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8 मार्च विश्व महिला दिवस पर एक चिंतनीय विषय,जो पढ़ने वाली स्त्रियों को उनकी इस सोच की हम पुरुषों से कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं,हम किसी भी प्रकार से पुरुषों से कम नहीं है,जो पुरुष कर सकता है,वो हम भी कर सकती है,आदि आदि कथनों पर एक विवादस्त सोच देगा और अनेक आलोचनाओं को जन्म देगा,इस विषय पर सत्यास्मि मिशन की एक जागरूक स्त्री कनिष्का स्वामी सभी स्त्रियों को इस सन्देश से यह कहना चाह रही हैं,कि तुम कहाँ हो? ये जानो और खोजो अपने व्यक्तित्व को और उसे पुरुषों से तुलना बन्द करके,उन्हें आरोपित करना बन्द करके,ये विचार और प्रयत्न करो की-तुम्हे क्या करना है….

8 मार्च विश्व महिला दिवस पर एक चिंतनीय विषय,जो पढ़ने वाली स्त्रियों को उनकी इस सोच की हम पुरुषों से कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं,हम किसी भी प्रकार से पुरुषों से कम नहीं है,जो पुरुष कर सकता है,वो हम भी कर सकती है,आदि आदि कथनों पर एक विवादस्त सोच देगा और अनेक आलोचनाओं को जन्म देगा,इस विषय पर सत्यास्मि मिशन की एक जागरूक स्त्री कनिष्का स्वामी सभी स्त्रियों को इस सन्देश से यह कहना चाह रही हैं,कि तुम कहाँ हो? ये जानो और खोजो अपने व्यक्तित्व को और उसे पुरुषों से तुलना बन्द करके,उन्हें आरोपित करना बन्द करके,ये विचार और प्रयत्न करो की-तुम्हे क्या करना है….

क्या सच्च में महिला अपने अधिकार को जागरूक और लड़ रही है,या करे कराया भी उस नहीं पच रहा है ??…

महिला अधिकार की सत्यता:-

महिला की उठती ऊँगली-

1-ये पुरुषवादी समाज है।
2-मेरे पिता,मेरा भाई,मेरी माँ,मेरा समाज और अंत में मेरा पति,ये सब मुझे आगे बढ़ने नहीं दे रहें है।
आओ अब देखें की स्त्री ने अपने अधिकारों को क्या किया?
या ये सब अधिकार उसे उसी आरोपित पुरुष ने दिए हैं??
सारे पांचो धर्म पंथ-शैव-वैष्णव-शाक्त-गणपतये-सौर्य पुरुषों द्धारा निर्मित पंथ हैं,वेसा कोई स्त्री पंथ नहीं है?
एकमेवाद्धितीय घोष और एकोहम् बहुस्याम तथा अहम् ब्रह्मस्मि,अलख निरंजन,एक ओंकार सत नाम,वाहे गुरु,अल्लाह,ईसा,गॉड आदि आदि घोष पुरुष ईश्वर के है।कहाँ हैं स्त्री घोष?
-ब्रह्म से सृष्टि होना।
-अनादि ब्रह्मा-विष्णु-शिव पुरुष का सदा युवा व् अमर होना।
शिव लिंग में से केवल शिव पुरुष का ही प्रकट होना।
-शालिग्राम में विष्णुप पुरुष होना।
इन पिता समान पुरुषों के विवाहित होने पर भी इनकी या धर्म में सेवार्थी स्त्रियों का विवाह इनसे कराने का अर्थ क्या है? ऐसा किसी दुर्गा आदि स्त्री देवी के साथ विवाह कराने का अर्थ क्यों नहीं?कहाँ हैं स्त्री?
तीनों देव परस्पर एक आयु के होने से भाई हुए,तब ब्रह्मा की सन्तान की संतान सती और पर्वती से शिव चाचा या दादा का कैसे विवाह सम्भव है?कहाँ है स्त्री?

