश कहते है की…
सत्यास्मि मिशन की प्रारम्भ से ही यही दर्शनावली रही और अपने मानने वालो में प्रचारित रही है की धर्म की धार्मिकता मनुष्य के लिए धर्म का ध्वनि प्रदूषण नही बन जाये यो उसका सदैव इस विषय पर जागरूकता अभियान चलता रहता है की विश्व के सभी प्रमुख धर्मों में बताया गया है कि धार्मिक बातें किसी कुपात्र या अनिच्छुक व्यक्ति को नहीं बतानी चाहिए। जो इसमें विश्वास नहीं करते, उन्हें ये बातें सुनाने से धर्म का अनादर या अपमान होता है। कुरान शरीफ में लिखा है कि लकुम दीनोकुम, वलीया दीन! तुम्हारा धर्म तुम्हारे लिए और हमारा धर्म हमारे लिए। यानी यदि कोई शख्स दूसरे धर्म में यकीन करता है, तो उसे जबरन अपने धर्म के बारे में न बताएं। लेकिन जब हम लाउडस्पीकर पर अजान देते हैं अथवा तरावी पढ़ते हैं तो क्या हम इस प्रकार दूसरे धर्मावलंबियों को जबरदस्ती अपनी बातें नहीं सुनाते है? और इसी तरह गीता रहस्य के अठारहवें अध्याय के 67-68 वें श्लोक में कहा गया है- इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां याभ्यसूयति।। अर्थात गीता के इस रहस्य को किसी ऐसे आदमी के सामने नहीं रखना चाहिए जिसके पास इसे सुनने का धैर्य नहीं है अथवा उसमें धार्मिक जिज्ञासा नही हो या जो किसी विशेष स्वार्थ के लिए इसके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहा है या जो इसे सुनने को तैयार नहीं है। विशेष कर यह सभी उपदेश उन्हें तो बिल्कुल नहीं सुनाना चाहिए जो इसमें दोष निकालते हैं।तब हमे क्या करना चाहिए? शास्त्र कहते है की प्रथम हमें स्वयं में ये सब धार्मिक ज्ञान अपने आचरण में लाना चाहिए तब तुम्हारे आचरण और दैनिक जीवन में आपकी जीवनशैली में आये शुभ परिवर्तन को देख अनुभव करते हुए स्वयं उसी प्रकार की अपने जीवन में ज्ञान और शांति पाने की भावना लेकर जिज्ञासु आपके पास आयेगे तब उन्हें उनके प्रश्न अनुरूप उन्हें ज्ञान देना चाहिए लेकिन उधर ये भी निर्देश है की यदि चारों और अराजकता अधार्मिकता का बड़ा बोल बाला हो तब ठीक इसी प्रकार उच्च स्वर में आपको भी अपने ज्ञान का संगीतमय गायन करते हुए प्रचार करना चाहिए जिस प्रकार वेद्य तीन प्रकार के होते है-1-वो जो रोगी के कहने पर उसे ओषधि बता दे-2-दूसरा उस ओषधि को लेकर रोगी को दे दे-3-तीसरा जो उस रोगी को वो ओषधि ला कर देने के उपरांत उसे कड़वी होने या किसी भी कारण नही पी पाने के कारण स्वयं उसके प्रतिरोध करने पर भी जबरन उसे पिला दे ठीक यही तीसरा वेद्य इस सेवक या गुरु ही सर्वोत्तम कहलाता है क्योकि उसे उस व्यक्ति से प्रेम भी है और उसमें अपना आपा भी अनुभव करता है यही यहाँ विषय है की पूर्वकाल में लोगो के पास अन्य लोगो को बुलाने या जाग्रत करने को आज के लाउडस्पीकर आदि नही थे तब जोर जोर से आवाज लगा कर उन्हें ये धार्मिक या अन्य संदेश दिया करते थे तब भी इसकी एक सीमा होती है वो है स्वयं की आवाज में कहना ये नही की प्रातः हुयी और मन्दिर के पण्डित जी आदि केवल फ़िल्मी गीतों की धुन पर बने भजनों को तेज आवाज में चला कर अपने काम करते रहे उनके तो मन्दिर आदि में वो आवाज कम आती है बल्कि पास के घर और दूर तक के घरों में इतनी तेज जाती है की उस भजन की मधुरता समाप्त होकर वो केवल एक कर्कशता और विघ्नत बन दुःख का कारण बने यो अपनी आवाज में आरती भजन आदि हो जो की एक निश्वित समय में हो साथ ली लोगो को धर्म में सेवा पर बल अधिक से अधिक देना और उसकी और प्रेरित करना चाहिए ठीक यही वर्तमान में विषय है चाहे किसी भी धर्म में हो ये सब केवल समय अनुसार ही हो की पहले उसका प्रचार हो की आज ऐसा कार्यक्रम होगा तब भी आप स्मरण रखें की ये सब इतना अधिक नही हो जो की किसी पास के रोगी या अस्पताल या बच्चों की परीक्षा आदि में बांधक बनता रहे।सत्यास्मि मिशन अपने मन्दिर और आश्रम में केवल एक निश्चित समयानुसार ही ये सब कराता है अधिकतर अपने कार्यक्रमों के आलावा लाउडस्पीकरों का बिलकुल उपयोग नही करता है और आपसे भी अनुरोध है स्वयं की मधुर भाषा में नियमित और संयमित धर्म गान आदि करें।
ध्वनि प्रदूषण से होती जन मानसिक और शारारिक हानियों के प्रति सभी को सजग और जागरूक होना ही होगा।
यो पुरे वर्ष और प्रति माह इन ध्वनि प्रदूषण फेलाने वाले अनेक प्रकार के ज्ञात अज्ञात ध्वनि प्रदूषण फेलाने वालो पर भी कार्यवाही हो..
