कथित भक्तो की कथित भक्ति पर श्री सत्यसाहिब जी कुछ इस अंदाज में कहते अर्ज करते है कि…
वाट्सएप क्यो देर से खोलने पर अर्ज है कि…
वाट्सएप क्यो देर से खोलने पर ओर तबियत की पूछने पर उन्हें अर्ज है कि…
न किसी को हमारा इंतजार
न हमें करना किसी का दीदार।।
मुलाकात बस राहे राही सी थी
वो मोड़ निकला की,फिर हुए कहीं और राहे जा शुमार।।
ओर…
नासाज़ तबियत की उन्हें बताये
जिन्हें हमसे मोहब्बत है।
ख़िदमत की हमारी नहीं,खुद की हो चाहत
उनका पूछना तो महज अपनी सोहबब्बत को है।।
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कैसे हो गुरु जी पर जनाब यूँ अर्ज है की…
जब दूर से पूछोगे तुम हमारा मिजाज…
कहना ही पडेगा कि खैरियत है…
अपने होते न आती पूछने की नोबत
गैर को तो जबाब देना ही जहरियत है।।
एक भक्त के इस अर्ज पर की,प्यार के बदले प्यार दो,तो अब अपने है…यूं अर्ज है कि…
अल्फ़ाज़ तो बड़े असरदार है ये जनाब
प्यार करो तो सब अपने है।
ये प्यार ही तो वो कहर है जहां का
जिसे खुली आंख से देखते आबाद ए फर्जी सब सपने हैं।
ओर एक भक्त के इस अर्ज की..
मुफ़्त का दिया मिट्टी का, कर रोशन गर खुदा ने किया, ए मिट्टी के पुतले नादान इक दिन मिट्टी में मिल जाना है।।🙏💐
इस कहे पर साहिब अर्ज करते है कि…
मुफ्त में न खुदा कुछ देता
लेता बदले में इबादत अपनी।
ये भी गुलामी है इंसान की उसकी
प्यार ए बदले में जिंदगी पाता अपनी।।
ओर सत्यसाहिब ए बंदगी..से कुछ यूं ओर अर्ज है कि..
इस दुनियां या उस दुनियां की
या चाहत हो पाने की उस खुदा।
तीनों ही खुदगर्जी से ज्यादा कुछ नहीं
यो खुद को जान,जो है इन सबसे जुदा।।
ओर अपने को जानकर उसमें वजू यानी पवित्रता से एक यानी शुदा बने रहना ही खुदाशुदा है..पर अर्ज है कि..
जो खुद को जान पहचान गया
वही खुद से खुदा है।
ख़ुद के वजूद में वजू करना
खुद का खुदाशुदा है।।
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