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12 जून विश्व बाल्य श्रम निषेध दिवस पर सत्यास्मि मिशन का कविता संदेश

आज बाल्य श्रम निषेध दिवस है
इस पर ये जन है संदेश।
सोचो इन बाल्य भविष्य कुछ
और करो अवश्य इन बाल्य निवेश।।
अल्पायु हाथ में बीड़ी
और चुगते बीनते कचरा।
सुबह दोपहर साय रात्रि
गाली भर मुख विचरें विचरा।।
ईंट उठाते महनत करते
काम करते संग माँ बाप।
गाली खाते पर मिलता नहीं
श्रम शुल्क इन बाल्य श्रमिकों को नाप।।
न्यायिक नियम बने अवश्य है
पर चलित समाज हो कैसे।
निर्धनता की बंधी डोर है
उसे काट निकले ये कैसे।।
सरकार सहित सामाजिक संगठन
कर रहे इनका कल्याण।
पर बहुत अधिक है जनसंख्यां इनकी
अल्प पडता फल इन झोली दान।।
समस्या बड़ी है इनके परिजन
वे इन्हें बनाते श्रम है साधन।
कितना कर लो पर थोडा पड़ता है
इनके सुधार सहाय में बाधन।।
यो आवश्यकता है आज इन्हें
जहाँ ये कारज करते।
वही आश्रय दे अपनी इन
अतिरिक्त सहायता करते।।
ना करने से तो अच्छा है
जितना बने अवश्य करो।
ये करना भी हो सफल एक दिन
निज कर्म से मनुष्यता इनमें भरो।।
खोने मत दो बालपन
ना खोने दो मुस्कान।
इन्हीं में कहीं छिपा है
वो भविष्य का भगवान।।
यदि ये मुरझा गये
खिलने से पहले पुष्प।
तो सुगंधहीन पवन चले
कल भविष्य उद्यान पुष्प।।
खेलने दो पढ़ने दो
और बनो इनके साहयक।
अवश्य करो इनके लिए
जो बने बनकर शुभ वाहक।।
बाल्य श्रम निषेध दिवस पर
इन बाल्यों को दो कुछ उपहार।
बहुत नही तो थोडा सही
पर देना स्नेह कुछ प्यार।।
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