मेरा दिव्य दर्शन व् शक्तिपात से भक्त तारादेवी की आध्यात्मिक यात्रा और समापन

ये भी 1993 की घटना है की एक भक्त परिवार और उनकी माता तारादेवी शर्मा जो उस समय लगभग 52 साल आयु की थी और दिल्ली युनिवर्सटी से ग्रेजुएट थी उनके पति जगदीश शर्मा बुलन्दशहर में एडवोकेट थे आश्रम से अपनी परिवारिक समस्या को लेकर जुडी तब उन्हें गम्भीर ध्यान...

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भक्त को प्रेत व सिद्धात्मा दर्शन और उसका सही उपयोग नही कर पाने से सिद्धि की समाप्ति

ये बहुत पुरानी लगभग सन् 1992-93 की बात है की मेरे छोटे भाई के एक गहरे मित्र मंजीत जो वर्तमान में एक प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य और शिवशक्ति पीठाधीश्वर भी है और उसकी बहिन अरुणा जो अपनी सुसराल जिला अलीगढ़ में सरकारी जूनियर विद्यालय में अध्यापक और सुखी ग्रहस्थ जीवन व्यतीत कर...

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मेरी एक पूर्वजन्म सिद्धि प्राप्त साधक से भेंट यात्रा और आगामी योजिज्ञासुओं को स्वप्राप्ति योगविषयक ज्ञान दान

  हमारे गांव के पास के गांव अजयनगर जिसे हम भूह नाम से पुकारते थे उस गांव के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति जो हमारे पिता के चकबन्दी के किलाइंट थे और गांव नाते से चाचा लगते थे वे शहर अपने केस की तारीख को हमारे घर आये और बोले की हमारे...

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6 अगस्त विश्व मित्रता दिवस

आज मित्रता दिवस मनाओ उन जीवित मृत मित्र स्मरण। हिरोशिमा मरे अनंत लोग उन्हें करते आज संस्मरण।। तीन मित्र रूस इंग्लैंड अमेरिका धूरी मित्र जर्मन और जापान। मित्र मित्र मिल शत्रु बने द्धितीय विश्वयुद्ध हुआ महान।। भयंकर नरसंहार हुआ मरे मारे विश्व मित्र। मिटा बना धरा इतिहास नवीन मित्र शत्रुता...

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मेरे जीवन की राजनैतिक यात्रा और योग चिंतक संग संस्मरण

<center> ये सन् 90 की जब उत्तर प्रदेश में विधायकी के चुनाव से पूर्व की बात है जब हमारे ननसाल साइड सैदपुर के भाई लगने वाले कनाडा निवासी जुगेन्द्र सिरोही ने बी.जे.पी.से अगौता छेत्र से टिकिट प्राप्त किया और उसका भांजा और एक हमारे सदूर के मामा का बेटा मेरे...

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मेरे जीवन की दो दुर्घटना और मंत्र साहयता

<center> जब मैं छटी या सांतवी कक्षा में पढ़ता था तब अपने गांव चंगोली में गर्मियों की जुलाई महीने तक की छुटियों में जाते थे वेसे ही मैं और मेरा छोटा भाई सजंय भी गए हुए थे हमारे खेतों के पास हरिद्धार कोट से निकली छोटी गंग नहर है यो...

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मेरे साधना पथ के पथिक संत और मेरा आत्म गुरुवादी दर्शन

पुरानी बात है जब हमने अपना मकान आज जहाँ आश्रम है वहाँ पर बना लिया था शिक्षालकाल के साथ गांव की खेती का कार्य चल रहा था तबतक मैं अपने में गुरु का आभाव अनुभव करता था की जेसे पूर्वकाल के सिद्ध गुरु थे वेसा मेरा भी कोई सामर्थ्यवाला गुरु...

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मेरी सहज समाधि के आरम्भ

मुझे प्रारम्भ की कुछ दो बार की स्वसमाधियों का स्मरण है बाद की तो अन्य रही है की जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था तब हम हापुड़ में राजेंद्र नगर में एक कोठी थी उसमें किराये पर रहते थे तब साय का समय था और जब स्मरण इस बात...

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सत्यास्मि योगनुभूति सर्वद्रष्टि दर्शन

ये घटना तब की है जब मैं नोवी कक्षा में पढ़ता हूँगा और उन दिनों सेहत बनाने के लिए कसरत दंड बैठक लगाने का बड़ा जूनून था व् हम किराये पर प्रेमनगर में रहते थे वहाँ चौक में एक बड़ा नीम का पेड़ था मैं अपनी खाट उसी के नीचे...

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