मेरी हनुमान उपासना,दर्शन और सिद्धि

ये सन् 80 के दशक के अंत की बात है की मेरे मामा के बेटे भोपाल भैया वे राजनैतिक क्षेत्र और यूनियन लीडर थे वे किसी अपने काम से जयपुर गए वहाँ हम उनसे छोटे भाई नेपाल भैया जो बचपन से हमारे पास ही रहे है वे बिड़ला बिट्स स्कुल...

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मेरे जीवन की दो दुर्घटना और मंत्र साहयता

<center> जब मैं छटी या सांतवी कक्षा में पढ़ता था तब अपने गांव चंगोली में गर्मियों की जुलाई महीने तक की छुटियों में जाते थे वेसे ही मैं और मेरा छोटा भाई सजंय भी गए हुए थे हमारे खेतों के पास हरिद्धार कोट से निकली छोटी गंग नहर है यो...

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मेरे साधना पथ के पथिक संत और मेरा आत्म गुरुवादी दर्शन

पुरानी बात है जब हमने अपना मकान आज जहाँ आश्रम है वहाँ पर बना लिया था शिक्षालकाल के साथ गांव की खेती का कार्य चल रहा था तबतक मैं अपने में गुरु का आभाव अनुभव करता था की जेसे पूर्वकाल के सिद्ध गुरु थे वेसा मेरा भी कोई सामर्थ्यवाला गुरु...

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31 जुलाई ऊधम सिंह शहीद दिवस

बैशाखी का पर्व था उस दिन और भीड़ थी बड़ी नर नारी। बच्चे खेल चहक रहे थे तभी अंग्रेज आये शस्त्रधारी।। आदेश दिया जाओ यहां से नही तो चलें अभी बंदूक। सजग तक नही हुए लोग थे गरज उठी फिरंगी बंदूक।। मच गया घोर हाहाकार जन में सब भागे जान...

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अहम् सत्यास्मि गुरु पूर्णिमाँ उद्धघोष

ओ उठो जागो सिंहो सनातन धर्म वीर। तुम ईश संतति त्याग बंधन की पीर।। तोड़ निंद्रा अज्ञान चलो आत्म के पथ। मैं हूँ कौन खोजते अंवेषणा के गत।। जब तक मिले न लक्ष्य खेल प्राणों की बाजी। सिंचित कर कर्म नीर खिला आत्म पुष्प अविभाजी।। मिटा भय अंध मेघ निज...

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भारत माता की नारित्त्व अवतरण पूर्णिमाँ सत्यास्मि ज्ञान

जब जब धर्म की होगी हानि तब तब मैं लुंगी अवतार। दुर्गा काली बन कर मैं काटू अधर्मी शीश तलवार।। दुर्गावती मैं ही बनती और बनती लक्ष्मी बाई। लड़ती स्व स्वतंत्रता हेतु बन कर अवंतिका बाई।। जब पुरुष नही देता है संग और बढ़ता जाता है अहंकार। समझे नारी को...

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पूर्णिमा का व्रत चौदस के दिन या पूर्णिमा के दिन कब करें

सच में तो पूर्णिमा का अर्थ ही सायंकाल के चन्द्र उदय से प्रातः ब्रह्म महूर्त के समय तक ही पूर्णमासी का व्रत कहलाता है और तभी करना चाहिये चूँकि हमारे ज्योतिष का मुख्यधार चन्द्र और उसकी इकत्तीस कलाएं यानि पन्द्रह कला अमावस की और सौलह कलाएं मिलकर जिनमें मुख्यतया चौदह+चौदह=अट्ठाईस+एक...

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27 जून बंकिम् चन्द्र चटोपाध्याय जन्मोउत्सव:

अग्नि लगा दी जिसने तन मन जगा दी क्रांति जन जन। दीप प्रज्वलित किया हर आंगन वंदे मातरम् घोषे रक्त कण कण।। मैं भी हूँ माता का लाल दूँ प्राण भारती चरण डाल। कट जाये सर काट काट कर गर्वित करूँ भारत माँ भाल।। जय हो जय हो माँ तेरी...

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अमावस्या उपरांत नवरात्रि का प्रारम्भ रहस्य

इस जगत में स्त्री और पुरुष दो जीवंत तत्व ऋण और धन के रूप में प्रत्यक्ष है और तीसरा बीज जो (-,+) के रूप में सदैव बना रहता है यो प्रकर्ति में पुरुष पक्ष का प्रतीक है अमावस्या ऋण इससे बीजदान लेकर प्रकर्ति स्वरूपा स्त्रितत्व अपने प्रारम्भिक नो दोनों में...

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