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22 मार्च को सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की रचित कविता के माध्यम से विश्व जल दिवस उत्सव के विषय “अपशिष्ट जल” के उपयोग पर एक जनसंदेश देती उपदेशिक कविता है

22 मार्च को सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की रचित कविता के माध्यम से विश्व जल दिवस उत्सव के विषय “अपशिष्ट जल” के उपयोग पर एक जनसंदेश देती उपदेशिक कविता है,की हमे कैसे अपनी ओर अपने भविष्य की पीढ़ी को जल संकट नहीं देना चाहिए,अन्यथा वो हमारे ही लोगो हमे इसके लिए सदा दोषी मानेगे,ओर जरा कल्पना करिए कि,यदि आपके सामनेही जल खत्म हो जाये,तब आपके सामने क्या समस्याएं होंगी,कल्पना तो करें और सोचे कि जल कितना महत्त्वपूर्ण है,हम सभी के लिए,चारो तरफ आप रोज पढ़ते ओर यात्रा करते वहां उन क्षेत्रों से गुजरते हुए देखते है,की लोग प्यास से मर रहे है,खेतों में जल और विशेषकर स्वच्छ उपयोगी जल नही मिलने और होने के कारण वहाँ अन्न नही हो पाने की वजह से लोग कितने कष्ट उठा रहे है,जब उन क्षेत्रों में आय का साधन खत्म होगा,तो वे आपके सम्पन्न क्षेत्रों में आएंगे,ओर वे आपके साधनों में हिस्सा मांगेंगे,परिणाम जनसंख्या बढ़ेगी और साधन कम होंगे और परस्पर वे वैमनस्य बढेगा ओर विद्रोह होगा,मारा मारी बढ़ेगी,अराजकता फैलेगी,जिसका बुरे से बुरा परिणाम हम सभी को झेलना पड़ेगा,यो अभी से इन सब बुरे परिणाम की कल्पना करके सावधान हो जाओ और तुरन्त उपाय अपनाओ की,जल बचाओ,यो इस कविता को ध्यान से पढो…

जल है तो आज कल है
जल बिन सब मल है।
जल से जीवन सब
जल बिन झरने नदी कल कल है।।
ना सूरज की छवि होगी
ना हवा जल बिन तरंग।
चाँद बिखरेगा चाँदनी कहाँ
सब जल बिन होंगे अरंग।।
हिमालय नही दर्शन होंगे
जल बिन नही समुंद्र।
जो होगा जल भी शेष कहीं
उस पर मचेगा मात्र क्रंद।।
जानों स्वच्छ मूल्य जल
और करो ना जल व्यर्थ।
लो उतना ही उपयोग में
जितना करो प्रयोगिक अर्थ।।
छोड़ो नही चला टँकी
ना देखो ऐसा होता।
तुरंत करो उस बंद जाकर
दो जल विहीन धरा न न्योता।।
जल स्वच्छ तो हम स्वच्छ
जल बिन होंगे काल के गाल।
बढ़ेगी गर्मी और और अब
जल बिन नित फैल रहा अकाल।।
जल हमारे शरीर में
है प्रतिशत और अधिक।
जल नही तो हम नही
स्वच्छ जल बिन बने स्वयं वधिक।।
आज जो जल पी रहे
वो शोधित नाम है विष।
और कब तक उसे शोधित करो
अंत में और बने झरेगा विष।।
विधुत भी जल से बने
शुद्ध जल ही धरा दे जीवन।
जल बचाओ व्यर्थ करे बिन
नहीं तो मरो दूषित जल पीवन।।
यदि स्थान हो घर बाहर
तो वहाँ लगाओं वृक्ष।
बना नाली पहुँचाओ उस
वृक्ष दूषित जल स्वच्छ करे कर भक्ष।।
और भरो बरसात जल
गांव शहर निज ताल।
सिंचाई में उपयोग करो
यूँ जल प्रदूषण मिटे हर साल।।
बचाओ बचाओ जल बचाओ
छेड़ो जल स्वच्छ्ता का अभियान।
अपनाओ और भेजो संदेश ये
विश्व अपशिष्ट जल दिवस का ज्ञान।।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
www.satyasmeemission.org

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