19 फ़रवरी छत्रपति शिवाजी के जन्मोदिवस पर शिवा जी सहित उनकी महान माता जीजाबाई को महावीर पुत्र जनने के लिए भी सत्यास्मि मिशन की और से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी शुभकामनाएं अपनी इस कविता के माध्यम से देते कहते हैं की…
शिवाजी महाराज का संछिप्त जीवन परिचय:-
इनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले है और उपनाम छत्रपति शिवाजी, शिवाजी महाराज है।तथा शासकीय नाम छत्रपति शिवाजी महाराज है।इनका शासन काल 1674 – 1680 ई.तक रहा यानि शासन अवधि 38 वर्ष रही थी।शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी, 1630 ई.को शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था और मृत्यु 3 अप्रैल, 1680 ई.को रायगढ़ में हुयी थी।इनके गुरुदेव समर्थ गुरु रामदास थे और इनका वंश भोंसले तथा
राजघराना मराठा था। सन 1674 तक शिवाजी के सम्राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चूका था। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। क्योंकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे उन्होंने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा। बालाजी राव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे। जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया और उन्होंने राज्याभिषेक किया। राज्याभिषेक के बाद भी पुणे के ब्राह्मणों ने शिवाजी को राजा मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिवाजी ने अष्टप्रधान मंडल की स्थापना कि। विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया। इस समारोह में लगभग रायगढ़ के 5000 लोग इकट्ठा हुए थे। शिवाजी को छत्रपति का खिताब दिया गया।
इनका राज्याभिषेक दो बार हुआ 6 जून, 1674 ई.
गृहनगर/राज्य शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र में हुआ था, उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इस कारण फिर से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। ।इनके पिता – शाहजी भोंसले और माता- जीजाबाई थी तथा इनके भाई- इकोजी (सौतेला भाई) थे।इनका विवाह
पत्नी सइबाई निम्बालकर से (1640-1659) हुआ था।दूसरी पत्नी सोयराबाई मोहिते (1680) और तीसरी पत्नी पुतळाबाई पालकर (1653-1680) और चौथी पत्नी सकवरबाई गायकवाड़ (1656-1680)
इनका बेटा- संभाजी (सइबाई)
छत्रपति संभाजी राजे भोसले थे।
और राजाराम (सोयराबाई) थे और बेटी- सखुबाई (सइबाई), रूनुबाई (सइबाई), अंबिकाबाई (सइबाई), दीपाबाई (सोयराबाई), कमलाबाई (सकवरबाई)थी।
जय भारत की माता नारी
जय माँ शिवाजी जीजाबाई।
जयति सदा स्वतंत्र विचारक
इन मात पुत्र अमरता पायी।।
निडरता भरती पिला दूध माँ
और लोह भरती भुजदंड।
शिक्षा देती निर्भक जीवन की
उजागर मनुष्यता करती प्रचण्ड।।
कौन है शिव और कौन है राम
और कैसे पाया ये अमर नाम।
सिखाती गीता कृष्ण की देकर
कराती नारी का यूँ सम्मान।।
दुदुंभी भरती गले पुत्र के
और मातृ भक्ति के नारे।
आत्मस्वतंत्रता को मिट जाओ
ना झुके ये शीश ईश प्यारे।।
सीखों और सिखलाओं सबको
स्वयं बढ़ कर तुम आगे।
निर्बल के सदा बनो सहारे
तुम्हें देख मृत्यु भी भागे।।
बुरे कर्म ना करो कभी भी
ना करो धर्म का त्याग।
मोड़ दो प्रवाह भाग्य की धारा
बढा निरंतर साहस अनुराग।।
सदा अपनाना नही त्यागना
और करते करते मरो कर्म।
सूर्य बनो अंधकार मिटा कर
अपना सनातन हिंदुत्व धर्म।।
गर्व करो हम है भारतीय
गर्व करो अपने इतिहास।
गर्वित होकर घोष करो यूँ
मैं आत्म ईश अविनाश।।
जय भारत की माता वीरों
जय शिवा जी जीजाबाई।
जय जयति सनातन नारी
जय पूर्णिमाँ भारत अध्यायी।।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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