महोदय आपके संज्ञान में लाना है कि दिनांक 29.06.2018 को एक प्रार्थनापत्र जो की डी जे संचालकों द्वारा पिछले काफी समय से डी जे संचालन में जो वाइब्रेट धमक हाई डिसेबल में प्रयोग की जा रही है। जिसके दुष्परिणाम कई लोगो को दिल की बीमारी,मानसिक विक्षिप्तता,अनिद्रा से भारी तनाव के रूप में मिल रहे है।बच्चों की शिक्षा और उसके गिरते स्तर में बुरी तरहां से बुरा प्रभाव निरन्तर सामने आ रहा है,जो प्रातः ध्यान साधना या पूजा अर्चना करते शांति प्राप्ति को अभ्यास करते है,उन्हें अपनी नियमित साधना छोड़नी पड़ती है, उसको बन्द करवाने हेतु, माननीय जिलाधिकारी बुलंदशहर को दिया था। जिसमे जिलाधिकारी महोदय द्वारा एस डी एम सदर को उक्त संचालकों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दिए थे और जिसके सम्बन्ध में यह भी आदेश दिया था कि थाना कोतवाली नगर व कोतवाली देहात की पुलिस की अलग अलग 2 टीम गठित कर उक्त संचालकों पर कार्यवाही हो और ऐसी जानलेवा धुन का प्रयोग डी जे संचालन में बंद हो सके,,के लिए आदेश हुआ था। परंतु उसके उपरांत स्थानोय पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई तथा उसके उपरांत एक रिमाइंडर प्रार्थना पत्र पुलिस द्वारा कार्यवाही न होने के सम्बंध में 10 दिन पूर्व नगर मजिस्ट्रेट महोदय को दिया था। जिस पर नगर मजिस्ट्रेट महोदय ने त्वरित एक आदेश उक्त दोनों थाना प्रभारी एवं प्रदूषण विभाग हेतु कार्यवाही के लिये किया था,परन्तु उसके बाबजूद भी आज दिनांक 18-10-2018 तक और वतर्मान तक कोई कार्यवाही उक्त डी जे संचालकों पर न हुई है जिसमे उक्त धुन से जनहित के स्वास्थ्य के लिए दुःखद परिणाम की प्रबल संभावना आज भी बनी हुई है।।
आपसे निवेदन है कि बुलंदशहर थाना कोतवाली नगर व थाना कोतवाली देहात पुलिस को उक्त आदेश पर कार्यवाही अम्ल कराए जाने के आदेश करने की कृपा करें। जिससे जनहित के लिए कोई दुःखद परिणाम न हो सके।।
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की शिकायत, इसके दुष्परिणामों से किया लोगों को आगाह
तेज आवाज में चल रहे डीजे पर कार्रवाई की मांग http://bulandshahrkesari.com
बुलंदशहर केसरी न्यूज़*
“आकाश सक्सेना”
सत्य ॐ सिद्धाश्रम शनिदेव मन्दिर कोर्ट रोड बुलन्दशहर।
सत्याशिम मिशन कमेटी
बुलंदशहर।।
निवेदन-आप इस ध्वनि प्रदूषण में अपने गली महोल्ले से एक शिकायत पत्र पर सभी जनो से समहति हस्ताक्षर लेकर सभासद के साथ या लोगो के साथ अपने जिलाधिकारी से मिले और शिकायत पत्र दें।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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