विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर World Food Day व विश्व खादय सुरक्षा दिवस World Food Safety Day 7 जून पर ज्ञान कविता
इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,
विश्व खाद्य दिवस प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 16 अक्टूबर को मनाया जाता है।इतने वर्ष बीत जाने पर भी अभी तक दुनिया भर में भूखे पेट सोने वालों की संख्या बढ़ी है,उसमे कोई कमी नहीं आई है। विश्व में आज भी कई देशों के अनगिनत लोग ऐसे हैं, जो आज भी भूखमरी से जूझ रहे हैं। इस मामले में विकासशील या विकसित देशों में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है। विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक नौ अरब होने का अनुमान है और इसमें से लगभग 80 फीसदी लोग विकासशील देशों में रहेंगे।आज के समय में किस तरह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, यह एक बड़ा विकट प्रश्न है।संसार भर में एक तरफ़ तो ऐसे लोग हैं, जिनके घर में खाना खूब बेकार जाता है और वे उसे आधा खाकर फेंक देते है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जिन्हें एक समय का भोजन भी नसीब नहीं मिल।विश्व भर में खाद्यान्न की इसी समस्या को देखते हुए ’16 अक्टूबर’ को प्रत्येक साल ‘विश्व खाद्य दिवस’ मनाने की घोषणा की गई थी।
इसे सब विषयों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 16 अक्टूबर, 1945 को रोम में “खाद्य एवं कृषि संगठन” यानी एफएओ की स्थापना की।विश्व भर में व्याप्त भुखमरी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने एवं इसे खत्म करने के लिए 1980 से 16 अक्टूबर को ‘विश्व खाद्य दिवस’ का आयोजन प्रारम्भ किया गया।
इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,
!!💐विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर व खादय सुरक्षा दिवस 7 जून पर ज्ञान कविता💐!!
कहीं अन्न कहीं दाना तक ना
कहीं भंडार तो कहीं नहीं निवाला।
कहीं अधिक खाये या बिन खाये मरते
कितना अंतर है खाद्य बेहाला।।
कहीं भूख नहीं रुचिकर भोजन
ओर कहीं सड़ा भी मोहन भोग लगे।
दोनों ओर खाना बीमारी कारण
कैसा अन्याय इस जगत लगे।।
दिन रात बढ़ रही जनसंख्या
ओर भूमि कम पड़ती अनुपात।
अन्न व्यवसाय भंडारे भरकर
करता मंहगाई बढ़कर जनपात।।
विकास नाम पर हर देश में
व्यवस्था नाम एकत्रीकरण।
आदान प्रदान शुल्कीकरण व्रद्धि
कैसे पहुँच हो जन अन्न भरण।।
वही चल रही परंपरागत खेती
या फिर एक सी फसलीय होड़।
अनुपात बिगाड़ते खुद कृषक भी
रहा सहा व्यापार संतुलन दे तोड़।।
कृषि नीति व्यापक सहज ना
उनमें नित बदलाव कृषक जन।
खादय वस्तुएं खेतो में रह जाती
शेष बाजार बिकती महंगी बन।।
पहले जनसंख्या वृद्धि रोको
दूजे कृषि बाजार नीति हो सुद्रढ़।
तीजी खादय पौष्टिक नियम हो
चौथी खाद्य भंडार भरे न अड़।।
पंचम सहज व्यापार राज्य भर
ओर सदुर देश तक पहुँचे सहज।
खाद्य पदार्थ फेंकना दंडित हो
अधिक हो बांटना जन हो सहज।।
तभी कुछ सम्भव होगी समस्या
खाद्य सामग्री बंदिश हो मुक्त।
जन चेतना अधिक आवश्यक
स्वयं सेवक बढ़े इस सेवा युक्त।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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