  • -देव दैत्यों के समुंद्र मन्थन से निकले अमृत के बंटवारे में देवताओं को दिलाने में भी विष्णु पुरुष का स्त्री रूप मोहनी हुआ।यहां कोई मूल स्त्री नहीं है।
    -इसी मंथन से निकली लक्ष्मी स्त्री को विष्णु पुरुष ने केवल उपकार और उपहार स्वरूप समझ अपने साथ सेवार्थी रख लिया।और चित्रों में वे विष्णु पुरुष के पैर दबा रही है।कहाँ हैं स्त्री?
    -शिव को भस्मासुर से बचाने वाले विष्णु पुरुष ही स्त्री बनकर आये है।जबकि अपने पति को बचाने का यहाँ पार्वती स्त्री का कोई सहयोग नहीं है।
    -जो शिव कभी अपनी पत्नी सति और पर्वती के आकर्षण से भी स्खलित नहीं हुए और उनसे कार्तिकेय व् गणेश का जन्म नहीं है,वे शिव पुरुष विष्णु के मोहनी स्त्री रूप से आलिंगन से स्खलित हुए और हनुमान जन्म कथा है।
  • और दुर्गासप्तशती में केवल पुरुष देवो और दैत्यों का पुरुषवादी युद्ध हैं और वहाँ भी पुरुषों ने अपने अंदर की स्त्री शक्ति को एकत्र करके एक स्त्री शक्ति का निर्माण किया,जो दुर्गा है और उससे पुरुष दैत्यों का संहार किया।और अंत में वो स्त्री शक्ति पुरुषों को ही अभय वरदान देकर उन्हीं में समा गयी।इस ग्रन्थ में ब्रह्मा,विष्णु,वेश्य,समाधि आदि पुरुष हैं और शंकर पुरुष स्त्री पार्वती को ये कथा सुना रहें है,तब ये स्त्री ग्रन्थ लगने वाला ग्रन्थ भी पुरुष ग्रन्थ है।तब स्त्री ग्रन्थ कहाँ और कौन सा है?
    -वेद काल में ऋषियो में इस विषय पर हुए वैदिक धर्म प्रचार में जितने भी शास्त्रतार्थ धर्म और समाज की प्रगति को लेकर हुए उनमें स्त्री केवल पृच्छक यानि प्रश्नकर्ता मात्र रही है।याज्ञवल्कय और गार्गी संवाद् को देखें।उसमें विजेता याज्ञवल्कय है।यहाँ आगे चलकर कोई गार्गी से धर्म प्रचार नहीं हैं।
    -इन्हीं ऋषियों ने अपनी बेटियों के रूप में अनेक ऋषि कन्याओं को अपने रचित ग्रंथों में स्थान दिया-ज्योतिष में भाष्कराचार्य की पुत्री लीलावती विधवा होकर अपने पीहर में रही और उसे पढकर उसे प्रोत्साहित किया ओर उसके नाम से ज्योतिष का प्रसिद्ध लीलावती ग्रंथ लिखा।
  • सती हो या पर्वती दोनों ने केवल शिव की उपासक रही है,उन्हीं से आत्मज्ञान पाया है।और तो और तीन बार शिव से प्रार्थना करके अमरता का ज्ञान देनी की इच्छा की,और अंत में क्या हुआ-अमरनाथ में शिव ने पार्वती को अमरता का ज्ञान दिया तो सो गयी।और दो कबूतरों ने ज्ञान पाया।
    फिर गंगा तट पर दिया तो,वहाँ सो गयी और मछली के पेट में मछेंदर नाथ पुरुष ने वो ज्ञान ग्रहण कर नाथ पंथ संसार को दिया।जबकि वो मछली भी स्त्री अप्सरा थी,वो अमर ज्ञान नही पा पायी और न पार्वती।
    फिर ऐसे ही महाभारत में अर्जुन ने सुभद्रा को चक्रव्यूह ज्ञान दिया,परिणाम वो सो गयी और अभिमन्यु को मिला अधूरा ज्ञान उसकी माता के कारण म्रत्यु का कारण बना।
  • गंगा को कौन इस पृथ्वी पर लाया:-
  • पृथ्वी का नाम किसने पृथ्वी रखा:-
    महाराज पृथु पुरुष ने? या किसी स्त्री ने?यहाँ कहाँ हैं स्त्री?
    -पुरुष भगीरथ? या कोई स्त्री?यहाँ कहाँ हैं स्त्री?
    -आदि गुरु शँकराचार्य ने मंडन मिश्र की पत्नी भारती मिश्र के काम शास्त्र पर उठे प्रश्नों का उत्तर देकर पराजित किया,यहाँ मंडन मिश्र धर्म की उन्नति में अपना जीवन देकर चार शंकराचार्यों में से एक प्रथम शँकराचार्य बने और उनकी ये पत्नी भारती मिश्र का कोई इस धर्म प्रचार में त्यागपूर्ण सहयोग नहीं है।
  • तुलसीदास केवल अपनी पत्नी को ही अटूट प्रेम करते थे।एक पत्नी क्या चाहती है की-उसका पति उसके आलावा किसी और को नहीं चाहें? तब क्या हुआ? उसके इस आलोचना से तुलसीदास के प्रेम को चोट लगी और उन्होंने स्त्री को त्याग पुरुष को पकड़ लिया और परिणाम संसार के आगे है।रामचरित्र मानस।अब ये रत्नावली का क्या हुआ?उसने अपने पति के सामान कुछ त्याग तपस्या करके किसी स्त्री देवी के ग्रन्थ को लिख संसार को दिया? नहीं न?कहाँ हैं स्त्री?
    -स्वामी दयानन्द ने आर्य समाज खड़ा किया,उसके तहत अनेक स्त्री शिक्षा को महाविद्यालय बने,पर वहां से आज तक कोई उनके मत को उनके समान प्रचारित करने वाली त्यागी स्त्री सन्यासी नहीं निकली।
    4-ये सती प्रथा को उठाने वाला कौन-राजा राम मोहन राय..
    5-रामकृष्ण परमहंस ने अनेक पुरुष और स्त्रियों को समान रूप से शक्तिपात कर योग विभूति सम्पन्न किया,पर उनके पुरुष शिष्यों ने समाज को प्रचण्डता दी,पर उनकी स्त्री शिष्यों का इस उच्चतर कोई आंदोलन नहीं दिखा।
    6-देश की आजादी को सर्वोच्चता पर पहुँचाने वाले मुख्य पुरुष हैं और स्त्री उसमें केवल बहुत अल्प स्तर पर सहयोगी है।
    चाहे वो आजाद हिन्द फौज में पदाधिकारी हो या पुरुष आज्ञा की पालनकर्ता सहयोगी हो।
    7-डॉ.अम्बेडकर ने कानून में स्त्री समानता आदि के विषय को बढ़ावा दिया।इसी स्तर का ऐसा किसी अन्य स्त्री कानूनविद का विशेष सहयोग नहीं है।
    8-एक समय वर्तमान की राजनैतिक पृष्टभूमि में-स्त्री साम्राज्य होकर गया है-राष्टपति-प्रतिभा पाटिल-सोनिया गांधी-मायावती-जय ललिता-ममता बनर्जी आदि।इन्होंने कोई भी समल्लित होकर की-आज हम स्त्रियां सत्ता में हैं,तो स्त्रियों के लिए सभी भौतिक और धार्मिक क्षेत्र में पुरुषों के समान्तर अधिकार कानून पर बिल पास करा जाएँ।कुछ नहीं किया।
    9-इस सम्बंधित भी जो भी किया,वो पुरुषों ने ही बिल पास किये हैं।

