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26 जनवरी गणतंत्र दिवस महापर्व पर सत्यास्मि मिशन की और से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी ने अपनी रचित दो कविताओं के माध्यम से अपनी राष्टीय शुभकामनाएं इस प्रकार से दी है की…

26 जनवरी गणतंत्र दिवस महापर्व पर सत्यास्मि मिशन की और से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी ने अपनी रचित दो कविताओं के माध्यम से अपनी राष्टीय शुभकामनाएं इस प्रकार से दी है की…

आज भारत का महापर्व है
हर भारतीय को आज गर्व है।
स्वतंत्रता लहर रही तिरंगा बन कर
अमन नमन भारतीय सर्व है।।
अनंत शहीद बलदानो की
एक एक ईंट बन झंडा नींव है।
आज भी इसे पकड़े है वे
दे गए अमृत हम पीव है।।
भारत के हर नागरिक का
लहराना धर्म कर्तव्य है।
ये प्रतीक नही जीवंता है
प्रेम शांति कर्म हर गंतव्य है।।
खड़े हो इसके आदर में
देखो नभ् में गर्वित स्वंरूप।
तुम्ही तो तिरंगा बन
लहरता हर्षित त्रिरंग अनूप।।
ये मैं हूँ लाल शहीदे रक्त
ये मैं हूँ श्वेत स्वतंत्री भक्त।
चौबीस गुण चक्री मैं कर्म ईश
हरित क्रांति रूप मैं ही सशक्त।।
मैं ही हूँ हिमालय इस उच्च दंड
ये सामूहिक भुजबल है प्रचण्ड।
तिरंगा वर्तमान भूत भविष्य
एकल एकता भारत अखंड।।
नर हो या नारी या किन्नर
सबका ये एक सम्मान है।
पुष्प वर्षित करो इसे नमन कर
तिरंगा भारतवर्ष की शान है।।
जय हिन्द जय भारतवर्ष की
जय जय भारत गणतंत्र की।
लहरो हमारी शान तुम
जय जय तिरंगा स्वतंत्र की।।

[गणतंत्र दिवस-कविता भाग-2]

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर सत्यास्मि मिशन की और से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी कविता के माध्यम से राष्ट नमन करते कहते है की…

26 जनवरी गणतंत्र दिवस हमारा
स्वतंत्र भारत का पर्व आधारा।
परा अपरा बल तरंगित तिरंगा
सर्व धर्मों का एक्त्त्व विचारा।।
जल थल वायु सशस्त्र सेना
विविधिता पहने सुसंस्कृति गहना।
बल कोशल दिखाते नर नार
करते नमन हम एक तिरंगा है ना।।
एकत्र है भारत एक सूत्र राजपथ
सर्व भारत घोष है जय हिंद नारा।
नमन करते राष्ट तोप की गर्जन
हम भारत है भारत नाम हमारा।।।
सर्वदल नेता राष्टपति है भारत
जन जन स्वतंत्रता अभिव्यक्ति भारत।
एक सूत्र समर्थन खड़ी है प्रतिज्ञा
खण्ड खण्ड में अखण्ड है भारत।।
सर्व भौमिकता राष्ट धर्म है भारत
सर्व सफलता राष्ट कर्म है भारत।
सर्व प्रेम हो यही भारत नारा
सत्य शक्ति अहिंसा मर्म है भारत।।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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