आज बेरोजगारी में भी स्त्री पूर्णतया सहयोगी है,कैसे देखें:-
नोकरियों में लगभग बराबर का प्रतिशत होते हुए,जब कोई स्त्री किसी भी नोकरी पर लग जाती है,तब वो एक बेरोजगार पुरुष से विवाह करने की शक्ति नहीं रखती हैं,जैसा की-आज तक पुरुष ने स्त्री को चुना है।
जबकि स्त्री नोकरी पर लगते ही-अपने से बड़े पदाधिकारी को विवाह के लिए घेरती है,यो वो एक वेरोजगार स्त्री के एक रोजगार पुरुष से होते विवाह को रोक देती है।साथ ही एक रोजगार स्त्री के बेरोजगार पुरुष के साथ होते विवाह को रोक देती है।यो दो परिवार की बसने से रोक देती है।ये बेरोजगारी होने का एक बड़ा भयंकर सामाजिक विषय है,जिसकी जिम्मेदार स्त्री हैं।

विश्व की विकास आदि की खोज में स्त्री कहाँ:-

1-लगभग सारे प्रमुख और उच्चतर आविष्कार पुरुषों की ही खोज है।ऐसा कोई अद्धभुत खोज स्त्री की नहीं हैं।
-सारे विश्व भर के पर्वत,गुफा,प्रदेश आदि आदि सब पुरुषों की ही खोज की देन है,अब उस स्थान पर स्त्री जाकर केवल स्त्रियों में प्रमुख बनती है,नाकि वो पुरुषों में प्रथम होती है।

धर्म और पंथ की खोज में स्त्री:-

विश्व के सभी प्रमुख धर्म और उनके पंथ पुरुषों के द्धारा उनके विकट त्याग,आत्मचिंतन के कारण खड़े किये गए है।यहाँ कोई स्त्री का पुरुषों कि भांति कोई विशेष धर्म पंथ नहीं है।

धार्मिक स्थलों पर स्त्री की पहल का भ्रम:-
आज इस स्त्री ने आगे बढ़कर उस धार्मिक स्थल पर तेल चढ़ाया या हमें क्यों नहीं प्रवेश नहीं हैं,आदि आदि कथित क्रांतिकारी पहल.,तो ये धर्म स्थलों को जागरूक किसने किया?,पुरुषों ने?, या स्त्री ने?।यकीन पुरुषों ने ही लगभग सभी धार्मिक स्थलों को अपनी तपस्या और सेवा सफाई से जाग्रत किया है,हाँ वहाँ उपासना का भेद भी पुरुष सन्तों के व्यक्तिगत ब्रह्मचर्य आदि को लेकर हुआ है,की वे इस विषय में ब्रह्मचर्य को लेकर कठोर रहें हैं।जो की एक साधना का नियम है,और उसी कठोरता से ही वो देवी हो या देवता ने उन्हें दर्शन और सिद्धि दी।तब वो स्थल उसी नियम के चलते सिद्ध स्थल है।तब वहां कैसे स्त्री का प्रवेश सम्भव है? यदि करना ही है,तो ठीक ऐसे ही तपस्या करके एक स्वतंत्र स्थल बनाओ और निसंकोच उसपर स्त्री अधिकार करो।कोई नहीं रोकेगा।

शेष ऐसे ही और भी स्त्री को अपने आस्तित्व की नीव को झिंझोरते प्रश्नों को आगामी लेख में पढ़ें,की क्या उसे पुरुष से उलझना चाहिए या फिर केवल पुरुष के ही दिए ये महिला अधिकारों को अपनाते हुए,अपने और भी स्त्री अधिकारो के प्रति सजग होकर उन्हें स्वयं के बल पर प्राप्त करने चाहिए..

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission. org

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